EVM Battery Tampering Allegations: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि कुछ उम्मीदवारों ने पार्टी को बताया है कि जिन EVM की बैटरी 99% तक चार्ज थी, वहां पर पार्टी को हार मिली जबकि जहां पर EVM की बैटरी 60 से 70% तक चार्ज थी, वहां कांग्रेस जीत गई। पार्टी का कहना है कि वह इस मामले में चुनाव आयोग के पास जाएगी।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी हरियाणा के चुनाव नतीजे को लेकर ट्विटर के जरिए अपनी शिकायत दर्ज कराई है। ऐसा नहीं है कि EVM को लेकर पहली बार सवाल उठे हैं।
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बताना होगा कि 90 सदस्यों वाली हरियाणा की विधानसभा में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिली है। इनेलो के खाते में दो सीटें गई हैं और तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। कांग्रेस को सरकार बनाने की उम्मीद थी लेकिन उसे झटका लगा है।
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर यह आरोप लगता है कि जब भी चुनाव नतीजे उनके खिलाफ आते हैं तो वे EVM पर सवाल उठाते हैं जबकि जब भी वे जीत जाते हैं तब वे EVM को लेकर खामोश हो जाते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भी विपक्षी राजनीतिक दलों ने EVM में गड़बड़ी का सवाल उठाया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। हालांकि चुनाव आयोग का स्पष्ट रूप से कहना है कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के इस आरोप को भी दरकिनार किया है कि EVM को हैक किया जा सकता है।
बहरहाल, इस बार कांग्रेस ने EVM की बैटरी कितनी चार्ज है, इसे लेकर सवाल खड़ा किया है। ऐसे में जानना जरूरी होगा कि EVM की बैटरी कैसे काम करती है, इसे बदले जाने की क्या प्रक्रिया है?
EVM (बिजली के बजाय) अल्कलाइन बैटरियों पर चलती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि इन्हें उन क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सके जहां बिजली का इंतजाम नहीं है। चुनाव आयोग के मुताबिक, EVM की कंट्रोल यूनिट (CU) में 7.5 वोल्ट या 8 वोल्ट का पावर पैक होता है और EVM से जुड़ी VVPAT यूनिट का भी अपना 22.5 वोल्ट का पावर पैक होता है।
कौन बनाता है EVM की बैटरी?
EVM की बैटरियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के द्वारा बनाई जाती हैं।
क्या कहता है चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग के FAQ सेक्शन में कहा गया है- “CU और VVPAT के पावर पैक्स की समय-समय पर निगरानी की जाती है और कंट्रोल यूनिट बैलेंस पावर की स्थिति को ‘हाई’, ‘मीडियम’, ‘लो’, ‘मार्जिनल’ और ‘बैटरी बदलें’ के साथ प्रतिशत में दिखाती है। कंट्रोल यूनिट द्वारा ‘बैटरी बदलें’ दिखाए जाने पर पावर पैक को ‘रिजर्व’ पावर पैक से बदला जाता है। यह ‘रिजर्व’ पावर पैक सेक्टर ऑफिसर्स के पास होती हैं।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, एक नई बैटरी आमतौर पर पूरे चुनाव और मतगणना की प्रक्रिया के लिए काफी होती है और कभी-कभी फिर से चुनाव होने पर भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
डिस्प्ले यूनिट तब तक “99%” चार्ज दिखाती है जब तक बैटरी की विद्युत क्षमता 7.4 वोल्ट और 8 वोल्ट के बीच होती है। लेकिन जब बैटरी का स्तर 7.4 वोल्ट से नीचे आता है तो यह जितनी बैटरी चार्ज है, उसे दिखाता है। जब बैटरी 5.8 वोल्ट पर पहुंचती है तो डिस्प्ले यूनिट पर बैटरी बदलने का संकेत दिखाई देता है।
EVM की बैटरी कितनी देर तक चलेगी, यह उसके इस्तेमाल पर निर्भर करता है।
EVM की बैटरी कैसे बदली जाती है?
किसी भी चुनाव से पहले फर्स्ट लेवल जांच के समय EVM में नई बैटरी लगाई जाती है। इस बारे में राजनीतिक दलों को पहले से ही बता दिया जाता है और उनके प्रतिनिधि भी EVM की जांच के दौरान वहां मौजूद रह सकते हैं।
वोटिंग वाले दिन मतदाताओं के वोटिंग सेंटर के अन्दर जाने से पहले उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों की मौजूदगी में एक मॉक पोल भी कराया जाता है। अगर मतदान के दौरान बैटरी का स्तर कम हो जाता है और बैटरी को बदलना पड़ता है तो ऐसा उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों की उपस्थिति में ही किया जाता है।
ईसीआई कहता है “अगर कंट्रोल यूनिट का पावर पैक ठीक से काम नहीं करता है या बैटरी कम दिखाता है तो इसका पावर पैक बदल दें। इसके लिए पीठासीन अधिकारी मतदान एजेंटों और सेक्टर अधिकारी के सामने कंट्रोल यूनिट का पावर पैक बदल देगा और इसके बैटरी सेक्शन को फिर से सील कर देगा और उनके दस्तखत भी लेगा।”
पहले भी उठे हैं सवाल
पिछले साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने EVM पर सवाल उठाए थे। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद सपा और बसपा ने भी EVM से चुनाव कराए जाने पर सवाल खड़े किए थे।