हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इस बार भी बीजेपी-कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों ने टिकट बंटवारे में जातियों पर दांव लगाया है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने टिकट बंटवारे में इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि उन्हें किस जाति को कितनी अहमियत देनी है। बताना होगा कि हरियाणा की राजनीति में जाट बनाम नॉन जाट समीकरण हावी रहता है।

हरियाणा में नामांकन का दौर खत्म हो चुका है और अब दोनों ही राजनीतिक दल बागी उम्मीदवारों को मनाने के काम में जुटे हुए हैं। 16 सितंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकते हैं। राज्य की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 8 अक्टूबर को मतों की गिनती की जाएगी।

हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट को देखें तो साफ पता चलता है कि बीजेपी ने गैर जाट उम्मीदवारों पर ज्यादा भरोसा जताया है जबकि कांग्रेस का ज्यादा भरोसा जाट उम्मीदवारों पर है।

हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी

समुदाय का नाम आबादी (प्रतिशत में)
जाट 25  
दलित21
पंजाबी8
ब्राह्मण7.5 
अहीर5.14
वैश्य5
राजपूत 3.4 
सैनी 2.9 
मुस्लिम3.8 

हरियाणा की राजनीति में जाट समुदाय की आबादी 25% के आसपास है जबकि बैकवर्ड क्लास यानी पिछड़ा वर्ग की आबादी 33% और दलित समुदाय की आबादी 21% है। यह तीनों बड़े जातीय समूह हरियाणा में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला करते हैं।

कांग्रेस ने जाट समुदाय के 25 और जट सिख समुदाय के 4 नेताओं को टिकट दिया है और ओबीसी वर्ग से 24 उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें तीन मेव-मुस्लिम शामिल हैं। इसके अलावा ब्राह्मण समुदाय से छह, मुस्लिम समुदाय से 5 नेताओं पर भरोसा जताया है। पंजाबी और सिखों को कांग्रेस ने 11 टिकट दिए हैं, जबकि वैश्यों को दो, राजपूत, बिश्नोई और रोड समुदाय को एक-एक टिकट मिला है।

बीजेपी ने जाट समुदाय के 16 और पिछड़ी जातियों से 23 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिसमें दो मेव-मुस्लिम शामिल हैं। इसके अलावा 2 बिश्नोई, 5 वैश्य, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी, 3 राजपूत और अनुसूचित जाति से 17 उम्मीदवार बनाए गए हैं।

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हरियाणा में रोचक हुआ चुनावी मुकाबला। (Source-AAPkaArvind/FB)

बीजेपी ने ओबीसी सैनी को सौंपी कमान

बीजेपी ने इस साल मार्च में लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति में अहम बदलाव करते हुए नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी। नायब सिंह सैनी भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं। पार्टी की कोशिश थी कि ऐसा करके हरियाणा में जातियों के हिसाब से ज्यादा आबादी वाले इस समुदाय के वोट हासिल किए जाएं।

साल 2014 में हरियाणा में सरकार बनाने के बाद से ही बीजेपी ने गैर जाट नेताओं को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया है। पहले साढ़े नौ साल तक पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनने का मौका पार्टी ने दिया।

Rambilas Sharma, Mahendragarh
हरियाणा में बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं रामबिलास शर्मा। (Source-Facebook)

बीजेपी ऐलान कर चुकी है कि राज्य में फिर से सरकार बनने की सूरत में नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री होंगे जबकि कांग्रेस अगर बहुमत लाने में कामयाब रही तो उसके लिए मुख्यमंत्री का चयन कर पाना आसान नहीं होगा। कांग्रेस के पास जाट चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो गैर जाट और दलित चेहरे के रूप में प्रदेश अध्यक्ष उदयभान, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा सहित कई चेहरे हैं।

हरियाणा में जेजेपी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से और इनेलो का बसपा से गठबंधन होने की वजह से दलित समुदाय के वोटों का निश्चित रूप से बंटवारा हो सकता है।