छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की गहमागहमी अब दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। जहां रोज अदावत-बगावत के साथ नेताओं के नए तेवर सामने आ रहे हैं, वहीं चुनावी तैयारियों की तेजी भी लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही हॉट सीट्स पर सबकी नजरें गड़ती जा रही हैं। राजधानी रायपुर की एक विधानसभा सीट (रायपुर दक्षिण) भी ऐसी ही है।
रायपुर दक्षिण से कांग्रेस ने दूधाधारी मठ के महंत राम सुंदर दास को टिकट दिया है। महंत का मठ चुनावी अखाड़े के मुख्य केंद्र में तब्दील हो गया है। अनुयायियों के साथ कांग्रेसी कार्यकर्ता भी एक साथ मठ में रह रहे हैं।
महंत के लिए यह सीट नई है। वह पामगढ़ और जैजैपुर से विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि उनका आध्यात्मिक प्रभाव उन्हें विजय दिला देगा। लेकिन, यह सीट पूर्व मंत्री और भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल का गढ़ रहा है। वह सात बार यहां से जीते हैं। अभी भी वही यहां के विधायक हैं।
इस सीट पर तीन दशक से लगातार हार रही है कांग्रेस
कांग्रेस तीन दशक से लगातार, हर बार यहां अलग-अलग उम्मीदवार उतारती रही है। इस बार प्रत्याशी बनाए गए महंत जांजगीर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने टिकट रायपुर दक्षिण से दे दिया। बृज मोहन अग्रवाल इसे कांग्रेस का महंत के साथ धोखा बता कर प्रचारित कर रहे हैं, जबकि महंत का कहना है कि सात बार विधायक बनने के बाद भी अग्रवाल ने क्षेत्र के विकास के लिए काम नहीं किया। इसलिए एक बार जनता उन्हें मौका दे।
मुस्लिम मतदाता नहीं, कांग्रेसियों की बगावत महंत के लिए चुनौती
रायपुर दक्षिण में 2.80 लाख वोटर्स हैं। करीब दस फीसदी (28-32 हजार) मुस्लिम मतदाता हैं। सबसे ज्यादा संख्या (करीब 40 हजार) साहू मतदाताओं की है। 25 हजार से ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स भी बताए जाते हैं।
मुस्लिम मतदाता भले ही दस फीसदी हों, पर वे निर्णायक नहीं हैं। न ही वे मुस्लिम उम्मीदवारों को वे वोट देते हैं। 2018 चुनाव की बात करें तो 47 में से 22 उम्मीदवार मुस्लिम थे। एक को छोड़ सभी निर्दलीय लड़े थे। इनमें से केवल पांच उम्मीदवार ऐसे थे जो सौ से ज्यादा वोट ले पाए। ऐसे में मुस्लिम मतदाता महंत के लिए कोई चुनौती नहीं हैं।
महंत के लिए चुनौती चुनाव प्रबंधन और कांग्रेसियों की बगावत है। रायपुर दक्षिण सीट से महापौर एजाज ढेबर भी चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन, महंत को टिकट मिलने के बाद ढेबर के समर्थक उग्र हो गए। 19 अक्तूबर को ये समर्थक सड़क पर उतर गए और नेताजी सुभाष स्टेडियम में जमा होकर जम कर नारेबाजी की। फिर उन्होंने रैली भी निकाली और इसी बीच एक समर्थक ने खुद को आग लगाने की कोशिश की। पुलिस ने उसे किसी तरह बचाया और हंगामा शांत करवाया।
हालांकि, ढेबर ने सार्वजनिक रूप से महंत राम सुंदर दास को समर्थन देने का ऐलान किया है, लेकिन असल में उनका क्या रुख रहेगा, यह कहा नहीं जा सकता। ढेबर अब रायुपर उत्तर विधानसभा सीट से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए हुए हैं।
कई और सीटों पर विद्रोह की बयार
कांग्रेसियों की बगावत रायपुर दक्षिण सीट तक ही सीमित नहीं है। कई विधायकों ने भी खुल कर बागी तेवर दिखाए हैं। अंतागढ़ के विधायक अनूप नाग का टिकट कटा तो उन्होंने निर्दलीय नामांकन भर दिया। पाली-तानाखार के विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने खुले आम विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत पर टिकट कटने का आरोप लगाया और कहा कि वह किसी और दल से चुनाव लड़ेंगे और जीत कर दिखाएंगे। कई और विधायक बगावती मूड में हैं। कांग्रेस ने 90 में से 83 उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें से 18 विधायकों का टिकट कटा है।
2018 के विधानसभा चुनाव में रायपुर दक्षिण सीट से करीब 47 उम्मीदवार लड़े थे। सबसे ज्यादा (77589) वोट भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल को मिले थे। कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल दूसरे नंबर पर (60093 वोट) रहे थे। तीसरे नंबर पर बसपा थी। उसके उम्मीदवार उमेश दास माणिकपुरी को 1514 वोट मिले थे। बाकी उम्मीदवारों को 25 से 1363 के बीच मत मिले थे।