हरियाणा में सरकार बनाने के हसीन ख्वाब देख रही कांग्रेस के रास्ते में सबसे बड़ी मुश्किल दिग्गजों के बीच सीएम के चेहरे को लेकर चल रही लड़ाई है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दिग्गजों की इस लड़ाई से होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए ही किसी भी नेता को पार्टी का चेहरा घोषित नहीं किया है क्योंकि पार्टी को इस बात का डर है कि अगर वह किसी नेता को चेहरा बनाएगी तो इससे पार्टी में घमासान बढ़ेगा और चुनाव में उसे नुकसान होगा।
पिछले कुछ दिनों में जिस तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही है, उसे देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को सख्त रूख अख्तियार करना पड़ा है।
इसलिए कांग्रेस नेतृत्व ने संदेश दिया है कि सांसदों को विधानसभा चुनाव में नहीं उतारा जाएगा।
लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को उम्मीद है कि वह राज्य में सरकार बना सकती है लेकिन पार्टी नेताओं के बीच मुख्यमंत्री बनने की चाहत से चुनाव में नुकसान होने के खतरे भी वह अनजान नहीं है।
सीएम की कुर्सी के हैं तीन दावेदार
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने जब कुछ दिन पहले यह स्पष्ट रूप से कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हरियाणा में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे तो हरियाणा में नई राजनीतिक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने की सूरत में तीन नेता मुख्य रूप से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और राज्यसभा के सांसद रणजीत सिंह सुरजेवाला का नाम शामिल है।
एक चौथे नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह भी पहले पार्टी के दिग्गज नेता हुआ करते थे लेकिन 10 साल तक बीजेपी में रहने के बाद वह कुछ महीने पहले ही कांग्रेस में लौटे हैं। इसलिए सीएम पद के लिए उनका नाम दौड़ में नहीं है।
पिछली सरकारों में मुख्यमंत्री रहे थे हुड्डा
2005 से 2014 तक हरियाणा में कांग्रेस की सरकार रही थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस सरकार में मुख्यमंत्री रहे थे।
बाबरिया के बयान के बाद कुमारी सैलजा कह चुकी हैं कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती हैं। हालांकि उन्होंने पार्टी के अनुशासन को ध्यान में रखते हुए यह भी कहा कि वह इस मामले में पार्टी नेतृत्व के फैसले का पालन करेंगी।
बड़ा दलित चेहरा हैं कुमारी सैलजा
कुमारी सैलजा चार बार लोकसभा की सांसद रही हैं और एक बार राज्यसभा में भी जा चुकी हैं। वह भारत सरकार में मंत्री और हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष रही हैं। उनके पिता चौधरी दलबीर सिंह भी कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार थे। कुमारी सैलजा दलित समुदाय से आती हैं और वह दलित समुदाय को भागीदारी दिए जाने के नाम पर मुख्यमंत्री पद पर दावा कर सकती हैं। कुमारी सैलजा सिरसा के अलावा अंबाला सीट से भी सांसद रही हैं।
जाट वोटों के लिए हुड्डा का सहारा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा कांग्रेस में जाट समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं। हरियाणा में जाट समुदाय की आबादी 25% के आसपास है। रोहतक, झज्जर, सोनीपत, के इलाकों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा बड़ा नाम हैं। इस लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने अधिकतर समर्थकों को चुनाव जितवाकर कांग्रेस हाईकमान को अपनी ताकत का एहसास कराया है। लोकसभा चुनाव में रोहतक, हिसार, सोनीपत की सीटों पर हुड्डा समर्थक चुनाव जीते हैं। रोहतक सीट से उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को बड़ी जीत मिली है।
कांग्रेस नेतृत्व हरियाणा में जाट मतों के लिए हुड्डा के ही भरोसे है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा दो बार रोहतक की सीट से लोकसभा के सांसद रहे थे।
Rohtak Lok Sabha Election Result: रोहतक से अब तक कौन-कौन पहुंचा संसद
साल | कौन बना सांसद | किस दल को मिली जीत |
1952 | रणबीर सिंह हुडा | कांग्रेस |
1957 | रणबीर सिंह हुडा | कांग्रेस |
1962 | लहरी सिंह | भारतीय जन संघ |
1967 | चौधरी रणधीर सिंह | कांग्रेस |
1971 | मुख्तियार सिंह मलिक | भारतीय जन संघ |
1977 | शेर सिंह | जनता पार्टी |
1980 | इंद्रवेश स्वामी | जनता पार्टी (सेक्युलर) |
1984 | हरद्वारी लाल | कांग्रेस |
