दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेकेंड ईयर की छात्र पर दो बाइक सवार युवकों ने एसिड फेंक दिया। आरोपी अभी भी फरार हैं और पीड़िता का अस्पताल में इलाज जारी है। देश में महिलाओं पर एसिड अटैक के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। राज्य बदलते हैं, कारण बदलते हैं, लेकिन ये क्रूरता, ये हैवानियत महिलाओं के खिलाफ नहीं थमती। कानून सख्त बन चुकी है, पुलिस एक्शन भी लेती है, लेकिन आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। चिंता की बात यह भी है कि देश में कई मामले रिपोर्ट तक नहीं होते हैं, ऐसे में असल आंकड़े तक पहुंचना काफी मुश्किल होता है।

भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) की धारा 124 में एसिड अटैक को परिभाषित किया गया है। अगर किसी भी इंसान पर तेजाब फेंककर, पिलाकर, या किसी भी अन्य तरीके से उसके शरीर को स्थायी या आंशिक नुकसान पहुंचाया जाता है, गंभीर चोट पहुंचाने की कोशिश होती है, इसे एसिड अटैक माना जाएगा। भारत का कानून कहता है कि ऐसे मामलों में आरोपी को 10 साल तक की सजा हो सकती है, जुर्माना अलग लगेगा।

एसिड अटैक मामले एशियाई देशों में सबसे ज्यादा देखे गए हैं। यहां भी बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, कोलंबिया और कंबोडिया वो प्रमुख देश हैं जहां सबसे ज्यादा केस दर्ज हुए। अगर National Crime Record Bureau (NCRB) के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत में पिछले पांच सालों में एसिड अटैक के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। यहां भी Acid Survivor Foundation के मुताबिक 70 फीसदी मामलों में पीड़ित कोई महिला है।

National Center For Biotechnology Information ने एसिड अटैक्स को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। 2024 में प्रकाशित हुई उस रिपोर्ट में बताया गया कि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश दो ऐसे राज्य रहे जहां पर सबसे ज्यादा एसिड अटैक के केस सामने आए। वहीं बात जब महानगरों की आती है तो राजधानी दिल्ली इस मामले में टॉप पर है। यहां एक अच्छी बात यह रही कि शहरों की तुलना में महानगरों में चार्जशीट दर ज्यादा बेहतर है यानी कि मामले कम से कम दर्ज हो रहे हैं।

क्रमवर्षएसिड हमले की घटनाएं
12017244
22018228
32019240
42020182
52021176
सोर्स: pmc.ncbi

अगर अलग-अलग राज्यों के लिहाज से स्थिति को समझा जाए तो तस्वीर और स्पष्ट हो सकती है। एसिड अटैक के मामले में हर राज्य में दर्ज हो रहे हैं, कई सालों से हो रहे हैं। कुछ साल के आंकड़े सरकार ने ही उपलब्ध करवा रखे हैं। pmc.ncbi वेबसाइट का अगर रुख किया जाए तो 2018 से 2021 तक के आंकड़े मिल जाते हैं। नीचे दी गई चार टेबलों से आसानी से इस ट्रेंड को समझने की कोशिश करते हैं-

राज्य2018 में एसिड अटैक के कुल मामले
पश्चिम बंगाल50
उत्तर प्रदेश40
ओडिशा13
पंजाब12
बिहार12
दिल्ली (राज्य)11
तेलंगाना10
गुजरात9
मध्य प्रदेश9
केरल8
राजस्थान8
सोर्स: pmc.ncbi

2019 को लेकर भी टॉप 10 राज्यों की लिस्ट मिलती है जहां पर एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए हैं। टॉप पर पश्चिम बंगाल और तो वहीं 10वें नंबर पर राजस्थान आता है।

राज्य2019 में एसिड अटैक के कुल मामले
पश्चिम बंगाल50
उत्तर प्रदेश45
बिहार15
मध्य प्रदेश12
पंजाब11
ओडिशा10
दिल्ली (राज्य)10
तेलंगाना10
गुजरात10
महाराष्ट्र10
सोर्स: pmc.ncbi

साल 2020 की बात करें तो स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आता है, टॉप पर एक बार फिर पश्चिमं बंगाल का नंबर आता है वहीं 10वें नंबर पर कर्नाटक आता है। नीचे दी गई टेबल से ट्रेंड को समझें-

राज्य2020 में एसिड अटैक के कुल मामले
पश्चिम बंगाल51
उत्तर प्रदेश30
मध्य प्रदेश13
ओडिशा11
केरल11
गुजरात8
आंध्र प्रदेश7
महाराष्ट्र7
हरियाणा6
पंजाब6
कर्नाटक5
सोर्स: pmc.ncbi

2021 पर चला जाए तो पता चलता है कि पश्चिम बंगाल की हालत में तो कोई सुधार नहीं होता है, वहीं 10वें पायदान पर तमिलनाडु आता है, नीचे दी गई टेबल में देखें-

राज्य2021 में एसिड अटैक के कुल मामले
पश्चिम बंगाल34
उत्तर प्रदेश22
राजस्थान15
महाराष्ट्र12
गुजरात11
हरियाणा11
केरल10
दिल्ली (राज्य)9
असम8
मध्य प्रदेश7
तमिलनाडु7
सोर्स: pmc.ncbi

वैसे भारत में तो एसिड अटैक के कई मामले सामने आ ही रहे हैं, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में तो हालात और विस्फोटक हैं। Acid Survivors Foundation (ASF) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल औसतन 200 एसिड अटैक के मामले सामने आते हैं। An Epidemiological study of Acid Burn Incidents in Pakistan की रिपोर्ट तो कहती हैं कि यहां भी 80 फीसदी पीड़िताएं महिलाएं ही हैं। एक और रिपोर्ट कहती है कि 1999 से 2019 के बीच तक पाकिस्तान में एसिड अटैक के 3400 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। इसका मतलब स्पष्ट है, एशियाई देशों में एसिड अटैक की समस्या काफी गंभीर है और महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं।