भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice Dhananjaya Yeshwant Chandrachud) के फैसलों की अक्सर चर्चा होती है। हाल में चीफ जस्टिस (CJI DY Chandrachud Daughters) अपनी दोनों बेटी माही और प्रियंका को लेकर अपने दफ्तर पहुंचे, जिसके बाद उनके निजी जीवन पर भी बात हो रही है।  

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud Daughters) ने अपनी बेटियों को कोर्टरूम, कॉरिडोर और लाइब्रेरी दिखाई। साथ ही उन जगहों को भी दिखाया, जहां वकील बहस करते हैं। बता दें कि माही और प्रियंका दोनों स्पेशल चाइल्ड हैं। डी वाई चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास (Kalpana Das) ने दोनों बच्चियों को गोद लिया है।

दूसरी पत्नी हैं कल्पना दास

कल्पना दास जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की दूसरी पत्नी हैं। वह भी पेशे से वकील हैं और पूर्व में ब्रिटिश काउंसिल के साथ काम करती थीं।जस्टिस चंद्रचूड़ की पहली पत्नी रश्मि की 2007 में कैंसर से मौत हो गई थी। कुछ साल बाद उन्होंने कल्पना दास से शादी की।

चंद्रचूड़ को उनकी पहली पत्नी से दो बेटे हैं। बड़े बेटे का नाम अभिनव और छोटे का नाम चिंतन है। दोनों ही वकील हैं। अभिनव बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं और कई किताबें भी लिखी हैं। एक किताब पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी (Soli Sorabji: Life and Times: An Authorized Biography) के जीवन पर भी लिखी है। छोटे बेटे चिंतन यूके में एक कानूनी फर्म के साथ कार्यरत हैं।

डी वाई चंद्रचूड़ ने हॉर्वर्ड से की है पढ़ाई

डी वाई चंद्रचूड़ भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। वाई वी चंद्रचूड़ साल 1978 से 1985 के बीच सात साल तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। यह अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।

डी वाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए किया है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एलएलबी पूरी की। इसके बाद उन्होंने एलएलएम की डिग्री और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट के लिए हार्वर्ड लॉ स्कूल गए।

जस्टिस चंद्रचूड़ को एनडीए सरकार ने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में चुना था। 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति तक वह इस पद पर बने रहे थे। 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

‘प्रोग्रेसिव चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़’

न्यायिक बिरादरी में डी वाई चंद्रचूड़ को प्रगतिशील चीफ जस्टिस (Progressive Chief Justice) भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कई ऐसे फैसले लिखे, जो समाज के एक बड़े वर्ग को आसानी से स्वीकार्य नहीं था।

मसलन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ उस बेंच के हिस्सा थे, जिसने IPC की धारा 377 को खत्म किया था। यह कानून समलैंगिक संबंधों को अपराध मानता था। उन्होंने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले भी लिखे।