क्रिस्टोफर नोलन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है। दुनिया के अन्य देशों और भारत में भी फिल्म बढ़िया कमाई कर रही है। ओपेनहाइमर का गीता कनेक्शन फिल्म रिलीज होने से पहले ही भारत में सुर्खियों में रहा।

यहां हम ‘फादर ऑफ एटॉमिक बम’ कहे जाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर और नेहरू के संबंध की बात करेंगे। एक ‘टॉप सीक्रेट’ संदेश के बारे में जानेंगे, जो कथित तौर पर ओपेनहाइमर ने नेहरू के लिए भेजा था। साथ ही बात करेंगे उस प्रस्ताव के बारे में, जिसके मुताबिक ओपेनहाइमर को भारत में बस जाने के लिए आमंत्रित किया गया था।

एक ‘टॉप सीक्रेट’ संदेश

नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी नयनतारा सहगल ने अपनी किताब ‘Jawaharlal Nehru: Civilizing a Savage World’ में अमेरिकी परमाणु वैज्ञानिक ओपेनहाइमर के एक कथित ‘टॉप सीक्रेट’ मैसेज का जिक्र किया है, जो उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिए भेजा था। किताब के मुताबिक, यह दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद 1950 के दशक की बात है। नेहरू, अमेरिका और सोवियत संघ की शीत युद्ध शक्तियों के खिलाफ तीसरी दुनिया की शक्तियों को एकजुट करने के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।  

सहगल के अनुसार, ओपेनहाइमर ने बंगाली कवि अमिया चक्रवर्ती के माध्यम से एक गुप्त संदेश दिया, जो उस समय प्रिंसटन फैकल्टी मेंबर के रूप में कार्यरत थे। बता दें कि अमेरिकी सरकार से अनबन के बाद ओपेनहाइमर ने अपनी ज़िंदगी के आखिरी 20 वर्ष न्यू जर्सी के प्रिंसटन में इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडीज़ के निदेशक के तौर पर बिताए थे। वहीं पर उन्होंने आइंस्टाइन और दूसरे वैज्ञानिकों के साथ काम किया।

सहगल लिखती हैं कि उनकी किताब के प्रकाशन से पहले यह संदेश अत्यंत गुप्त था। हालांकि किताब में वह यह नहीं बतातीं उन्हें यह अत्यंत गुप्त मैसेज कहां से मिला।

ओपेनहाइमर, नेहरू को क्या बताना चाहते थे?

सहगल के मुताबिक, ओपेनहाइमर का मानना था कि अमेरिका भारत के थोरियम भंडार तक पहुंच हासिल करने के लिए भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बना रहा है। इस काम में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रुमैन ने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली को भी शामिल कर लिया है।

बता दें कि भारत में थोरियम का सबसे बड़ा भंडार है। ऐसे कहा जाता है कि थोरियम साफ और सुरक्षित एटमी ईंधन है। थोरियम रेत में पाया जाता है। यह बम बनाने के लिए यूरेनियम की तरह प्रभावी नहीं होता लेकिन इसमें रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं।

खैर, सहगल लिखती हैं कि ओपेनहाइमर चाहते थे कि नेहरू यह जानें कि अमेरिका’जानबूझकर’ युद्ध की ओर बढ़ रहा है। वहां परमाणु बम पर सबसे ‘भयानक और घातक प्रकृति’ का काम किया जा रहा है। एटम के संबंध में ट्रूमैन और एटली द्वारा किए गए हालिया वादों के कारण एक हथियार पर रिसर्च किया गया है, जो परमाणु बम जितना ही घातक होगा लेकिन उसके बनाने में एटम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

सहगल के मुताबिक, ओपेनहाइमर ने नेहरू से मानवता के नाम पर भारत से अपनी वर्तमान विदेश नीति को बनाए रखने और किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आने का निवेदन किया था।

ओपेनहाइमर ने नेहरू को ही यह संदेश क्यों भेजा, इसका जवाब भी सहगल की किताब में ही मिलता है। वह नेहरू को शांति के एकमात्र भरोसेमंद समर्थक बताती हैं। उनके मुताबिक, उस समय ओपेनहाइमर नेहरू जैसे ही एक वैश्विक नेता पर भरोसा कर सकते थे।

हालांकि सहगल के दावों की पुष्टि के लिए कोई कानूनी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी भी उपलब्ध नहीं है कि 1950 के दशक में भारत ने अमेरिका को थोरियम दिया था या नहीं। अगर दिया था तो कितना दिया था और किस काम के लिए दिया था।

क्या ओपेनहाइमर को मिला था भारत में रहने का निमंत्रण?  

बख्तियार के.दादाभॉय द्वारा लिखित होमी भाभा की जीवनी ‘Homi J. Bhabha: A Life’ में दावा किया गया है कि जवाहरलाल नेहरू ने कथित तौर पर  रॉबर्ट ओपेनहाइमर भारत आने और यहीं बसने का निमंत्रण दिया था। लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था।

जीवने के पेज नंबर 723 पर बख्तियार के.दादाभॉय ने लिखा है, जब अमेरिकी वैज्ञानिक ओपेनहाइमर ने 1954 में विश्वासघात के आरोपों के कारण अपनी सुरक्षा रियायतें खो दी। तब संभवतः भाभा के हस्तक्षेप पर ही भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उन्हें एक से अधिक अवसरों पर देश में आने और रहने के लिए आमंत्रित किया था।

पुस्तक में कहा गया है, “नेहरू ने ओपेनहाइमर को भारत आने और यहां तक कि अगर वह चाहें तो प्रवास करने के लिए आमंत्रित किया था।”

ओपेनहाइमर ने मना कर दिया था क्योंकि उन्हें लगा कि जब तक उन्हें सभी आरोपों से मुक्त नहीं कर दिया जाता, तब तक उनके लिए अमेरिका छोड़ना उचित नहीं होगा। किताब में कहा गया कि “उन्हें डर था कि न केवल अनुमति देने से इनकार कर दिया जाएगा, बल्कि इससे उनके बारे में संदेह ही बढ़ेगा।”

दिसंबर 1953 में क्रिसमस से चार दिन पहले, ओपेनहाइमर पर अतीत में कम्युनिस्टों से जुड़े रहने और हाइड्रोजन बम के निर्माण का विरोध करने का आरोप लगाया गया था।

पुस्तक याद दिलाती है कि भाभा और ओपेनहाइमर दोस्त थे। दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे। बाद में भाभा को भारत के ओपेनहाइमर के रूप में जाना जाने लगा।