पिछले कई सालों से जबरदस्त आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान में हालात और खराब होते दिखाई दे रहे हैं। एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में 74% लोग अपने महीने के खर्च को चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इस आंकड़े में पिछले साल के मुकाबले 14% की बढ़ोतरी हुई है। 2023 में पाकिस्तान में 60% लोग आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे थे।
हालत इतने खराब हैं कि लोग अपने जरूरी खर्चों में कटौती कर रहे हैं, उधार ले रहे हैं और एक से ज्यादा काम भी करने को मजबूर हैं। ऐसे हालात में पाकिस्तान की आवाम अच्छे भविष्य को लेकर परेशान है।
आर्थिक संकट के साथ ही पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता भी खत्म नहीं होती दिखाई दे रही है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान लंबे वक्त से जेल की सलाखों के पीछे हैं और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का आरोप है कि हुकूमत में बैठी नवाज शरीफ की अगुवाई वाली सरकार उनकी पार्टी को खत्म करने पर आमादा है। पीटीआई पाकिस्तान का मुख्य विपक्षी दल है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जब सत्ता संभाली थी तो उन्होंने मुल्क के हालात सुधारने का वादा किया था लेकिन वह इसमें कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं।
किराने के सामान तक में कर रहे कटौती
ताजा रिपोर्ट पाकिस्तान के 11 बड़े शहरों में 1110 से ज्यादा लोगों के बीच किए गए सर्वे से सामने आई है। यह सर्वे जुलाई से अगस्त के बीच किया गया है। यह सर्वे पल्स कंसल्टेंट की ओर से कराया गया है। सर्वे की रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान में 60% लोग अपने जरूरी खर्चों को कम करने के लिए मजबूर हैं और वे किराने के सामान तक में कटौती कर रहे हैं।
जबकि 40% लोग ऐसे हैं जिन्हें अपनी जान-पहचान वालों से पैसे उधार लेने पड़े हैं। सर्वे के दौरान जिन लोगों से बात की गई, उनमें से 10% लोगों ने कहा कि अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने काम के अलावा पार्ट टाइम काम भी किया है।
रिपोर्ट कहती है कि अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में जुटे लोगों में से 56% लोग किसी भी तरह की बचत नहीं कर पाते और निश्चित रूप से यह हालत खराब आर्थिक हालात की ओर इशारा करती है।
आईएमएफ के बेलआउट पैकेज पर चल रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के सामने आर्थिक संकट के अलावा भी कई बड़ी चुनौतियां हैं। पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कई बेलआउट पैकेज की मांग करनी पड़ी है। आईएमएफ ने इस साल अप्रैल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की तीसरी किश्त दी थी और कहा था कि पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। आईएमएफ ने हाल ही में पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर का एक और बेलआउट पैकेज मंजूर किया है। पाकिस्तान की सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक देश का कुल कर्ज 79,731 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच सकता है।
पीओके में भड़क रहा गुस्सा
पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। पीओके के लोग महंगी बिजली और खाने-पीने के सामानों के महंगा होने की वजह से नाराज हैं। इसे लेकर पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी हो चुके हैं।
आर्मी और सत्ता में टकराव
पाकिस्तान के सामने एक बड़ी चिंता फौज का वहां के शासन में दखल देना भी है। इस वजह से इस पड़ोसी मुल्क की स्थिरता पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में वहां चार बार आर्मी शासक सत्ता में रहे हैं और तीन बार आर्मी तख्तापलट भी कर चुकी है।
साल 2022 में जब इमरान खान को सत्ता से हटना पड़ा था तो यह कहा गया था कि ऐसा आर्मी के दबाव में हुआ है।
आर्थिक सकंट की वजह से देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी है। कुल मिलाकर आर्थिक संकट एक बेहद जटिल मुद्दा बन गया है और इसका देश की स्थिरता और विकास पर खराब असर पड़ रहा है और ऐसे हालात में देश के 24 करोड़ लोग अपने भविष्य के लिए परेशान दिखाई देते हैं।
बहुत महंगा बिक रहा पेट्रोल, डीजल
पाकिस्तान की सरकार ने बढ़ती महंगाई की मार झेल रही जनता पर पिछले महीने एक और बम फोड़ दिया था। सरकार ने जुलाई में पेट्रोलियम कीमतों में 9.99 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी जिसके बाद नई कीमत 275.60 रुपये प्रति लीटर हो गई थी। हाई-स्पीड डीजल की कीमत 6.18 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई थी और इसकी नई कीमत 283.63 रुपये प्रति लीटर हो गई थी।
पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद यह लाजिमी है कि इससे जरूरी चीजों के दाम भी बढ़ेंगे और इसका सीधा असर आम जनता की जेब पर होगा। ऐसे हालात में अवाम की मुश्किलें खत्म होने का कोई रास्ता नहीं दिखाई देता।
पिछले साल पाकिस्तान में जब हालात बेहद खराब हुए थे तो वहां की सरकार को बाजार और मॉल को रात 8:30 बजे के बाद बंद करने का आदेश देना पड़ा था जिससे ऊर्जा की बचत की जा सके।