Election Commission of India (ECI) Haryana Election/Chunav Results 2024: हरियाणा के चुनाव नतीजों ने देश भर के राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है। तमाम एग्जिट पोल, बड़े-बड़े चुनावी पंडित, हरियाणा की राजनीति के जानकारों के तमाम अनुमान और दावे धरे के धरे रह गए। राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों का यही आकलन था कि हरियाणा में कांग्रेस ही सरकार बनाएगी और एग्जिट पोल के आंकड़े नतीजों में तब्दील होंगे।

उनका अपने इस दावे के पीछे यह तर्क था कि राज्य में बीजेपी के खिलाफ माहौल है और यहां के मतदाता बदलाव चाहते हैं। लेकिन मंगलवार को जब चुनाव नतीजे आए तो दूसरी तस्वीर देखने को मिली।

बीजेपी शानदार प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ अपने दम पर बहुमत हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है बल्कि उसने उन तमाम दावों और तर्कों को भी गलत साबित कर दिया जिनमें यह कहा जा रहा था कि राज्य सरकार के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी है।

चुनाव प्रचार के दौरान गर्म रहा माहौल

हरियाणा की 90 सीटों पर चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने पूरा जोर लगाया। दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा और इस दौरान टीवी, अखबारों और सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर चुनावी माहौल गर्म रहा। चुनाव प्रचार के दौरान हरियाणा में यह सवाल मजबूती से उभरा कि क्या बीजेपी हरियाणा की सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी?

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हरियाणा के नतीजों से यह बात भी पता चलती है कि कांग्रेस ने जिन दावों और तर्कों को चुनाव प्रचार में आधार बनाया था, जनता ने उन्हें वैसी अहमियत नहीं दी जैसी कांग्रेस को उम्मीद थी। हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने मुख्य रूप से जवानों के लिए अग्निवीर योजना, किसानों से संबंधित मुद्दों, महंगाई, बेरोजगारी के साथ ही संविधान और आरक्षण पर खतरा होने की बात को भी दलित समुदाय के साथ ही समाज के अन्य वर्गों के सामने भी रखा था।

कांग्रेस को आशा थी कि लोकसभा चुनाव के दौरान इन मुद्दों का जिस तरह जबरदस्त असर हुआ था, वैसा ही कुछ विधानसभा के चुनाव में भी होगा। लेकिन बीजेपी ने इसकी काट के लिए हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली 2005 से 2014 तक चली सरकार के कामकाज पर हमला बोला।

बीजेपी ने निकाली काट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित हरियाणा बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने हुड्डा सरकार के दौरान ‘खर्ची और पर्ची’ को जोर-शोर से उछाला। ‘खर्ची और पर्ची’ का सीधा मतलब भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद या पक्षपात से है। बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि हुड्डा सरकार के शासन में दलितों पर अत्याचार हुआ।

सीएम बनने की लड़ाई को बीजेपी ने भुनाया

प्रधानमंत्री सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी में मुख्यमंत्री बनने के लिए चल रही लड़ाई को भी लोगों के सामने रखा। पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में कहा कि कांग्रेस में बापू और बेटा भी मुख्यमंत्री बनने के दावेदार हैं। उनका इशारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा की ओर था। जबकि बीजेपी की ओर से स्पष्ट रूप से चेहरा नायब सिंह सैनी ही थे।

कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा भी सरकार बनने की सूरत में मुख्यमंत्री पद की दावेदार थीं।

प्रधानमंत्री ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान इस राज्य से अपने भावनात्मक जुड़ाव को भी लोगों के सामने रखा और कहा था कि हरियाणा ने उन्हें बहुत कुछ दिया और बहुत कुछ सिखाया है।

