SP vs BJP Milkipur by election 2024: उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच उपचुनाव में होने वाली सियासी लड़ाई में एक एफआईआर ने आग में घी डालने का काम किया है। उत्तर प्रदेश में जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनके नाम- फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी, कुंदरकी और सीसामऊ हैं।

इनमें से हर एक सीट पर जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी और सपा के बीच कांटे की लड़ाई है लेकिन मिल्कीपुर सीट दोनों दलों के लिए इज्जत का सवाल बन गई है।

2022 में उपचुनाव वाली सीटों के नतीजे

राजनीतिक दलमिली सीटें
बीजेपी 3
सपा 5
निषाद पार्टी 1
आरएलडी 1

अयोध्या में हुई बीजेपी की हार

हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फैजाबाद (अयोध्या) सीट पर जब हार मिली थी तो इसकी चर्चा देश भर में हुई थी क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद इस सीट पर बीजेपी की हार की बात पार्टी के नेताओं और समर्थकों ने भी नहीं सोची थी। यहां से सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद जीते थे। अवधेश प्रसाद उस वक्त मिल्कीपुर सीट से मौजूदा विधायक भी थे। अवधेश प्रसाद दलित समुदाय से आते हैं।

लोकसभा चुनाव के नतीजे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए बेहद खराब रहे थे। पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 29 सीटों का नुकसान हुआ जबकि पार्टी का यह दावा था कि वह चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

2024 में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 3362
सपा 375
कांग्रेस61
बीएसपी 010
रालोद2
अपना दल (एस)12
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम)1

हार का बदला लेना चाहती है बीजेपी

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से ही सपा और बीजेपी में कई मुद्दों को लेकर वाकयुद्ध हो चुका है। हाल में हुए मंगेश यादव एनकाउंटर को लेकर भी दोनों दल भिड़ चुके हैं। सपा की ओर से उपचुनाव में जीत को लेकर दावे किए जा रहे हैं। जबकि बीजेपी बाकी सीटों के साथ ही मिल्कीपुर सीट पर जीत दर्ज कर सपा से मिली हार का बदला लेना चाहती है।

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अभी तक दोनों दलों ने मिल्कीपुर सीट पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है लेकिन यह लगभग तय है कि सपा यहां से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन अजीत प्रसाद के खिलाफ अपहरण और हमले के एक मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद मिल्कीपुर सीट पर चुनावी घमासान तेज हो गया है। अजीत प्रसाद पर रवि कुमार तिवारी नाम के शख्स ने यह एफआईआर दर्ज कराई है।

बीजेपी ने कहा है कि यह घटना अजीत की गुंडागर्दी को दिखाती है। जबकि सपा का कहना है कि इस मामले में दर्ज एफआईआर पूरी तरह राजनीतिक बदले की घटना का उदाहरण है और इससे पता चलता है कि बीजेपी हार के डर से परेशान है। सपा का कहना है कि अजीत प्रसाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना और सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग है। इस सियासी घमासान के बीच सपा की ओर से 1 अक्टूबर को विशाल विरोध प्रदर्शन रखा गया है। पार्टी ने कहा है कि वह इसके जरिये बताएगी कि बीजेपी किस तरह वंचित वर्गों पर अत्याचार कर रही है।

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वोटों का हो सकता है ध्रुवीकरण

अजीत प्रसाद के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद दलित बनाम ब्राह्मण समुदाय के बीच जातीय संघर्ष की बात भी चल रही है। यह पूरा मामला फैजाबाद शहर में एक जमीन की खरीद के मामले में अजीत प्रसाद और तिवारी के बीच हुए झगड़े से जुड़ा है। मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में दलित आबादी के साथ-साथ ब्राह्मण समुदाय की भी ठीक-ठाक आबादी है और यह दलित मतदाताओं की संख्या के बराबर भी है। ऐसी स्थिति में जब मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव होगा तो वोटों का ध्रुवीकरण होने की पूरी संभावना है।

इस मामले में एक रोचक तथ्य भी है। ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण समुदाय के एक बड़े हिस्से ने लोकसभा चुनाव 2024 और 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद का समर्थन किया था। दूसरी ओर दलित समुदाय में आने वाले कोरी समुदाय का वोट सपा को मिलने की संभावना कम है क्योंकि बीएसपी यहां से इस समुदाय की किसी नेता को उम्मीदवार बनाने की योजना बना रही है।

सपा-कांग्रेस के बीच अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। लेकिन मिल्कीपुर में कांग्रेस ने ब्राह्मण समुदाय से आने वाले संजय तिवारी को अपना मीडिया प्रभारी बनाया है।

बीजेपी को फोकस हिंदू वोटों पर

बीजेपी यहां ‘एकजुट हिंदू वोट’ पर काम कर रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले कुछ दिनों में कई बार ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे पर जोर दे चुके हैं। सपा का कहना है कि अजीत प्रसाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के कारण ऐसा बिल्कुल नहीं है कि ब्राह्मण बीजेपी के साथ आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि सपा शासन के दौरान ब्राह्मणों को फर्जी मुठभेड़ में इस तरह निशाना नहीं बनाया गया।