लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा की सिरसा एक ऐसी सीट है, जहां पर बीजेपी को पिछले लोकसभा चुनाव में 52.3% वोट हासिल हुए थे। लेकिन इस बार यहां से बीजेपी के उम्मीदवार को किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों के विरोध की वजह से पिछले महीने अशोक तंवर को अपना चुनावी कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था। सिरसा में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान किसान बीजेपी के उम्मीदवार अशोक तंवर से पूछ रहे हैं कि जब पहले वह बीजेपी की नीतियों के विरोध में थे तो फिर वह इस पार्टी में शामिल क्यों हुए।
Ashok Tanwar Sirsa: सैलजा से है तंवर की टक्कर
सिरसा लोकसभा सीट से इस बार हरियाणा कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्ष आमने-सामने हैं। बीजेपी ने अशोक तंवर को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से जीत हासिल करने वाली सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर अशोक तंवर को उम्मीदवार बनाया है। 2009 में अशोक तंवर यहां से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे।
किसानों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी उम्मीदवार सुनीता दुग्गल ने उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने का वादा किया था लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कभी भी गांवों का दौरा नहीं किया।

Sirsa Lok Sabha Seat: कौन-कौन बना सांसद
सिरसा सीट को लेकर एक जोरदार तथ्य यह भी है कि बीजेपी 1962 से लेकर आज तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक बार 2019 में जीती थी। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी सिरसा की इस सीट को बचा पाएगी?
साल | कौन बना सांसद | किस दल को मिली जीत |
1962 | दलजीत सिंह | कांग्रेस |
1967 | चौधरी दलबीर सिंह | कांग्रेस |
1971 | चौधरी दलबीर सिंह | कांग्रेस |
1977 | चौधरी चांद राम | जनता पार्टी |
1980 | चौधरी दलबीर सिंह | कांग्रेस (आई) |
1984 | चौधरी दलबीर सिंह | कांग्रेस |
1988 (उपचुनाव) | हेत राम | लोक दल |
1989 | हेत राम | जनता दल |
1991 | कुमारी सैलजा | कांग्रेस |
1996 | कुमारी सैलजा | कांग्रेस |
1998 | सुशील कुमार इंदौरा | इनेलो |
1999 | सुशील कुमार इंदौरा | इनेलो |
2004 | आत्मा सिंह गिल | कांग्रेस |
2009 | अशोक तंवर | कांग्रेस |
2014 | चरणजीत सिंह रोड़ी | इनेलो |
2019 | सुनीता दुग्गल | बीजेपी |
Farmers Protest Haryana: किसानों ने दो महीने तक दिया था धरना
15 गांवों के किसानों ने धिंगतानिया और भंभूर-सलारपुर खरीफ चैनल बनाने की मांग को लेकर दो महीने तक सिरसा में स्थित मिनी सचिवायल के बाहर धरना दिया था। अप्रैल में किसानों ने इस धरने को खत्म कर दिया था। लेकिन कुछ दिन पहले किसानों ने महापंचायत की थी और हरियाणा की सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर 20 मई तक उनकी मांगों को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे बड़ा फैसला ले लेंगे।
सिरसा के खाजा खेड़ा, रंगरी खेड़ा, टीटू खेड़ा, रामनगरिया, धिंगतानिया, मोडिया खेड़ा, नटार, चौबुर्जा और भंभूर आदि गांवों के सैकड़ों किसान दो महीने तक धरने पर बैठे रहे थे।

इन चैनलों के निर्माण की घोषणा 2019 में की गई थी लेकिन इन पर काम शुरू नहीं होने से किसान नाराज हैं। किसान पिछले 15 साल से इस लड़ाई को लड़ रहे हैं।
इसके अलावा किसान इस बात से भी नाराज हैं कि इस साल मार्च में जब वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाना चाहते थे तो सरकार ने उन्हें जाने नहीं दिया था। किसानों ने खुलकर ऐलान किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे भाजपा के नेताओं को गांव में नहीं आने देंगे।
किसान सिरसा के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लोकसभा क्षेत्र करनाल, अंबाला, हिसार में भी बीजेपी उम्मीदवारों और नेताओं का विरोध कर रहे हैं।
किसान बोले- आतंकवादी और खालिस्तानी क्यों कहा?
किसानों का कहना है कि बीजेपी सरकार ने किसानों और मजदूरों का ऋण माफ क्यों नहीं किया। वे पूछते हैं कि केंद्र सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी कब देगी। किसानों का कहना है कि जब उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच किया था तो हरियाणा की पुलिस ने उन्हें आतंकवादी और खालिस्तानी कहा था और अब यह वक्त उन्हें सबक सिखाने का है। इसके अलावा जब किसानों ने पंजाब के बॉर्डर से हरियाणा में आने की कोशिश की थी तो हरियाणा की पुलिस ने उनके खिलाफ गोलियां और ड्रोन का इस्तेमाल क्यों किया था।
सिरसा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस लोकसभा सीट में 9 विधानसभा सीटें आती हैं। इन सीटों के नाम- रानियां, कलांवाली, डबवाली, सिरसा, फतेहाबाद, ऐलनाबाद, नरवाना, टोहाना और रतिया हैं। ऐलनाबाद सीट से अभय चौटाला विधायक हैं लेकिन वह कुरुक्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। सिरसा सीट से निर्दलीय गोपाल कांडा विधायक हैं और वह बीजेपी के साथ हैं। रानियां सीट से निर्दलीय जीते विधायक रणजीत चौटाला हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
डबवाली का इलाका पंजाब की सीमा से सटा हुआ है इसलिए यहां पर किसान आंदोलन का असर ज्यादा है
हरियाणा में 5 महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव भी होने हैं और ऐसे में अगर किसानों का विरोध लगातार जारी रहता है तो बीजेपी को निश्चित तौर पर आगे भी मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है।
Punjab Farmers Protest: पंजाब में भी हो रहा विरोध
हरियाणा से लगते हुए पंजाब में भी कई लोकसभा सीटों पर किसान बीजेपी के उम्मीदवारों का लगातार विरोध कर रहे हैं और उन्होंने जो पोस्टर लगाए हैं उनमें लिखा है कि बीजेपी के उम्मीदवारों का उनके गांव में आना माना है।

Nayab Singh Saini: ग्रामीणों ने रुकवाया सीएम का काफिला
बीते दिन जब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चंडीगढ़ से हिसार आ रहे थे तो दिल्ली रोड बाईपास पर ग्रामीणों ने उनके काफिले को रुकवा दिया था। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से कहा कि रोड का जो बचा हुआ काम है, वह जल्दी पूरा करवाया जाए। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को बताया कि वे पिछले 450 दिनों से यहां धरना दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिया कि जल्द ही इस रोड के संबंध में कार्रवाई शुरू की जाएगी और इसके बाद ही सीएम हिसार के लिए रवाना हो सके।
हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं और इन सभी 10 सीटों पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे। ऐसे में प्रचार के लिए अब आठ दिन ही बाकी हैं और इन दिनों में भाजपा यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व कई बड़े नेताओं की चुनावी रैलियां करवाने की तैयारी कर रही है। लेकिन बीजेपी के प्रत्याशियों और नेताओं का विरोध जिस तरह लगातार बढ़ता जा रहा है, ऐसे में पार्टी के लिए अपने नेताओं की चुनावी रैलियां करवा पाना आसान नहीं होगा।