सैलजा की नाराजगी कांग्रेस को पड़ी भारी

याद दिलाना होगा कि कुमारी सैलजा लंबे वक्त तक चुनाव प्रचार से दूर रही थीं। इसकी एक बड़ी वजह कांग्रेस के एक कार्यकर्ता द्वारा उन्हें लेकर जातिगत टिप्पणी करना थी। इसके विरोध में सैलजा के समर्थक सड़क पर उतर आए थे। बीजेपी ने सैलजा को लेकर की गई इस टिप्पणी को दलितों के अपमान से जोड़ा था और कहा था कि कांग्रेस में जब इतनी वरिष्ठ नेता का सम्मान नहीं है तो दलित समुदाय के आम कार्यकर्ताओं की क्या स्थिति होगी? इसके अलावा टिकट वितरण में भी सैलजा समर्थकों को पार्टी हाईकमान ने ज्यादा टिकट नहीं दिए। निश्चित रूप से कुमारी सैलजा हरियाणा में बड़ा नाम हैं और दलित समुदाय और महिला वर्ग से संबंधित होने की वजह से लंबे वक्त तक उनके चुनाव प्रचार से दूर रहने का नुकसान कांग्रेस को हुआ है।

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लोकसभा चुनाव के बाद आक्रामक हुई बीजेपी

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी ने फ्रंट फुट पर बैटिंग की। गृहमंत्री अमित शाह ने खुद एक बार हरियाणा में चुनावी रणनीति बनाने का मोर्चा संभाला और पार्टी की चुनावी रणनीति बनाने, बूथ मैनेजमेंट करने, उम्मीदवारों का चयन करने के साथ ही चुनाव प्रबंधन से जुड़े पहलुओं को संभाला। उन्होंने हरियाणा में गैर जाट मतदाताओं की अहमियत को समझते हुए ओबीसी वर्ग से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया। हरियाणा में जाट समुदाय के बाद सबसे ज्यादा आबादी ओबीसी वर्ग की ही है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा

राजनीतिक दललोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में)लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में)
कांग्रेस 28.51 43.67
बीजेपी 58.2146.11 

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीटलोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट
कांग्रेस 15131 05
बीजेपी 47740105

सैनी ने खुद को साबित किया

बीजेपी के लिए नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने का ऐलान भी काफी फायदेमंद साबित हुआ। नायब सिंह सैनी ने हाईकमान के द्वारा इतनी बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के मौके का फायदा उठाया और समाज के सभी वर्गों के लिए तमाम बड़े ऐलान किए। सैनी सरकार के बड़े ऐलानों में- 50,000 नौकरियां देना, गरीबी रेखा से नीचे के प्रत्येक परिवार को 100 वर्ग गज के प्लॉट मुफ्त देने से लेकर हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना (HAPPY) के तहत 1,000 किमी तक मुफ्त बस यात्रा, पर्याप्त बुनियादी ढांचे के साथ अनधिकृत आवासीय कॉलोनियों को मंजूरी देना, सभी 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदना भी शामिल है। चुनाव के नतीजों के बाद कहा जा सकता है कि सैनी ने खुद को साबित किया है।

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने ‘म्हारा हरियाणा-नॉनस्टॉप हरियाणा’ नारे के साथ चुनाव प्रचार किया और इस बात को मतदाताओं के बीच पहुंचाया कि बीजेपी ने 10 साल के शासन में हरियाणा में बिना पक्षपात के काम किया है।

हरियाणा में पिछले कुछ सालों में राजनीतिक माहौल बेहद गर्म रहा। पहले जाट आरक्षण आंदोलन, फिर किसान आंदोलन और उसके बाद महिला पहलवानों का आंदोलन। इन आंदोलनों के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी को विधानसभा चुनाव आने पर बहुत नुकसान होगा लेकिन पार्टी ने सधी रणनीति के साथ काम करते हुए इन सभी मसलों पर अपना स्टैंड मजबूती के साथ सामने रखा। बीजेपी ने लोगों तक यह बात पहुंचाई कि कांग्रेस हरियाणा में किसानों, पहलवानों के मुद्दों का राजनीतिकरण कर रही है।