Khaleda Zia Relation with India: बांग्लादेश में तनावपूर्ण हालात के बीच मंगलवार सुबह मुल्क की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन हो गया। एक दिन पहले ही खालिदा ने चुनाव के लिए नामांकन किया था। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद फिलहाल मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार चल रही है, और फरवरी में चुनाव होने है। खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल बाद बांग्लादेश में लौटे हैं। ऐसे में खालिदा जिया की मौत के बाद तारिक ही उनकी राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी भी हैं।

खालिदा जिया के राजनीति करियर की बात करें तो वे तीन बार मुल्क की प्रधानमंत्री रहीं थीं। पहली बार 1991 में, दूसरी बार 1996 और तीसरी बार 2001 में उन्होंने सत्ता हासिल की थी। खालिदा जिया ने 2001 से 2006 का कार्यकाल पूरा किया था। आज जब अंतरिम सरकार के रहते हुए बांग्लादेश में जारी हिंसा के चलते भारत और बांग्लादेश में रिश्ते कुछ तनावपूर्ण हैं, तो यह सवाल भी उठते हैं, कि जब खालिदा प्रधानमंत्री थीं तब बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते कैसे थे?

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भारत विरोधी ही रही खालिदा की सोच?

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के भारत के साथ रिश्तों की बात करें तो उन्होंने अपने कार्यकाल में चीन और पाकिस्तान को ज्यादा महत्व दिया। खालिदा जिया ने 1972 की भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि को गुलामी की संधि करार दिया था। इसके अलावा 1996 की गंगा जल साझा संधि को ‘गुलामी का सौदा’ कहा और चटगांव हिल ट्रैक्ट शांति समझौते का भी सख्त विरोध किया था।

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खालिदा जिया के कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश में भारत विरोधी तत्वों को फलने-फूलने का खूब मौका मिला था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने उनके ही कार्यकाल में अपनी स्थिति बांग्लादेश में काफी मजबूत कर ली थी। इसके अलावा पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी समूहों (जैसे यूएलएफए, एनएससीएन) को भी बांग्लादेश में आश्रय दिया था, जिससे बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में काफी खटास आ गई थी।

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पाकिस्तान के लिए सकारात्मक रुख

खालिदा जिया ने बांग्लादेशी सेना में शामिल जिया उर रहमान से शादी की थी। वह बाद में एक बड़े राजनेता बन गए थे। दोनों का बैक्रग्राउंड पाकिस्तान से था। इसके चलते ही खालिदा का रुख हमेशा भारत के साथ टकराव और पाकिस्तान-चीन के समर्थन में दिखता था। साल 2006 में जिया ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। उनकी सबसे चर्चित भारत यात्रा अक्टूबर 2012 में हुई, जब वे विपक्ष की नेता थीं।

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इतना ही नहीं, बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के कार्यकाल के दौरान जब 2013 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे, तब खालिदा ने उनसे मिलने तक से इंकार कर दिया था। प्रणब दा से मिलने से इंकार करने को लेकर जब खालिदा जिया से सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि भारत में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार है, वह शेख हसीना सरकार को कुछ ज्यादा ही तवज्जो देती है।

खालिदा जिया की वजह से हमेशा आई भारत-बांग्लादेश में खटास?

खालिदा जिया अपने दो भारत दौरों के वक्त भारत में यही बोलती रहीं कि वे भारत और बांग्लादेश के रिश्तों को सुधारना चाहती हैं, लेकिन बांग्लादेश लौटने के बाद उनके सुर भारत के लिए हमेशा बदले ही नजर आए। इसीलिए जब भी उन्हें बांग्लादेश की सत्ता मिली, तो भारत-बांग्लादेश के रिश्ते खराब ही हुई, और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की बर्फ जमती ही चली गई।

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