सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ (सीजेआई चंद्रचूड़) की कोर्ट में मंगलवार (16 जुलाई) को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई के दौरान दोनों तरफ के वकील एक साथ बोलने लगे।
इससे थोड़ी अव्यवस्था की स्थिति बनी तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में स्थिति को नियंत्रित किया।
मामले की सुनवाई के दौरान जब एक साथ कई वकील बोलने लगे तो सीजेआई ने कहा- अपनी बारी के बिना मत बोलें। लेकिन दूसरे पक्ष के वकीलों ने इसे अनसुना कर दिया और वे एक साथ बोलने लगे।
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा- जो नियम लेफ्ट के लिए है, वह राइट पर भी लागू होता है…और मैं सेंटर में हूं। इस पर कोर्ट रूम में ठहाके लग गए।

क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा की गई लगभग 25,0000 स्कूल शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच पश्चिम बंगाल सरकार, डब्ल्यूबीएसएससी और हाई कोर्ट के फैसले से प्रभावित उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि 2 सप्ताह के भीतर ऐसा न करने पर काउंटर दाखिल करने का उनका अधिकार समाप्त हो जाएगा। उत्तरदाताओं ने डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा की गई नियुक्तियों को चुनौती दी थी।
अदालत ने सुनवाई में आसानी के लिए और तथ्य साफ हो सकें, स्टेकहोल्डर्स की 5 श्रेणियां भी बनाई हैं। इनमें (1) पश्चिम बंगाल सरकार, (2) डब्ल्यूबीएसएससी, (3) ओरिजनल याचिकाकर्ता – जिनका चयन नहीं किया गया (कक्षा 9-10, 11-12, समूह सी और डी से आने वाले), (4) ऐसे लोग जिनकी नियुक्तियां हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई हैं और (5) केंद्रीय जांच ब्यूरो को शामिल किया गया है।
कोर्ट ने कहा है कि इनमें से किसी भी श्रेणी के वकील 5 पन्नों से ज्यादा अपना लिखित जवाब न दें।

हाई कोर्ट ने रद्द कर दी थी शिक्षक भर्ती
कोलकाता हाई कोर्ट ने इस साल 22 अप्रैल को राज्य में हुई शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि इन शिक्षकों को 8 साल के दौरान मिली सैलरी भी 12% ब्याज के साथ वापस करनी होगी।
280 से अधिक पन्नों के आदेश में जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की बेंच ने ओएमआर शीट में गड़बड़ियां पाए जाने पर 2016 एसएससी भर्ती के पूरे पैनल को रद्द कर दिया था और राज्य सरकार से कहा था कि वह नए सिरे से परीक्षा कराए।
हाई कोर्ट का यह फैसला लोकसभा चुनाव के प्रचार के बीच आया था और इससे तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही एक बड़ा मुद्दा मिल गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी के नेता न्यायपालिका के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं और उनकी सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

बीजेपी शिक्षक भर्ती में हुए कथित रूप से इस घोटाले को लेकर ममता सरकार पर हमलावर रही थी।