Chhava Movie Aurangzeb Controversy: भारत की राजनीति में इन दिनों मुगल शासक औरंगजेब को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। औरंगजेब को लेकर बहस हाल ही में आई एक फिल्म ‘छावा’ के बाद शुरू हुई है। ‘छावा’ फिल्म में दिखाया गया है कि औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े बेटे छत्रपति संभाजी महाराज पर जुल्म किए थे और उनकी निर्दयता से हत्या कर दी थी। ‘छावा’ फिल्म में संभाजी महाराज की भूमिका विक्की कौशल ने निभाई है। संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे।

इसके बाद जब महाराष्ट्र में सपा के अध्यक्ष अबु आजमी ने औरंगजेब को महान प्रशासक बताया तो बहस की इस आग में घी पड़ गया। आजमी के बयान का न सिर्फ महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति की सरकार ने विरोध किया बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे लेकर सख्त बयान दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अबु आजमी को उत्तर प्रदेश भेज दिया जाना चाहिए उसका अच्छे से इलाज किया जाएगा। और भी कई नेताओं के बयान ने इस बहस को तीखा कर दिया है।

आइए समझते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब को लेकर इतिहासकारों ने क्या कहा है और भारत और पाकिस्तान में औरगंजेब को किस रूप में देखा जाता है।

औरंगजेब की धार्मिक नीतियों को लेकर इतिहासकारों में गहरी बहस होती रही है। कुछ इतिहासकार जैसे जदुनाथ सरकार औरंगजेब को कट्टरवादी मानते हैं जबकि शिब्ली नोमानी जैसे कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब के फैसले राजनीतिक थे, धार्मिक नहीं।

करनाल के युद्ध में नादिर शाह की जीत ने कैसे भारत में मुगल साम्राज्य का हमेशा के लिए अंत कर दिया?

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नादिर शाह ने मोहम्मद शाह ‘रंगीला’ को हराया था करनाल की लड़ाई में। (Wikimedia Commons/Indian Express)

भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता था औरंगेजब

जदुनाथ सरकार अपनी किताब ‘A Short History of Aurangzeb’ में लिखते हैं कि औरंगजेब भारत को दार-उल-इस्लाम (इस्लामिक स्टेट) बनाना चाहता था, जहां इसे नहीं मानने वाले लोगों को मौत की सजा दे दी जाती। दूसरी ओर शिब्ली नोमानी अपनी किताब ‘Aurangzeb Alamgir Par Ek Nazar’ में लिखते हैं कि इस्लाम के प्रति औरंगज़ेब का उत्साह एक संत के बजाय एक राजनेता जैसा था।

बंगाली कवि मलय रॉय चौधरी लिखते हैं कि औरंगजेब ने कम उम्र में ही मूर्तियों को तोड़ने वाला चरित्र दिखाया था। 1659 में अपने दूसरे राज्याभिषेक के बाद औरंगजेब ने शराब, जुआ और वेश्यावृत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि इन्हें इस्लाम में वर्जित माना जाता है। अपने शासन में औरंगजेब ने ऐसे कई करों को खत्म कर दिया जो इस्लामिक कानून के मुताबिक नहीं थे और राजस्व की भरपाई के लिए गैर-मुस्लिमों पर फिर से जजिया कर लगा दिया।

भाईयों को मारा, पिता को जेल में कैद रखा

औरंगज़ेब की कट्टरता को उसके पालन-पोषण और सत्ता हथियाने के जटिल सफर से समझा जा सकता है। शाहजहां के शासनकाल में औरंगज़ेब और उसके तीन भाइयों खासकर दारा शिकोह के बीच सत्ता के लिए जबरदस्त संघर्ष हुआ। दारा शिकोह हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच अच्छे संबंधों की वकालत करते थे और उन्हें उनके पिता का पसंदीदा उत्तराधिकारी माना जाता था। सत्ता हासिल करने के लिए औरंगज़ेब ने अपने भाइयों से जमकर लड़ाई लड़ी और तीनों को मौत की सजा दी। औरंगज़ेब ने अपने पिता को उनके जीवन के आखिरी सात साल तक एक जेल में कैद रखा।

