सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जब वह बॉम्बे हाई कोर्ट में जज रहने के बाद इलाहाबाद आए तो यह जगह उनके लिए बिल्कुल अलग थी। बॉम्बे हाई कोर्ट में कानूनी कामकाज अंग्रेजी में होता था और जब वह इलाहाबाद हाई कोर्ट आए तो उन्हें पता चला कि स्थानीय वकील अपनी बात अक्सर हिंदी में शुरू करते हैं।
सीजेआई ने कहा कि इससे उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वकील अपनी स्थानीय भाषाओं में भी अपने केस को बेहतर ढंग से अदालत के सामने रख सकते हैं।
सीजेआई ने यह बातें लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहीं।

चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आप किसी आपराधिक मामले की सुनवाई कर रहे होते हैं, जैसे- हत्या और हमले के मामलों में, जब तक आप इसे हिंदी में नहीं समझ लेते कि किस हथियार से और किस तरह हत्या की गई, आप उस मामले में गवाहों की बात को किस तरह समझेंगे। उनके बयान पर वहां मौजूद वकीलों और वकालत के पेशे से जुड़े तमाम लोगों ने तालियां बजाई।
सीजेआई ने कहा कि अंग्रेजी उस प्यार को जो एक मां अपने बच्चे से करती है, उसे सही ढंग से नहीं बता सकती, इसी तरह अंग्रेजी भाषा किसी अपराध को जो दो पड़ोसी किसानों के बीच हुआ हो, उसे ढंग से नहीं समझा सकती।
…ताल और तलैया का क्या मतलब है
चंद्रचूड़ ने इसके बाद अपनी बात हिंदी में शुरू की और कहा कि उत्तर प्रदेश आकर उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि लोगों के लिए उनकी जमीन कितनी महत्वपूर्ण है और कानूनी भाषा में ताल और तलैया का क्या मतलब और महत्व है। इसलिए एक वकील को किसी भी कठिन से कठिन कानूनी सिद्धांत को सरल भाषा में आम जनता को समझाना आना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि कई विश्वविद्यालय मिलकर कानून के विषयों से संबंधित टीचिंग मॉड्यूल्स सरल भाषा और क्षेत्रीय भाषा में तैयार कर सकते हैं। कानूनी प्रक्रियाओं और सिद्धांतों को हम ऑनलाइन वीडियो के जरिए अपने छात्रों और आम जनता को समझा सकते हैं।
सीजेआई ने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहते कि कानूनी शिक्षा से अंग्रेजी को हटा देना चाहिए बल्कि अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी अपनाना चाहिए।
2013 में इलाहाबाद आए थे सीजेआई चंद्रचूड़
चंद्रचूड़ 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने थे। 31 अक्टूबर, 2013 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त होने से पहले चंद्रचूड़ भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं। वह मुंबई विश्वविद्यालय और अमेरिका की ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ में विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं।
सेवा और आपराधिक मामलों में सुनाए सबसे ज्यादा फैसले
संबंधित मामले | फैसलों की संख्या |
उपभोक्ता | 50 |
संवैधानिक | 68 |
सर्विस | 125 |
सिविल | 75 |
आपराधिक | 116 |
अन्य | 323 |
सीजेआई के द्वारा सुनाए गए कुछ अहम फैसले
अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से कहा कि भारत का संविधान निजता के मौलिक अधिकार यानी राइट टू प्राइवेसी की गारंटी देता है। बेंच में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने निजता और गरिमा के अधिकार को जीवन के अधिकार का जरूरी हिस्सा माना था।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने शफीन जहां बनाम अशोकन के.एम. (2018) के मामले में एक अहम बात लिखी थी। इसमें उन्होंने धर्म और मैरिज पार्टनर के मामले में हादिया की पसंद को बरकरार रखा था। हादिया ने इस्लाम अपना लिया था और याचिकाकर्ता शफीन जहां से शादी कर ली थी। हादिया के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि उसका ब्रेनवॉश किया गया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि किसी वयस्क द्वारा विवाह या धर्म के मामले में फैसले लेने का अधिकार उसकी निजता के दायरे में आता है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने तहसीन पूनावाला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में जज लोया की मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग को खारिज कर दिया था। जज लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे।
दिल्ली सरकार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2018) के मामले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली के कार्यकारी मुखिया नहीं हैं। सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं।