कुछ साल पहले तक बच्चों के पास खेलने के लिए क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी के साथ ही और भी कई अन्य खेल होते थे। इन खेलों की वजह से उनका शारीरिक विकास तो होता ही था, मानसिक विकास भी होता था क्योंकि इन खेलों के बहाने बच्चे अपने दोस्तों से मिलते थे, हंसी मजाक करते थे और इससे निश्चित रूप से उनके मन पर अच्छा असर पड़ता था। लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत में ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों में इस कदर हावी हो गई है कि इसने बच्चों का हंसता-खेलता बचपन बर्बाद कर दिया है।
बच्चों के मन पर इस ऑनलाइन गेमिंग का क्या असर हुआ है, इसे आपको एक ताजा घटना से समझाते हैं। मध्य प्रदेश के मुरैना में रहने वाले एक 17 वर्षीय किशोर ने कुछ दिन पहले जब अपनी मां से सवाल पूछा कि मां जो लोग छत से गिर जाते हैं, उन्हें कितनी चोट लगती है।
बच्चे को थी फ्री फायर गेम खेलने की आदत
मां को यह सवाल बेहद अटपटा लगा और उन्होंने बेटे से पूछा कि तू यह क्यों पूछ रहा है। बेटे ने इसका जवाब नहीं दिया लेकिन मंगलवार सुबह उसने छत से कूद कर जान दे दी। क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या वजह थी। इसके पीछे वजह यह थी कि उसे फ्री फायर गेम खेलने की आदत थी।
जिस दिन किशोर ने यह आत्मघाती कदम उठाया, उस दिन सुबह 3:20 पर वह अपने पिता के पास ही लेटा हुआ था और मोबाइल पर कोई गेम खेल रहा था। पिता का कहना है कि 4 बजे के आसपास बेटा छत पर चला गया और इसके बाद उसने अपना जीवन समाप्त कर लिया।
निश्चित रूप से 17 साल के इस किशोर के दिमाग पर ऑनलाइन गेमिंग का नशा इस कदर हावी हो गया था कि उसने यह भी नहीं सोचा कि अगर वह छत से कूदेगा तो उसे गंभीर चोट लग सकती है या उसकी जान भी जा सकती है। अब आप समझ सकते हैं कि इस ऑनलाइन गेमिंग ने उस बच्चे के दिमाग पर कितना खराब असर किया होगा?
इस घटना से एक बात यह भी समझ आती है कि अगर आपका बच्चा आपसे कोई भी ऐसा सवाल पूछे जिसकी आपको उम्मीद नहीं है तो आपको उसे टालना नहीं चाहिए यह समझना बहुत जरूरी है कि बच्चा ऐसा कोई सवाल क्यों पूछ रहा है?
पहले भी हुए ऐसे कई मामले
इससे पहले भी कई ऐसे मामले हो चुके हैं जब गेमिंग की वजह से बच्चे अपनी जान दे चुके हैं। इस साल अगस्त में एक ऐसा ही मामला हुआ था, जब महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले आर्य श्री राव नाम के किशोर ने 14वीं मंजिल से छलांग लगा दी थी। इस बच्चे को गेमिंग की बहुत ज्यादा लत थी और वह लगातार गेम खेलता रहता था। देश के कई शहरों में ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं।
कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां पर बच्चों ने गेम को अपग्रेड करने के लिए माता-पिता से चोरी छुपे उनके हजारों रुपए खर्च कर दिए। जब उन्हें डाटा गया तो उन्होंने आत्मघाती कदम उठा लिया। हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि 2021 में ही केरल की सरकार ने ऐलान किया था कि वह बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए ‘डिजिटल डी एडिक्शन सेंटर’ खोलेगी।
गेम खेलते दिखते हैं बच्चे
गेमिंग की बात करते वक्त एक बात यह बेहद अहम है कि अगर आप अपने आसपास नजर दौड़ाएंगे तो पहले जो बच्चे खेलते-कूदते, रिश्तेदारों के साथ बातचीत करते दिखाई देते थे, उनमें से अब अधिकतर बच्चे मोबाइल फोन में गेम खेलते हुए मिलते हैं। कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता और घर के बड़ों के समझाने के बाद भी बच्चे फोन छोड़ने के लिए तैयार नहीं होते। मोबाइल पर गेम खेलने के अलावा वे रील देखना, यूट्यूब पर वीडियो देखना भी पसंद करते हैं।
बच्चों को कैसे बचाएं गेमिंग एडिक्शन से?
गेमिंग का यह एडिक्शन जब जानलेवा साबित हो रहा है, ऐसे में इस पर बात करना जरूरी है कि बच्चों को इससे कैसे बचाया जाए क्योंकि इसने बच्चों के दिमाग पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में घर में माता-पिता और दूसरे बड़े-बुजुर्गों को बच्चों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्हें बच्चों की परवरिश कुछ इस तरह से करनी होगी जिससे बच्चे इस बात को समझ सकें कि गेमिंग उतनी ही की जाए जितनी जरूरी है वरना यह उनकी पढ़ाई पर तो असर डालेगी ही उनके लिए और भी मुश्किल खड़ी कर देगी।
क्या करें माता-पिता?
इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को वक्त दें और गेमिंग के बजाय उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे बाहर जाकर बच्चों के साथ खेलें। इससे उनके नए दोस्त बनेंगे और वे अपने खाली समय में गेमिंग से बच सकेंगे। बच्चों को पार्क में जाने की परमिशन दें और उन्हें एक्सरसाइज करने के लिए कहें।
बच्चे जिस भी फोन पर गेम खेलते हैं उसमें पासवर्ड जरूर लगाया जाए, यह भी बहुत जरूरी है कि अगर बच्चे गेम खेलने की जिद करते हैं तो इसके लिए वक्त तय कर दिया जाए और अधिकतम 1 घंटे से ज्यादा गेम खेलने की उन्हें अनुमति न दें।
इस बात को चेक करते रहें कि बच्चे कौन-कौन से गेम खेल रहे हैं और वे मोबाइल पर क्या देखते हैं। क्योंकि इन गेम्स और वीडियो की वजह से बच्चों के अंदर आक्रामक होने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। अगर इस सब से भी बच्चों को फायदा नहीं होता है तो उन्हें किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक के पास ले जाएं।
बच्चों में बढ़ रहा है मोटापा
गेमिंग की लत की वजह से बच्चों की मेंटल हेल्थ पर तो गंभीर असर पड़ ही रहा है, उनकी ओवरऑल हेल्थ पर भी इसका खराब असर हो रहा है क्योंकि बच्चे घर से बाहर खेलने नहीं जा पाते और उनका वजन बढ़ रहा है। निश्चित रूप से अगर आप देखेंगे तो कई बच्चे आपको कम उम्र में ही मोटापे का शिकार होते दिखाई देंगे।
बच्चे किसी भी देश, समाज, परिवार का भविष्य होते हैं। ऐसे में अगर हम अपने देश को मजबूत देखना चाहते हैं तो हमें बच्चों को इस गेमिंग के राक्षस से बचाना ही होगा, वरना इसकी लत कई और बच्चों को भी अपना शिकार बना लेगी।