इतिहासकार कॉपलैंड के मुताबिक, इन क्रूर घटनाओं की वजह से औरंगज़ेब के शासन पर सवाल उठे और उसने उलेमाओं को खुश करने वाली नीतियां बनाईं क्योंकि उनका समर्थन सत्ता बनाए रखने के लिए जरूरी था। रटगर्स विश्वविद्यालय में इतिहासकार और दक्षिण एशियाई इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर ऑड्रे ट्रुश्के ने लिखा है कि औरंगजेब ने खुद को दारा शिकोह से अलग दिखाया और ऐसा करने के पीछे वजह धर्म नहीं बल्कि राजनीति थी।

हिंदू मंदिरों को तुड़वाने का आरोप

भारत में औरंगजेब के बारे में कहा जाता है कि उसने अपने शासनकाल में सैकड़ों हिंदू मंदिरों को तुड़वाया लेकिन इतिहासकार रिचर्ड ईटन अपनी किताब ‘Temple Desecration and Muslim States in Medieval India’ में लिखते हैं कि औरंगजेब के शासन में सिर्फ एक दर्जन से अधिक मंदिर तोड़े गए और उनमें से भी बहुत कम मामलों में इस मुगल शासक ने सीधे मंदिर तोड़ने का आदेश दिया था।

कुछ स्टडी में इस बात का दावा किया गया है कि औरंगजेब के शासन में हिंदुओं को सरकारी नौकरियों से हटा दिया गया था जबकि कुछ अध्ययन में कहा गया है कि औरंगजेब के शासनकाल में किसी भी दूसरे मुगल शासक से ज्यादा हिंदू अधिकारी थे। इतिहासकार कॉपलैंड का कहना है कि औरंगजेब ने जितने मंदिर तोड़े हैं उससे ज्यादा बनवाए थे। जवाहरलाल नेहरू ने ‘Discovery of India’ में औरंगजेब को कट्टर बताया था और कहा था कि उसने भारतीय सम्राट से ज्यादा एक मुस्लिम शासक की तरह काम किया था।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में है दारुल उलूम हक्कानिया। (Photo: Reuters)

पीएम मोदी ने की थी औरंगजेब के शासन पर बात

2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में एक कार्यक्रम में औरंगजेब के अत्याचारों और कट्टरता पर बात की थी। 2022 में, सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर की जयंती पर मोदी ने कहा था कि गुरु तेग बहादुर औरंगजेब की तानाशाही सोच के सामने चट्टान की तरह खड़े थे।

पाकिस्तान में माना जाता है आदर्श मुस्लिम शासक

पाकिस्तान का जोरदार समर्थन करने वाले मशहूर विचारक अल्लामा इकबाल ने औरंगजेब को ‘भारतीय मुसलमानों की राष्ट्रीयता का संस्थापक’ बताया था। कट्टरपंथी इस्लामी नेता मौलाना अबुल आला मौदूदी ने इस्लाम के प्रति प्रतिबद्धता के लिए औरंगजेब की प्रशंसा की थी और उसे पाकिस्तान के लिए आदर्श बताया था। Brookings Institute की एक रिपोर्ट के मुताबिक, औरंगज़ेब धार्मिक कट्टरपंथियों का प्रतीक है जबकि दारा शिकोह उदारवादी हैं।

पाकिस्तान में औरंगजेब को आदर्श मुस्लिम शासक के रूप में देखा जाता है। औरंगजेब के बारे में माना जाता है कि उसने धर्म को सबसे ऊपर रखा जबकि उसके परदादा अकबर के बारे में कहा जाता है कि वह सभी धर्मों की मान्यताओं का सम्मान करते थे। अकबर के बारे में यह भी कहा जाता है कि जब उसकी उम्र सिर्फ 22 साल थी तब उसने हिंदुओं के खिलाफ लगे जजिया कर को समाप्त कर दिया था और गायों की हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा उसने वेदों, महाभारत और रामायण का फारसी में अनुवाद कराया था।

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