Haryana Congress Dalit Chief Minister Candidate: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आए तमाम चैनलों के एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस के नेता बहुत खुश हैं, लड्डू बांट रहे हैं। उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि राज्य में कांग्रेस की वापसी होगी। लेकिन इसके साथ ही एक बहुत बड़ी लड़ाई भी पार्टी के अंदर चल रही है। यह लड़ाई राज्य का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसकी है। बताना होगा कि हरियाणा की सभी 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी और लगभग 65% लोगों ने वोट डाला था। चुनाव नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे।

चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री बनने को लेकर चली आ रही लड़ाई के तेज होने के पूरे आसार हैं। याद दिलाना होगा कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान ही निवर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को चेहरा घोषित कर दिया था।

अगर एग्जिट पोल गलत साबित हुए और बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला तो सैनी ही मुख्यमंत्री बनेंगे हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अनिल विज भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। सैनी लाडवा और अनिल विज कैंट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

आज तक नहीं बना कोई दलित नेता सीएम

खैर, हम यहां पर बात कर रहे हैं कि एग्जिट पोल सही होने की सूरत में क्या होगा। क्या कांग्रेस किसी दलित नेता को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाएगी? बताना जरूरी होगा कि 1966 में हरियाणा का गठन होने के बाद से ही आज तक दलित समुदाय से कोई भी नेता राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बन सका है।

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राज्य में लंबे वक्त तक जाट समुदाय के नेता मुख्यमंत्री बनते रहे हैं। बीजेपी ने साल 2014 में हरियाणा की सत्ता में आने के बाद लगातार गैर जाट नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन वह भी दलित मुख्यमंत्री बनाने के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ी।

सैलजा चाहती हैं सीएम बनना

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सिरसा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने दलित समुदाय से मुख्यमंत्री होने का मसला उठाया था। उन्होंने बीते कुछ दिनों में भी स्पष्ट रूप से कहा है कि मुख्यमंत्री के चयन के मामले में पार्टी हाईकमान उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता। कुमारी सैलजा हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने की अपनी सियासी महत्वाकांक्षा को खुलकर जाहिर कर चुकी हैं।

एक और बड़े नेता और पार्टी के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में पार्टी के सभी दिग्गजों पर भारी हैं।

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राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट
कांग्रेस 3115
बीजेपी 4740

दलित समुदाय के हक और हिस्सेदारी का सवाल

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान दलित समुदाय के हक और हिस्सेदारी का सवाल उठाया था। पार्टी ने कहा था कि बीजेपी के शासन में संविधान और आरक्षण खतरे में है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी कांग्रेस ने यही बातें कही लेकिन अब जब एग्जिट पोल कांग्रेस के पक्ष में आते दिख रहे हैं तो क्या पार्टी दलित समुदाय के हक और हिस्सेदारी के नाम पर किसी दलित नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका देगी?

हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी

समुदाय का नाम आबादी (प्रतिशत में)
जाट 25  
दलित21
पंजाबी8
ब्राह्मण7.5 
अहीर5.14
वैश्य5
राजपूत 3.4 
सैनी 2.9 
मुस्लिम3.8 

चौधरी उदयभान भी हैं दावेदार

हरियाणा कांग्रेस में कुमारी सैलजा के अलावा बड़े दलित चेहरों में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी शामिल हैं। चौधरी उदयभान पुराने कांग्रेसी हैं और कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। हरियाणा में कुछ दिन पहले ही दलित नेता अशोक तंवर ने कांग्रेस में वापसी की है लेकिन चूंकि वह पार्टी में आए ही हैं इसलिए मुख्यमंत्री पद पर उनका दावा मजबूत नहीं दिखाई देता।

हरियाणा में 17 विधानसभा सीटें हैं आरक्षित

विधानसभा सीट का नामजिला
मुलानाअंबाला
नीलोखेड़ीकरनाल
इसरानापानीपत
साढ़ौरायमुनानगर
शाहाबादकुरुक्षेत्र
नरवानाजींद
रतियाफतेहाबाद
कालांवालीसिरसा
उकलानाहिसार
बवानी खेड़ाभिवानी
झज्जररोहतक
कलानौररोहतक
बावलरेवाड़ी
पटौदीगुरुग्राम
होडलपलवल
गुहलाकैथल
खरखौदापानीपत

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा

राजनीतिक दललोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में)लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में)
कांग्रेस 28.51 43.67
बीजेपी 58.2146.11 

बीजेपी का गैर जाट कार्ड

ऐसे में सवाल यह है कि क्या कांग्रेस दलित समुदाय को उसका हक और हिस्सेदारी देने के नाम पर आगे बढ़ेगी? क्या वह मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखने वालीं कुमारी सैलजा को इस कुर्सी पर बैठने का मौका देगी। हरियाणा में 2005 से 2014 तक जब कांग्रेस की सरकार थी तो जाट समुदाय से आने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने थे। हरियाणा की राजनीति में जाट बनाम गैर जाट का मुद्दा हमेशा से हावी रहा है। इसी रास्ते पर चलते हुए बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी दोनों ही गैर जाट नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी गैर जाट (ब्राह्मण) समुदाय से आने वाले मोहनलाल बडोली हैं।

कुमारी सैलजा दलित नेता होने के साथ ही महिला चेहरा भी हैं। हरियाणा से सटे राज्य दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने महिला चेहरे को आगे करते हुए आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया है। ऐसे में दलित समुदाय और महिला चेहरे के बेहतर सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए क्या पार्टी कुमारी सैलजा पर दांव लगाएगी या मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर विवाद होने पर हुड्डा खेमा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान को आगे कर सकता है। बताना होगा कि चौधरी उदयभान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ही समर्थक माने जाते हैं।

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बीजेपी ने दिया बहुजन नेताओं को मौका

पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने बहुजन राजनीति के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए आदिवासी समुदाय से आने वाले दो नेताओं- विष्णु देव साय को छत्तीसगढ़ और मोहन चरण मांझी को ओडिशा का मुख्यमंत्री बनाया है। पार्टी ने इसी समुदाय से आने वालीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति भी बनाया है और इससे पहले दलित समुदाय से संबंध रखने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचाया था।

अब यह सवाल कांग्रेस के सामने है कि क्या वह दलित समुदाय के हक और हिस्सेदारी की बात पर वास्तव में गंभीरता दिखाते हुए किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनने का मौका देगी? एग्जिट पोल सही साबित हुए तो कांग्रेस के भीतर सीएम को लेकर रार छिड़नी तय है और देखना होगा कि पार्टी क्या फैसला करती है?