दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पहली बार कोई चुनाव लड़ा था। तब उसे दिल्ली की 70 में से 28 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को 8 और बीजेपी को 31 सीटों पर जीत मिली थी।
2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को दिल्ली में क्रमशः 67 और 62 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और बीजेपी को 3 और 8 सीटें मिली थी।
लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को जिस तरह का प्रचंड समर्थन दिल्ली की जनता की ओर से मिलता है लोकसभा चुनाव में ऐसा देखने को नहीं मिलता। जबकि बीजेपी के मामले में ठीक इसका उल्टा होता है। बीजेपी को दिल्ली की जनता ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में बहुत कम सीटें दी हैं लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनावों में लगातार दोनों बार सातों सीटों पर उसे जीत मिली है।
नीचे की टेबल से समझिए कि दिल्ली में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा है।
साल | बीजेपी को मिली सीटें | आप को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
2013 विधानसभा चुनाव | 31 | 28 | 8 |
2014 लोकसभा चुनाव | 7 | 0 | 0 |
2015 विधानसभा चुनाव | 3 | 67 | 0 |
2019 लोकसभा चुनाव | 7 | 0 | 0 |
2020 विधानसभा चुनाव | 8 | 62 | 0 |
अगर विधानसभा चुनाव में मिली सीटों के लिहाज से देखें तो 2013 में आम आदमी पार्टी तीन जबकि बीजेपी चार लोकसभा सीटों पर आगे रही थी। इसी तरह 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिहाज से भी आम आदमी पार्टी सभी सात लोकसभा सीटों पर आगे रही थी।

Arvinder Singh Lovely BJP: कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए लवली
आंकड़ों से साफ पता चलता है कि अगर पिछला ट्रेंड कायम रहा तो लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को खाता खोलने में मुश्किल होगी। हालांकि गठबंधन के सहयोगी के रूप में उसके साथ कांग्रेस है लेकिन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस दिल्ली में बेहद कमजोर है। चुनाव के दौरान ही मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और दो पूर्व विधायक सहित कई नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा चुके हैं।
बीजेपी की कोशिश 2014 और 2019 के चुनावी प्रदर्शन को दोहराने की है लेकिन लेकिन इस बार उसके सामने इंडिया गठबंधन की चुनौती है। गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

इसी वजह से बीजेपी ने टिकट बंटवारे में भी काफी सधे हुए कदम रखे और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीते सात में से छह सांसदों का टिकट काट दिया। सिर्फ एक सीट पर मनोज तिवारी को पार्टी ने फिर से उम्मीदवार बनाया।