जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ली और मणिपुर से सर्वोच्च न्यायालय पहुंचने वाले पहले न्यायाधीश बन गए। वहीं, मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर महादेवन ने भी शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक समारोह में दोनों न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई।
सीजेआई चंद्रचूड़ का मत रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सभी राज्यों व समाज के सभी वर्गों के जजों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। अभी एसटी वर्ग से सुप्रीम कोर्ट में कोई जज नहीं है। पांच राज्यों का भी सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में दो न्यायाधीशों को छोड़कर, सभी जजों का जन्म स्थान उनके पेरेंट हाई कोर्ट से मेल खाता है। सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश न्यायाधीश बॉम्बे, इलाहाबाद और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से हैं, इसके बाद दिल्ली, गुवाहाटी, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड, कोलकाता, मणिपुर और हिमाचल प्रदेश से भी न्यायाधीश हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों में झारखंड, मेघालय, उड़ीसा, सिक्किम और त्रिपुरा उच्च न्यायालयों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में 34 जज
दोनों नए जजों के शपथ ग्रहण के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की स्ट्रेन्थ पूरी हो गयी है। सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर, 2024 को जस्टिस हिमा कोहली के सेवानिवृत्त होने तक 34 न्यायाधीशों के साथ काम करेगा। उसके बाद सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे।

आर महादेवन की नियुक्ति पर कॉलेजियम ने कहा कि उसने उनकी उम्मीदवारी को प्राथमिकता दी। यह भी बताया गया कि क्यों जस्टिस महादेवन को मद्रास उच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों पर प्राथमिकता दी गई। लिखा, “कॉलेजियम ने पिछड़े समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिए जस्टिस आर महादेवन की उम्मीदवारी को प्राथमिकता दी है।”
सर्वोच्च न्यायालय में अनुसूचित जाति के न्यायाधीशों का अनुपात कम
देखा जाये तो सर्वोच्च न्यायालय में अनुसूचित जाति के न्यायाधीशों का अनुपात अभी भी भारत की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति की आबादी के अनुमानित प्रतिशत से काफी कम है। 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय को एक दशक में पहली बार जस्टिस गवई के रूप में अनुसूचित जाति से एक न्यायाधीश मिला था।
उस समय, पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से उनकी नियुक्ति के लिए एक कारक के रूप में जाति संबंधी कारण का हवाला दिया था। ऐसे में उनकी नियुक्ति को बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों पर प्राथमिकता दी गई थी। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश जस्टिस एम.एम. सुंदरेश अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जनजाति समुदाय का कोई न्यायाधीश नहीं है।

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 17 न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की
सीजेआई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के 11 जज रिटायर हो चुके हैं। जिनमें जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एम.आर. शाह, जस्टिस के.एम. जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस एस. रवींद्र भट, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना के नाम हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने अब तक सुप्रीम कोर्ट के लिए 17 न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की है।
अगस्त, 2017 के बाद से सुप्रीम कोर्ट में कोई सिख जज नहीं
सीजेआई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान सेवानिवृत्त हुए सुप्रीम कोर्ट के दो जज, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस के.एम. जोसेफ, अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों से थे। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों से दो न्यायाधीशों की सिफारिश की है, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह।

तत्कालीन सीजेआई जे.एस. खेहर के रिटायरमेंट (27 अगस्त, 2017) के बाद से सुप्रीम कोर्ट में कोई सिख जज नहीं है। पिछली बार सीजेआई खेहर के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सभी धार्मिक समुदायों के न्यायाधीश थे।
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला न्यायाधीश हैं, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी। इन तीनों की नियुक्ति 31 अगस्त, 2021 को तत्कालीन सीजेआई एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश पर की गई थी। यह सुप्रीम कोर्ट में 34 न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या का केवल 8.8 प्रतिशत है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायाधीशों का औसत कार्यकाल पुरुष न्यायाधीशों की तुलना में बहुत कम है।