1987 (उपचुनाव) | हरद्वारी लाल | लोकदल |
1989 | चौधरी देवीलाल | जनता दल |
1991 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
1996 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
1998 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
1999 | इंद्र सिंह | इनेलो |
2004 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2005 (उपचुनाव) | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2009 | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2014 | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2019 | डॉ. अरविंद शर्मा | बीजेपी |
2024 | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
सुरजेवाला की भी है सियासी ख्वाहिश
रणदीप सिंह सुरजेवाला की भी सियासी ख्वाहिश हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने की है। सुरजेवाला को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला विधायक और सांसद रहे थे। सुरजेवाला ने 1996 और 2005 में हरियाणा की राजनीति के दिग्गज ओमप्रकाश चौटाला को चुनाव हराया था। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रहते हुए सुरजेवाला ने एक अलग पहचान बनाई। कर्नाटक में उनके प्रभारी रहते हुए ही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी। पिछले कुछ महीनों से सुरजेवाला जींद, कैथल के इलाकों में काफी पसीना बहा रहे हैं।
विधानसभा चुनाव लड़ने के मामले में सुरजेवाला भी यही कह चुके हैं कि वे पार्टी नेतृत्व के फैसले का पालन करेंगे।
क्यों परेशान हैं सैलजा और सुरजेवाला?
बाबरिया के बयान के बाद कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला इसलिए परेशान दिखाई देते हैं क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विधानसभा चुनाव लड़ना तय है और वह वर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। हुड्डा रोहतक जिले की गढ़ी-सांपला किलोई सीट से चार बार विधायक रहे हैं और इस बार भी इस सीट से उनका जीतना लगभग तय है। अगर कांग्रेस को हरियाणा में बहुमत मिला और पार्टी हाईकमान ने विधायकों में से ही मुख्यमंत्री का चुनाव किया तो हुड्डा का नाम निश्चित रूप से आगे हो जाएगा। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह को भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का ही समर्थक माना जाता है।
इन सब बातों को देखते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं।
गढ़ी-सांपला किलोई में पिछले पांच विधानसभा चुनाव के नतीजे
विधानसभा चुनाव | कौन जीता | विजेता राजनीतिक दल |
2000 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2005 | कृष्ण हुड्डा | कांग्रेस |
2009 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2014 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2019 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
दूसरी ओर, बीजेपी अपने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ही पार्टी का चेहरा बनाने का ऐलान कर चुकी है और इसको लेकर पार्टी के भीतर किसी तरह की नाराजगी की आवाज नहीं सुनाई नहीं दी।
हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा निश्चित रूप से भारी भरकम नेता हैं और यह कहा जाता है कि राव इंद्रजीत सिंह, अशोक तंवर, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी जैसे बड़े नेता हुड्डा के प्रभाव के चलते ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए।
किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस
हरियाणा में कांग्रेस को उम्मीद है कि वह लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को बरकरार रखने में कामयाब होगी। कांग्रेस का दावा है कि हरियाणा में किसान केंद्र की भाजपा सरकार से नाराज हैं। इसके अलावा महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के मामले को भी कांग्रेस ने जोर-शोर से उठाया है। पार्टी अग्निवीर योजना को हरियाणा के युवाओं से धोखाधड़ी बता रही है और महंगाई, बेरोजगारी कानून और व्यवस्था के मुद्दों पर भी चुनाव लड़ रही है।
कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के विधानसभा चुनाव लड़ने की ख्वाहिश को लेकर कांग्रेस हाईकमान क्या फैसला लेता है और टिकटों का बंटवारा हरियाणा में किस तरह होगा, इन बातों से ही काफी हद तक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का रास्ता तैयार होगा।