रणवीर सिंह की फिल्म ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित इस फिल्म का हर किरदार अपने साथ एक अलग कहानी और अलग कलेवर लेकर आता है। फिल्म में ऐसे ही दो किरदारों को लेकर दर्शकों की दिलचस्पी सबसे ज्यादा बढ़ गई है। हम बात कर रहे हैं ‘खनानी ब्रदर्स’ की।

आदित्य धर की इस फिल्म में दिखाया गया है कि पाकिस्तान में बैठे खनानी ब्रदर्स ने न सिर्फ भारत के खिलाफ साजिश रची, बल्कि नकली भारतीय नोटों की बड़े पैमाने पर सप्लाई भी कराई। हालांकि, बड़े पर्दे पर दिखाया गया यह सिर्फ एक छोटा हिस्सा है। असल जिंदगी में अल्ताफ खनानी और जावेद खनानी की आपराधिक कहानी कहीं ज्यादा डरावनी और खतरनाक है। इसमें हवाला का पैसा है, आतंकी फंडिंग है और कई देशों को चूना लगाने वाला अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है।

अल्ताफ-जावेद खनानी की कहानी

खानानी ब्रदर्स असल में दो भाइयों- अल्ताफ खनानी और जावेद खनानी की कहानी है। दोनों ने मिलकर Khanani & Kalia International (KKI) नाम की कंपनी बनाई थी। इस कंपनी के कारनामे इतने बड़े थे कि अमेरिका के ट्रेज़री विभाग ने इसे ट्रांसनेशनल क्रिमिनल ऑर्गनाइजेशन घोषित कर दिया था।

इस कंपनी की शुरुआत कराची के सदर इलाके से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका नेटवर्क दुबई, कनाडा के टोरंटो और ईस्ट अफ्रीका तक फैल गया। 1984 में स्थापित KKI, 1990 के दशक के अंत तक पाकिस्तान की सबसे बड़ी करेंसी ट्रेडिंग कंपनियों में शामिल हो चुकी थी। इसका हवाला नेटवर्क पूरी दुनिया में फैल चुका था।

भारत में नकली नोटों की बाढ़

2000 के दशक में भारत में नकली भारतीय करेंसी की बाढ़ आ गई। ये कोई साधारण फर्जी नोट नहीं थे, बल्कि लगभग असली जैसे दिखने वाले ‘सुपर नोट’ थे। कई मामलों में ये नकली नोट एटीएम मशीनों तक को धोखा दे देते थे।

इन नोटों में उच्च गुणवत्ता का कागज, वॉटरमार्क और सिक्योरिटी फाइबर तक मौजूद थे जो आम तौर पर भारतीय नोटों की सुरक्षा के लिए गोपनीय रखे जाते हैं। दिल्ली पुलिस, एनआईए, डीआरआई और बीएसएफ की जांच में एक ही पैटर्न सामने आया। नकली नोटों की सप्लाई दुबई, काठमांडू, ढाका और कुआलालंपुर जैसे रास्तों से भारत में हो रही थी। इस पूरे नेटवर्क में Khanani & Kalia International जैसी कंपनियों की अहम भूमिका थी, जिससे अल्ताफ और जावेद खनानी भारी मुनाफा कमा रहे थे।

De La Rue विवाद और पाकिस्तानी साजिश

इसी दौरान ब्रिटिश कंपनी De La Rue भी विवादों में आ गई। यह कंपनी दुनिया के कई देशों के लिए बैंकनोट पेपर और सिक्योरिटी टेक्नोलॉजी बनाती है। भारत में 2011 के आसपास आरोप लगे कि इस कंपनी से जुड़े कुछ नोट सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे।

इसके अलावा, यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन वित्त सचिव अरविंद मायाराम को कथित तौर पर अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप भी सामने आए। इस मामले में सीबीआई एफआईआर दर्ज कर चुकी है। जांच में यह भी सामने आया कि 2010–11 के दौरान पाकिस्तान से आने वाले ‘सुपर नकली नोट’, De La Rue के स्पेशल पेपर पर छपे नोटों से मिलते-जुलते थे। हालांकि, कोई सीधा सबूत नहीं मिला, लेकिन इस समानता ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया।

नोटबंदी और जावेद खनानी की रहस्यमयी मौत

अल्ताफ और जावेद खनानी के भारत कनेक्शन को 8 नवंबर 2016 की नोटबंदी से समझा जा सकता है। नोटबंदी के ऐलान के बाद पाकिस्तान में भी हलचल मच गई। हवाला नेटवर्क के ‘किंग’ माने जाने वाले खनानी ब्रदर्स का कारोबार अचानक बैठ गया। 500 और 1000 रुपये के नोट कागज का ढेर बन गए, जो उनके लिए आर्थिक तबाही जैसा था। 4 दिसंबर 2016 को जावेद खनानी की मौत की खबर सामने आई। कहा गया कि वह इमारत की चौथी मंजिल से गिरा था। लेकिन परिवार ने पोस्टमॉर्टम नहीं कराया, जिससे उसकी मौत आज तक रहस्य बनी हुई है।

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आतंकी फंडिंग और अंडरवर्ल्ड कनेक्शन

जावेद खनानी की मौत भले ही रहस्यमयी रही हो, लेकिन खनानी ब्रदर्स का नेटवर्क पूरी तरह उजागर हो चुका था। इन दोनों भाइयों ने दुनिया भर के अपराधियों का काला पैसा सफेद किया। जांच एजेंसियों के मुताबिक, कई ऐसे आतंकी और आपराधिक संगठन थे जो खनानी ब्रदर्स को सीधे नहीं जानते थे, लेकिन KKI के जरिए उनका पैसा सफेद हो रहा था। इसमें ऑस्ट्रेलिया के लेबनानी गैंग, हिजबुल्लाह और अल-कायदा तक शामिल थे।

अल्ताफ खनानी की गिरफ्तारी की कहानी

अल्ताफ खनानी को पकड़ने के लिए अमेरिका की DEA और ऑस्ट्रेलिया की जांच एजेंसियों ने मिलकर पहली बार एक अंतरराष्ट्रीय गुप्त ऑपरेशन चलाया। यह ऑपरेशन इसलिए भी खास था क्योंकि आमतौर पर ऐसे मिशन आतंकियों को पकड़ने के लिए होते हैं, लेकिन इस बार निशाने पर था दुनिया का सबसे बड़ा मनी लॉन्ड्रर।

अंडरकवर एजेंटों ने खुद को ड्रग कार्टेल का हिस्सा बताकर उससे संपर्क किया। जनवरी 2015 में न्यू जर्सी से नकद डॉलर का गुप्त लेन-देन शुरू हुआ। न्यूयॉर्क, अटलांटा और अन्य शहरों में लगातार ट्रांजैक्शन हुए, जबकि खनानी को भनक तक नहीं लगी कि एजेंसियां उसके खिलाफ सबूत जुटा रही हैं।

आखिरकार उसे एक बड़ी डील के बहाने पनामा बुलाया गया। तारीख थी 11 सितंबर 2015। खनानी को लगा कि वह अपने हवाला नेटवर्क को और बड़ा करने जा रहा है, लेकिन जैसे ही वह फ्लाइट से उतरा, DEA अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस तरह हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग की दुनिया का एक बड़ा नाम अल्ताफ खनानी कानूनी शिकंजे में आ गया।

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