चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि हमें खुद पर थोड़ी दया दिखानी होगी। साथ ही बार के सदस्यों और वादियों के प्रति भी सहिष्णु होना पड़ेगा। कोर्ट रूम में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इस्तेमाल की वकालत करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने एक किस्सा सुनाया।
CJI ने कौन सा किस्सा सुनाया?
सीजेआई (CJI DY Chandrachud) ने बताया कि एक दिन पहले ही एक जूनियर ने बताया कि वह एक हाईकोर्ट के अपने आईपैड पर काम कर रही थीं। इसी दौरान कोर्ट के प्रशासनिक अधिकारी आए और कहा कि आपको आईपैड बंद करना होगा, क्योंकि ये कोर्ट के नियमों के खिलाफ है। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हम नियम फॉलो कर रहे हैं।
वकीलों को मोबाइल-लैपटॉप पर काम करने दें
कोलकाता हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के वर्चुअल उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को चाहिए कि वे वकीलों को कोर्टरूम में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर काम करने की इजाजत दें और यह भी तय करें कि बेहतर इंटरनेट की सुविधा मिले। सीजेआई ने कहा कि अब मोबाइल फोन जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने उस दौर को भी याद किया जब कोर्ट रूम में मोबाइल प्रतिबंधित हुआ करता था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) ने कहा कि कोई भी जूनियर हो या युवा वकील हो या वकील ही क्यों न हो, अगर वह कोर्ट रूम में आईपैड या लैपटॉप पर काम कर रहा है तो उसे रोकना नहीं चाहिए, हां अगर फिल्म देख रहा है तो अलग बात है। सीजेआई ने कहा कि हमें लोगों पर भरोसा करना चाहिए। कोर्ट रूम में बेहतर इंटरनेट फैसिलिटी की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम हो, ताकि इसका सही इस्तेमाल हो सके।
कोशिश करें कि प्राइवेट संस्थाओं से पीछे न रहें
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि टेक्नोलॉजी आने वाले वक्त की जरूरत है। इसलिए सबको इसे बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी रणनीति बनानी चाहिए कि जो हमारा मौजूदा सिस्टम है उसमें किस तरीके से टेक्नोलॉजी को समाहित कर सकते हैं। अगर हम ऐसा करते हैं तो आने वाली चुनौतियों से और अच्छे तरीके से निपट सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि सरकारी संस्थाओं को टेक्नोलॉजी के मामले में प्राइवेट संस्थानों से पीछे नहीं रहना चाहिए। इसकी पूरी कोशिश करें।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पर जताई थी कड़ी नाराजगी
आपको बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ खुद टेक सेवी हैं। कोरोना काल के दौरान उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल हियरिंग की सुविधा शुरू कराई थी। पिछले दिनों कई हाईकोर्ट में वर्चुअल हियरिंग की फैसिलिटी बंद कराने पर कड़ी नाराजगी भी जाहिर की थी और कहा था कि उन्हें पता है कि कुछ चीफ जस्टिस क्या कर रहे हैं।
सीजेआई ने कहा था कि आप (जज) कोर्ट आ रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वकीलों को भी फिजिकल अपीयर होने के लिए मजबूर करें। दोनों की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं।