भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने अपने टेक टीम की तारीफ की है। उन्होंने बताया है कि कैसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की टेक टीम ने आईसीटी नेटवर्क में आयी गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए रात भर काम किया है।

चंद्रचूड़ ने कहा है, “हमारे आईसीटी नेटवर्क में कुछ गड़बड़ी हो गई थी। हमारी टीम रात भर काम कर रही थी और फिर सुबह 5:30 बजे ऑफिस से निकल गई। उन्हें इसके लिए प्राइवेट सेक्टर की तरह एक्स्ट्रा पैसे भी नहीं मिले। लेकिन उन्होंने किया क्योंकि उन्हें अपना काम पसंद है। लेकिन उन्होंने नौकरी के प्यार के लिए ऐसा किया। उन्होंने रात भर जागकर इतना सब सिर्फ इसलिए किया ताकि हमारा काम चलता रहे।”

बता दें CJI चंद्रचूड़ उस ई-समिति के अध्यक्ष रहे हैं। ई-समिति एक निकाय है। इसका काम तकनीकी संचार एवं प्रबंधन संबंधी परिवर्तनों के लिये सलाह देने होता है। ई-समिति के कामकाज से संबंधित सभी व्यय की पूर्ति भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत बजट से की जाती है।

ई-समिति ने ही ऑनलाइन सुनवाई के लिए ICT को अपनाया है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) के उपयोग से मुकदमों को ऑनलाइन निपटाया जाता है।

E-Court के समर्थक हैं CJI चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ मानते हैं कि ई-कोर्ट ही भविष्य की न्यायपालिका है। हाल में ‘स्मार्ट कोर्ट एंड फ्यूचर ऑफ ज्यूडिशियरी’ विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई ने बताया कि डिजिटलाइजेशन, ई-फाइलिंग, वर्चुअल कोर्ट और ई-पेमेंट से कागज रहित अदालती कार्यवाही ही भविष्य है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बात पर भी जोर दिया कि नागरिकों और न्याय प्रणाली के बीच की खाई को पाटने के लिए तकनीक (Technology) का उपयोग जरूरी है। साथ ही उन्होंने कोर्ट की सुनवाई के लिए विभिन्न स्थानों पर लोगों को ऑडियो-वीडियो स्ट्रीमिंग की सुविधा भी देने की बात कही थी।

बता दें कि ई-कोर्ट परियोजना की परिकल्पना ‘भारतीय न्यायपालिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के कार्यान्वयन के लिये राष्ट्रीय नीति एवं कार्ययोजना-2005’ के आधार पर की गई थी।

ई-कोर्ट के फायदे

ई-कोर्ट की परिकल्पना के पीछे की प्राथमिक वजह अदालतों में लंबित मुकदमों की भारी संख्या है। भारतीय न्यायालयों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं। 69,000 तो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित हैं। ई-समिति को उम्मीद है कि ई-कोर्ट से लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी। साथ ही नागरिकों को जल्द से जल्द और आसानी से न्याय मिल पाएगा, जिसके लिए उन्हें बहुत खर्च भी नहीं करना होगा। ई-कोर्ट से अदालतों की अवसंरचना (मूलभूत भौतिक एवं संगठनात्मक संरचना) संबंधी खर्च में भी कमी आएगी।

ई-कोर्ट की चुनौतियां

ई-कोर्ट के लाभ तो कई हैं। लेकिन पूरे भारत में इसे लागू करना फिलहाल मुश्किल है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित संरचना का पर्याप्त विकास का न होना पहली चुनौती है। हाई स्पीड इंटरनेट का अभी भी पिछड़े इलाकों में ना होना दूसरी चुनौती है। तीसरी सबसे बड़ी चुनौती नागरिकों में तकनीक और इंटरनेट लिटरेसी की कमी भी होना है। भारत की एक बड़ी आबादी अब भी तकनीक को लेकर पूरी तरह सहज नहीं है।