अमेरिका के दौरे पर गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान सुर्खियों में हैं। वाशिंगटन डीसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है।

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वित्त मंत्री के इस बयान का विपक्ष मजाक बना रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वित्त मंत्री के बयान को कुपोषण से जोड़ते हुए लिखा है, ”भूख और कुपोषण में भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर! अब प्रधानमंत्री और उनके मंत्री कहेंगे, ‘भारत में भुखमरी नहीं बढ़ रही है बल्कि दूसरे देशों में लोगों को भूख ही नहीं लग रही है।”  

आखिर क्या थे निर्मला सीतारमण के शब्द?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री से एक महिला पत्रकार ने पूछा कि सप्ताह की शुरुआत में रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर था… आप इसे कैसे देखती हैं? जवाब में सीतारमण ने कहा, ”मैं इसे रुपए की गिरावट के रूप में नहीं बल्कि डॉलर की मजबूती के रूप में देखूंगी। डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। जाहिर है इस स्थिति में अन्य सभी मुद्राएं कमजोर नजर आएंगी। मैं तकनीकी पहलुओं की बात नहीं कर रही।

लेकिन यह सच है कि भारत का रुपया डॉलर का मुकाबला कर रहा है। आप जानते हैं, दरें बढ़ रही हैं, डॉलर की मजबूती होने का एक कारण एक्सचेंज रेट भी है। मुझे लगता है कि भारतीय रुपया ने कई अन्य उभरती मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।” अब सबसे पहले ये जान लेते है कि रुपया कितना कमजोर हुआ है। 10 सितंबर को रुपया 82.68 प्रति डॉलर तक फिसल गया था। उसे अब तक का सबसे निचला स्तर माना जा रहा है।

क्या डॉलर मजबूत हो रहा है?

हां, ये बात सही है कि डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। भारतीय करेंसी का उदाहरण लें तो 1 जनवरी को एक डॉलर की कीमत 74.50 रुपये थी, जो अब 82.30 रुपये से अधिक हो गयी है। और डॉलर सिर्फ रुपया के मुकाबले मजबूत नहीं हुआ। वह दुनिया भर की लगभग हर मुद्रा के मुकाबले शक्तिशाली हुआ है। जो यूरो 1 जनवरी को डॉलर के मुकाबले 0.88 था, वह अब 1.02 हो गया है।

ब्रिटिश पाउंड साल की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले 0.73 था, वह अब 0.89 हो गया है। इस अवधि में  ऑस्ट्रेलियाई डॉलर 1.37 से 1.61 और जापानी येन 115 से बढ़कर 148 हो गया है।

क्या भारतीय रुपया बेहतर कर रहा है?

हां, ये बात भी सही है कि भारतीय करेंसी अन्य मुद्राओं से बेहतर परफॉर्म कर रही है। सितंबर की शुरुआत में रुपया 2.6% गिरकर 81 और 82 पर पहुंचा। उसी समय कोरियाई वॉन में लगभग 6 प्रतिशत की गिरावट आयी। ब्रिटिश पाउंड में को भी लगभग इतना ही ही नुकसान हुआ। ऑस्ट्रेलियाई डॉलर में 4.8% की गिरावट आयी।  स्वीडिश क्रोना, चीनी युआन और फिलीपीन पेसो में क्रमशः 4.6%, 4.1% और 4.1% की गिरावट आई।

आंकड़ों से पता चलता है कि रुपया में तुलनात्मक रूप से कम गिरावट आई है। रुपया में आयी गिरावट यूरो में आयी गिरावट के लगभग बराबर है। सितंबर में यूरो 2.4% लुढका था।

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First published on: 17-10-2022 at 21:04 IST