Yogi Adityanath Hindutva Pitch Batenge to katenge: टीवी चैनलों से लेकर अखबारों और सोशल मीडिया के अलावा नुक्कड़-चौराहों पर होने वाली राजनीतिक बहस पर आप गौर करेंगे तो इन दिनों एक ही नारे की चर्चा आपको लगभग हर जगह मिलेगी। यह नारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का है।

अगस्त में जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना मुल्क छोड़ना पड़ा था और बांग्लादेश के हिंदू समुदाय पर हमले की खबरें सामने आई थी तब योगी आदित्यनाथ ने इस नारे को गढ़ा था। उसके बाद उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव और महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव तक में इस नारे की गूंज सुनाई दे रही है।

सोशल मीडिया के बेहद तेज रफ्तार वाले दौर में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को लेकर हो रही बयानबाजी को लेकर सपा और बीजेपी के बीच उत्तर प्रदेश में पोस्टर वार भी चल रहा है। सवाल यह है कि क्या यह नारा महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव और उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के उपचुनाव में असर करेगा?

इस नारे को लेकर कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों ने तो बीजेपी और योगी आदित्यनाथ की आलोचना की ही है, महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी इस नारे से किनारा कर लिया है।

क्यों दिया था योगी ने नारा?

योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर विपक्ष की चुप्पी पर निशाना साधा था और इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया था। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि दुनिया भर के मुद्दों पर बोलने वाला विपक्ष बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों के नष्ट होने और हिंदुओं पर हमले को लेकर चुप है।

अगर आप पूरे राजनीतिक माहौल को गौर से देखेंगे तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद से ही योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व की पिच पर खुलकर खेल रहे हैं। सितंबर में जब उनकी सरकार ने खाने-पीने, होटल, ढाबों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे इसे लेकर भी यूपी में खूब बयानबाजी हुई थी।

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कांवड़ यात्रा रूट वाले आदेश पर सियासत

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने निर्देश दिया था कि कोई भी व्यक्ति खाने-पीने की चीजों में किसी भी तरह की मिलावट न कर सके और अपनी पहचान न छुपाए। जुलाई में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा था कि कांवड़ यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाले सभी रेस्तरां, सड़क किनारे ढाबों और खाने-पीने के ठेले चलाने वालों को अपनी दुकानों के बाहर नाम लिखना जरूरी होगा। तब भी इस आदेश को लेकर माहौल गर्म हो गया था। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे सामाजिक अपराध करार दिया था और अन्य विपक्षी नेताओं ने योगी इस नियम को भेदभावपूर्ण बताया था।

यह विवाद इतना आगे बढ़ गया था कि बीजेपी के सहयोगी दलों ने भी इस आदेश को लेकर चिंता जताई थी। ऐसे सहयोगी दलों में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जेडीयू शामिल थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर रोक लगाने के बाद विवाद खत्म हो गया था।

संघ और मोदी ने किया समर्थन

योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे का बीजेपी के मातृ संगठन माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और प्रधानमंत्री ने भी समर्थन किया है। इससे यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद शायद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व के पिच पर खुलकर खेलने के लिए हरी झंडी मिली है।

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने दम पर बहुमत भी हासिल नहीं कर सकी थी जबकि उसने 370 सीटें जीतने का टारगेट रखा था। उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी लोकसभा की सभी सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही थी लेकिन उसे जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा था।

2024 में यूपी में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 3362
सपा 375
कांग्रेस61
बीएसपी 010
रालोद2
अपना दल (एस)12
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम)1

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कुछ बयानों को लेकर सरकार में खींचतान होने की खबरें सोशल मीडिया पर सामने आई थीं। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने आक्रामक हिंदुत्व की पिच पर खेलते हुए खुद को देश भर की राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में ला दिया है और इससे निश्चित रूप से योगी के सियासी क़द में इजाफा हुआ है क्योंकि एक सूबे के मुख्यमंत्री के नारे को प्रधानमंत्री और संघ का खुलकर समर्थन मिले, ऐसा शायद पहले देखने को नहीं मिला है।

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक है तो सेफ है’ का नारा दिया तो यह सीधे तौर पर माना गया कि प्रधानमंत्री का भी समर्थन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के द्वारा उठाए जा रहे जाति जनगणना के मुद्दे पर भी हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ऐसा करके जातियों का बंटवारा करना चाहती है।

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हिंदू मतों के बंटवारे से नुकसान

याद दिलाना होगा कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के दौरान मुंबई के कई इलाकों में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के पोस्टर लगे हुए थे। बीजेपी का स्पष्ट रूप से मानना है कि अगर हिंदू मतों का विभाजन होता है तो इससे निश्चित रूप से पार्टी को नुकसान होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए थे तो यह माना गया था कि देश में हिंदू मतों का विभाजन हुआ है और कांग्रेस का जाति जनगणना और आरक्षण और संविधान खतरे में वाला नारा चुनाव में चला है।

बीजेपी और हिंदुत्व के स्टार चेहरे बने योगी

पिछले कुछ सालों में योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के नए चेहरे के रूप में उभर कर सामने आए हैं। गोरखपुर में स्थित गोरक्ष पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने 2017 में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से ही कई राज्यों में बीजेपी के लिए धुआंधार चुनाव प्रचार किया है। उनकी न सिर्फ उत्तर भारत के राज्यों में बल्कि दक्षिण में भी बड़ी डिमांड है। बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सुशासन के चेहरे के रूप में भी आगे किया है और दावा किया है उनके नेतृत्व में यूपी ने जबरदस्त तरक्की की है। खुद प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर योगी आदित्यनाथ की खुलकर तारीफ कर चुके हैं।

महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के उपचुनाव के नतीजे जब आएंगे तो इस बात का आकलन जरूर होगा कि हिंदुत्व की राजनीति के बड़े चेहरे योगी आदित्यनाथ के इस नारे का वास्तव में मतदाताओं पर कोई असर पड़ा है लेकिन हाल फिलहाल इस नारे की काफी चर्चा और गूंज देश की सियासत में हो रही है।