चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने एक बार फिर खुफिया ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट खारिज कर दी है और एडवोकेट फिरदौस फिरोज पूनीवाला (Advocate Firdosh Phiroze Pooniwala) को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने अपनी रिपोर्ट में पूनीवाला को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उनके सीनियर ने साल 2020 में एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर टिप्पणी की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों ठुकराई आपत्ति?

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने आईबी की आपत्ति का जिक्र करते हुए कहा, ‘खुफिया ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि पूनीवाला पहले एक एडवोकेट के अंडर काम किया करते थे। उस एडवोकेट ने कथित तौर पर साल 2020 में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने देश में पिछले पांच-छह सालों के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन की बात कही थी। चूंकि वह टिप्पणी मिस्टर पूनीवाला के पूर्व सीनियर ने की थी, ऐसे में उसका इनकी व्यक्तिगत योग्यता और क्षमता से कोई लेना देना नहीं है और बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा’।

IB की रिपोर्ट पर SC का जवाब

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आगे कहा, ‘एक जूनियर और सीनियर वकील के बीच कोई एम्प्लाई और एंप्लॉयर जैसा संबंध नहीं होता है। कॉलेजियम ने नोट किया कि मिस्टर पूनीवाला और उनके पूर्व सीनियर बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। लेकिन कोई जूनियर काउंसिल यदि किसी सीनियर एडवोकेट के चैंबर के साथ काम करता है तो इसका यह मतलब नहीं है कि दोनों के बीच एम्प्लाई और एंप्लॉयर जैसा संबंध है। कोई जूनियर किसी चैंबर के साथ जुड़कर काम करता है, तो भी वह स्वतंत्र तौर पर भी काम कर सकता है’।

कॉलेजियम ने आगे कहा, ‘आईबी ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि मिस्टर पूनीवाला की पर्सनल और प्रोफेशनल इमेज अच्छी है और यह भी संज्ञान में आया कि उनका किसी पॉलिटिकल पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं है। कॉलेजियम ने जिन जजों से कंसल्टेशन लिया गया, उनके मुताबिक भी पुनीवाला के अप्वॉइंटमेंट में कोई हर्ज नहीं है’। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं। आपको बता दें कि कॉलेजियम ने पूनीवाला के अलावा एडवोकेट शैलेश प्रमोद ब्राम्मे और एडवोकेट जितेंद्र शांतिलाल जैन को भी बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति की सिफारिश की है।

जनवरी में पहली बार सार्वजनिक की थी IB की रिपोर्ट

यह पहला मौका नहीं है, जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजों की नियुक्ति में खुफिया ब्यूरों की आपत्ति को दरकिनार कर दिया हो। इसी साल जनवरी में पहली बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आईबी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया था। कॉलेजियम ने सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल, एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन और एडवोकेट जॉन सत्यन को जज बनाने की सिफारिश की थी। बाद में आईबी ने तीनों को लेकर रिपोर्ट दी थी। कॉलेजियम ने आईबी की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए एक-एक कर तीनों आपत्तियों का जवाब दिया था।

कानून मंत्री रिजिजू जता चुके हैं नाखुशी

जब सुप्रीम कोर्ट ने आईबी की रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, तब कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इस पर नाखुशी जाहिर की थी। रिजिजू ने कहा था कि आईबी और रॉ की संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चिंता का विषय है और मैं उचित समय पर इसका जवाब दूंगा। उन्होंने कहा था कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि संबंधित अधिकारी, जो खुफिया तौर पर काम कर रहा है, अगर उसकी रिपोर्ट इस तरीके से सार्वजनिक हो जाए तो अगली बार दो-बार सोचेगा।