मोदी सरकार (Modi Government) में दो वर्षों से भी अधिक समय से नागर विमानन मंत्रालय संभाल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक – UDAN) योजना के बारे में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखा है। जनसत्ता.कॉम के संपादक विजय कुमार झा (Vijay Kumar Jha) से बातचीत में सिंधिया ने सीएजी की रिपोर्ट से लेकर महंगी हुई हवाई यात्रा तक पर अपनी सफाई दी।
पहले जानिए सीएजी ने ‘उड़ान’ की ऑडिट रिपोर्ट में क्या पाया
सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि ‘उड़ान योजना’ के तहत जितने रूट प्रस्तावित थे, उनमें से 50 प्रतिशत पर ही काम हो पाया। सरकार ने उड़ान योजना के तहत कुल 774 रूट्स चुने थे। इनमें से 403 रूट्स पर उड़ान कभी शुरू ही नहीं हुई।
जिन 371 रूट पर संचालन शुरू हुआ, उनमें से सिर्फ 112 रूट ही 3 साल तक सर्वाइव कर पाए। शेष पहले ही बंद हो गए। मार्च 2023 तक 174 मार्ग परिचालन में हैं। यानी आवंटित कुल मार्गों (774) में से मात्र 22.48 ही परिचालन में हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सीएजी की रिपोर्ट पर क्या कहा
विजय कुमार झा के सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा, “अगर मैं आपके सामने एक ग्लास पानी रख दूं। आप कहोगे यह तीन चौथाई भरा हुआ है लेकिन एक चौथाई खाली है। यह आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। उड़ान योजना का पूरे देश में विकासशील, प्रगतिशील और जनहितैषी प्रभाव रहा है। एक करोड़ 31 लाख लोग, जो कई देशों की आबादी के बराबर है, इतने लोग जो हवाई यात्रा का सपना नहीं दे सकते थे, आज वह उड़ान की वजह से सफर कर पा रहे हैं।”
उड़ान योजना की तारीफ करते हुए सिंधिया आगे कहते हैं, “ऐसे हवाई अड्डे जो दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से बंद हो गए थे, वो उड़ान योजना के तहत खुल गए हैं। ऐसे एयरपोर्ट्स हैं- ओडिशा का झारसुगुड़ा एयरपोर्ट, असम का रूपसी एयरपोर्ट, अजमेर का किशनगढ़ एयरपोर्ट, बिहार का दरभंगा एयरपोर्ट। इन हवाई अड्डों से पांच-पांच लाख यात्री प्रति वर्ष यात्रा कर रहे हैं।”
सिंधिया कहते हैं कि उड़ाना योजना ने चार बच्चों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा, “उड़ान योजना ने चार नए बच्चों को जन्म दिया है। इस योजना ने चार नए रीजनल एयरलाइंस को जन्म दिया है- इंडिया वन एयर, फ्लाइ बिग, फ्लाइ 91 और स्टार एयर। वहीं पूरे देश में नैरो बॉडी एयरक्राफ्ट में अकासा एयरलाइंस ऐसा है, जिसने दो प्लेन से शुरुआत की और महज 12 महीनों में 20 प्लेन तक पहुंच चुकी है।”
घटी है यात्रियों की संख्या- CAG
रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम ‘उड़ान’ के रूट्स पर यात्रा करने वालों की संख्या घटी है। 2021-22 में आरसीएस मार्गों पर 32,99,861 यात्रियों ने सफर किया था। 2022-23 में यह संख्या घटकर 24,97,361 हो गई। साल-दर-साल यात्रियों की संख्या नीचे टेबल में देखें
वर्ष | उड़ान रूट्स पर यात्रियों की संख्या |
2017-18 | 2,63,166 |
2018-19 | 12,40,896 |
2019-20 | 29,91,337 |
2020-21 | 14,98,066 |
2021-22 | 32,99,861 |
2022-23 | 24,97,361 |
यात्रियों की संख्या क्यों घटी?
नागर विमानन मंत्रालय ने सीएजी को यात्रियों की संख्या घटने का कारण बताया था, “वर्ष 2020-21 और 2022-23 को छोड़कर सभी वर्षों में यात्रियों की संख्या में वृद्धि हो रही थी, वर्ष 2020-21 में कोविड के कारण और वर्ष 2022-23 में एक एयरलाइन (टर्बो मेघा एयरवेज) के 42 परिचालन मार्गों के परिचालन बंद होने के कारण, आरसीएस मार्गों पर यात्रियों की संख्या में गिरावट आई।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि विमानन क्षेत्र कोविड- 19 महामारी के बुरे समय से उभर रहा और एयरलाइनों को हवाई परिचालन को फिर से शुरू करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। इस योजना ने एयरलाइनों को देश भर में अप्रचालित और अल्पप्रचालित हवाई अड्डों से परिचालन शुरू करने का अवसर दिया है।
नागर विमानन मंत्रालय ने स्वीकार किया कि हवाई अड्डों की पहचान प्रक्रिया में सुधार हो सकता है। हवाई अड्डों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और एयरलाइनों द्वारा प्रस्तावित उनके कमान क्षेत्र के मूल्यांकन के आधार पर, ऐसे स्थानों का चयन करने के बाद अंतिम रूप देने के लिए एक तंत्र विकसित किया जा सकता है।
नागर विमानन मंत्रालय के उत्तर को इस तथ्य के संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि तीन साल की अवधि पूरी करने वाले 112 मार्गों में से 58 मार्गों पर रियायत अवधि पूरी होने के बाद परिचालन बंद कर दिया गया था। नतीजतन, आरसीएस हवाई अड्डों के विकास/उन्नयन के लिए सार्वजनिक धन खर्च करने बाद भी निरंतरता हासिल नहीं की जा सकी।
हवाई यात्रा महंगी होने पर क्या बोले सिंधिया?
सिंंधिया से यह भी पूछा गया कि पहले लोग 2500 रुपये में हवाई यात्रा कर पा रहे थे लेकिन अब फिर वो दौर आ रहा है, जब हवाई यात्रा के लिए कम से कम 4500 रुपये खर्च करना पड़ रहा है। सरकार इस चुनौती से कैसे निपटने वाली है?
जवाब में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तर्क दिया, “सिविल एविएशन एक सिकलिकल (चक्रीय) इंडस्ट्री है। ऐसा भारत ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। इस इंडस्ट्री में हाई सीजन आता है, फिर लो सीजन आता है। दशहरा से जनवरी तक हाई सीजन रहता है। फरवरी से अप्रैल तक लो सीजन रहता है। फिर मई में बच्चों की छुट्टियां शुरू होती हैं और हाई सीजन दोबारा शुरू हो जाता है। यह वर्षा ऋतु से पहले तक चलता है। जुलाई से सितंबर तक एक बार फिर लो सीजन रहता है। यह चलता रहता है। हवाई यात्रा की डिमांड उसकी कीमत को प्रभावित करता है। हाई सीजन में डिमांड बढ़ती है, तो टिकट की कीमत बढ़ती है। जब लो सीजन में डिमांड घटती है, तो टिकट की कीमत भी घट जाती है। 15-20 साल पहले भारत में दिल्ली-बॉम्बे के टिकट के लिए 15-20 हजार रुपये देने पड़ते थे। अब तीन-चार हजार रुपये में दिल्ली से मुंबई जा सकते हैं।”