इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 जारी है। 28 जुलाई से 8 अगस्त तक चलने वाले इस इवेंट में 72 देशों के 4500 से ज्यादा एथलीट्स ने हिस्सा लिया है। भारत से पहुंचे 215 एथलीट 16 विभिन्न खेलों में पदक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट के पदक भी बहुत खास होते हैं। आइए जानते हैं कि हर 4 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह के पदक में इस बार क्या खास है?
छात्रों ने बनाया है पदक
कॉमनवेल्थ गेम्स में तीन पदक होते हैं- स्वर्ण पदक, रजत पदक और कांस्य पदक। किसी भी गेम में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले को स्वर्ण पदक, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले को रजत पदक और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले को कांस्य पदक मिलता है। कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए इन तीनों पदक को डिजाइन किया है बर्मिंघम स्थित स्कूल ऑफ ज्वेलरी तीन छात्रों Amber Alys, Francesca Wilcox और Catarine Rodrigues Caeiro ने।
दरअसल पदक को डिजाइन करने के लिए स्कूल ऑफ ज्वेलरी और बर्मिंघम 2022 की टीम ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी। उसमें इन तीनों छात्रों ने अलग-अलग भाग लिया था। जजों ने उनकी एंट्री को परखा और फिर तीनों की टीम बनाकर पदक डिजाइन करने का काम सौंपा। पदक के अलावा इन्होंने उस रिबन को डिजाइन किया जिसमें पदक टंगा हुआ है। साथ ही वह बॉक्स भी डिजाइन किया है, जिसमें पदक को रखा जा रहा है।
पदक की डिजाइन में क्या है संदेश?
पदक पर उभरा डिजाइन बर्मिंघम क्षेत्र की सड़क और नहर नेटवर्क के हवाई मानचित्र का प्रतीक है। डिजाइनरों ने एथलीट्स की प्रतिस्पर्धा से प्रेरणा लेते हुए उनकी यात्रा को पदक पर दिखाने की कोशिश की है। पदक पर उभरा हुआ डिजाइन इसलिए भी बनाया गया ताकि एथलीट्स और विशेष रूप से दृष्टिबाधित लोग उसे छूकर महसूस कर सकें। पदक से जुड़ा रिबन एडजस्टेबल है।
बर्मिंघम में ज्वेलरी बनाने का काम 200 वर्ष से पुराना है। इस शहर की बनी ज्वेलरी विश्व प्रसिद्ध हैं। पदक बनाने की जिम्मेदारी भी बर्मिंघम के ही एक अनुभवी कंपनी को दी गई थी। एक दिलचस्प बात यह भी है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के किसी प्रतिस्पर्धा में प्रथम आने आले खिलाड़ी को जो गोल्ड मेडल दिया जाता है, वह सोने का नहीं होता। स्वर्ण पदक चांदी से बना होता, जिस पर सोने की परत चढ़ी होती है। हालांकि रजत पदक चांदी और कांस्य पदक कांस्य से ही बना होता है।
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