रोहतक से कांग्रेस के लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को उठाया है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव बिल्कुल नजदीक आ चुके हैं और ऐसे में हुड्डा के अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लोकसभा में उठाने को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि हरियाणा में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं।
क्या दीपेंद्र हुड्डा के द्वारा अहीर रेजिमेंट की मांग को उठाए जाने से कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा के चुनाव में कोई फायदा हो सकता है?
हुड्डा ने एक हाल ही में एक बैठक के दौरान अहीर रेजिमेंट की लड़ाई लड़ने के अपने संकल्प को दोहराया और लोगों को इस बात का भरोसा दिलाया कि अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती है तो कैबिनेट की पहली बैठक में अहीर रेजिमेंट की मांग को प्राथमिकता के साथ उठाया जाएगा और इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि अहीर भाइयों के राष्ट्र के प्रति समर्पण और बलिदान को देखते हुए भारतीय सेना में बिना देर किए अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी और उसके नेताओं से सवाल पूछा था कि बीजेपी सरकार ने अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को क्यों ठुकराया। उन्होंने कहा था कि ऐसा करके बीजेपी ने अहीरवाल के लोगों से वोट मांगने का अपना हक खो दिया है क्योंकि उसने अग्निवीर जैसी योजनाएं लागू करके और अहीर रेजिमेंट की मांग को खारिज करके युवाओं की उम्मीदों को तोड़ दिया है।

कांग्रेस के पास हरियाणा में पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव और राव दान सिंह एक बड़े यादव चेहरे के रूप में हैं। जबकि भाजपा के पास गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के रूप में एक बड़ा यादव चेहरा है। हरियाणा में तो यादव सभा राव इंद्रजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी उठा चुकी है।
राव इंद्रजीत सिंह भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट बनाए जाने का खुलकर समर्थन कर चुके हैं।
अहीरवाल का इलाका
हरियाणा में दक्षिण हरियाणा के इलाके को अहीरवाल कहा जाता है। इसके पीछे वजह यह है कि इस इलाके की कई विधानसभा सीटों पर यादव मतदाताओं की अच्छी संख्या है। अहीरवाल के इलाके में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुड़गांव के जिले आते हैं।
अहीरवाल इलाके में 11 विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों के नाम- गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, पटौदी, नारनौल, नांगल चौधरी, बावल, कोसली और अटेली हैं।

अहीर रेजिमेंट की मांग
बीते कुछ सालों में अहीर रेजिमेंट की मांग जोर-शोर से उठी है और दिल्ली-एनसीआर में यादव समुदाय के लोग इसे लेकर काफी मुखर रहे हैं। उनका कहना है कि अहीर रेजिमेंट यादव समाज का हक है और उन्हें यह हक मिलना ही चाहिए। इसे लेकर गुड़गांव में आंदोलन भी हो चुका है और सोशल मीडिया पर भी अहीर रेजिमेंट की आवाज को बड़े पैमाने पर उठाया जा चुका है।
अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग के दौरान 1962 में रेज़ांग ला की लड़ाई में हरियाणा के अहीर सैनिकों की बहादुरी की कहानी को बड़े पैमाने पर लोगों के सामने रखा गया। पूर्वी लद्दाख के रेज़ांग ला में 13 कुमाऊं के अहीर सैनिकों ने चीनी हमले का पुरजोर विरोध किया था। यह लड़ाई 18 नवंबर 1962 को 17,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ी गई थी।
यादव समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके समुदाय के नाम से एक पूरी इन्फेंट्री रेजीमेंट बनाई जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान में यादव समुदाय के लोगों की अच्छी आबादी है और इस वजह से सोशल मीडिया पर अहीर रेजिमेंट की आवाज को मजबूती मिली। अहीर समुदाय के लोगों का कहना है कि अगर राजपूत, जाट रेजिमेंट हो सकती है तो अहीर रेजिमेंट भी बनाई जानी चाहिए।
अहीर समुदाय की लगातार मांग के बाद भी भारतीय सेना और केंद्र सरकार का कहना है कि जाति, समुदाय, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नई रेजिमेंट का गठन नहीं किया जाएगा। डोगरा, सिख, राजपूत और पंजाब जैसी मौजूदा रेजिमेंट इसी तरह रहेंगी।

अहीर धाम स्मारक की स्थापना
अहीर रेजिमेंट की लगातार मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने हाल ही में पूर्वी लद्दाख के चुशुल सेक्टर में अहीर धाम स्मारक की स्थापना की है। यह स्मारक रेज़ांग ला की लड़ाई में लड़ने वाले अहीर सैनिकों की वीरता का सम्मान करने के लिए बनाया गया है। चीन के साथ लगती सीमा पर एलएसी के पास यह स्मारक बनाया गया है।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में विशेषकर अहीरवाल के इलाके में अहीर रेजिमेंट के गठन का मुद्दा कांग्रेस जोर-शोर से उठा सकती है। दीपेंद्र हुड्डा ने इसकी मांग लोकसभा में उठाकर निश्चित रूप से यादव मतदाताओं के बीच यह संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस अहीर रेजिमेंट के हक में पूरी ताकत के साथ खड़ी है। इसका कुछ हद तक कांग्रेस को फायदा हो सकता है।
बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन खराब रहा है।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस को मिली 5-5 सीटें
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
अहीरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह की जीत का अंतर भी काफी घट गया है। राव इंद्रजीत सिंह ने पिछला चुनाव 3.86 लाख वोटों से जीता था जबकि इस बार उन्हें 75000 वोटों से जीत मिली है।
मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाए जाने से भी राव इंद्रजीत सिंह नाराज दिखाई देते हैं।
बीजेपी को कांग्रेस के द्वारा अहीर रेजिमेंट की मांग को उठाने से अहीरवाल के इलाके में यादव समाज के मतदाताओं को इस मुद्दे पर जवाब देना मुश्किल हो सकता है क्योंकि केंद्र सरकार स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि वह अब जाति, समुदाय, धर्म और क्षेत्र के आधार पर नई रेजीमेंट का गठन नहीं करेगी। ऐसी हालत में अहीरवाल में यादव मतदाता कांग्रेस की ओर जा सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर इसका नुकसान हो सकता है।