Chief Justice DY Chandrachud Advises Law Students: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि चुप रहना किसी समस्या का हल नहीं है। समस्याओं पर चर्चा करनी चाहिए और हल निकालने का प्रयास करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने अपना ही उदाहरण दिया। सीजेआई चंद्रचूड़, महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

चुप रहने वाला विकल्प सुरक्षित लेकिन…

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक वकील और एक नागरिक की भूमिका में आपके सामने कई बार ऐसी परिस्थितियां आएंगी जब आपको तय करना होगा कि चुप रहना है या बोलना है। मैं आपको आगाह करता हूं कि चुप रहने या कुछ न करने वाला विकल्प ज्यादा सुरक्षित और कम रिस्क वाला है, लेकिन चुनौती वाला रास्ता ही आपकी दिशा तय करेगा।

संविधान देता है बोलने की हिम्मत…

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत का संविधान हमें बोलने की ताकत और हिम्मत देता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संविधान ने हमारे कंधे पर सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय की जिम्मेदारी सौंपी है और हमें इन अधिकारों के प्रति बोलना होगा। उन्होंने कहा कि अगर कानून के छात्र संविधान के रास्ते पर चलेंगे तो इस प्रोफेशन में कभी फेल नहीं होंगे।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून के ऐसे में तमाम अड़चनें हैं। लाखों बहाने हैं। कानून बहुत कठिन पेशा है, लेकिन जब आपने कठिन रास्ता चुन लिया तो रिस्क लेने से पीछे ना हटें। मुख्य न्यायाधीश ने होमोसेक्सुअलिटी पर अपने फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि तब से बहुत बदलाव आया है लेकिन अभी भी बहुत कुछ बदला जाना बाकी है।

संविधान को मानें अपना गाइड

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कानून के छात्रों को कहा कि प्रोफेशनल लाइफ में संविधान को ही अपना गाइड मानें। अगर आपको असफलता मिलती है तो इससे घबराए नहीं बल्कि आगे बढ़ते रहें। डॉ. भीमराव अंबेडकर का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरीके से उनके रास्ते में तमाम कठिनाई आई, इसके बावजूद आगे बढ़ते रहे और आज लाखों लोगों के प्रेरणा स्रोत हैं।