23 दिसंबर को भारत में ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। वर्ष 2001 में अटल बिहार वाजपेयी सरकार ने चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। आइए जानते हैं भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बारे में जिनका कार्यकाल महज 170 दिन का रहा।
चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव (अब जिला हापुड़ में) हुआ था। वे पहली बार 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। जून 1951 में, वे राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री बने। उस समय वे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे लेकिन पार्टी की दिशा से असंतुष्ट होकर चरण सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और उत्तर प्रदेश में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई। उन्होंने भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) का भी गठन किया। चौधरी चरण सिंह ने दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, इसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में अधिक सक्रिय हो गए।
इमरजेंसी के दौरान चरण सिंह को एक साल के लिए जेल भेज दिया गया
1974 में, उन्होंने अपनी पार्टी का संयुक्त समाजवादी पार्टी के साथ विलय करके भारतीय लोक दल (बीएलडी) का गठन किया। अगले साल जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की तो चरण सिंह को अन्य प्रमुख विपक्षी नेताओं की तरह एक साल के लिए जेल भेज दिया गया। आपातकाल हटने के बाद, 1977 में सत्ता में आई मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार में बीएलडी एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभरी। चुनावों में, बीएलडी ने चुनाव लड़े गए 405 सीटों में से 295 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और स्वतंत्रता के बाद से यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन था, क्योंकि उसने चुनाव लड़े गए 492 सीटों में से केवल 154 सीटें ही जीतीं।
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जब 170 दिन के लिए पीएम बने चौधरी चरण सिंह
चरण सिंह 24 मार्च, 1977 से 1 जुलाई, 1978 तक केंद्रीय गृह मंत्री बने। पार्टी में बढ़ते मतभेदों के चलते मोरारजी देसाई ने 24 जनवरी, 1979 को चरण सिंह को उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री नियुक्त किया। वे 16 जुलाई तक इस पद पर बने रहे। आंतरिक कलह कम होने के कोई संकेत न दिखने पर मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जनता पार्टी में फूट पड़ गई और जनता पार्टी (धर्मनिरपेक्ष) का गठन हुआ। यह जनता पार्टी के प्रयोग के अंत की शुरुआत थी। चरण सिंह ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया और 28 जुलाई, 1979 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
चौधरी चरण सिंह हालांकि, संसद में अपनी सरकार का बहुमत कभी साबित नहीं कर सके। छठी लोकसभा का पांच वर्षीय कार्यकाल मार्च 1981 में समाप्त होना था लेकिन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 22 अगस्त 1979 को सदन भंग कर दिया। चरण सिंह 14 जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते रहे। कुल मिलाकर उन्होंने 170 दिन पद पर बिताए।
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1980 के चुनावों में, चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के बागपत से जनता पार्टी (सेकुलर) के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के राम चंदा विकल को हराकर संसद में पुनः निर्वाचित हुए। हालांकि उनकी पार्टी ने 41 सीटें जीतीं और संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने भारी बहुमत से चुनाव जीता।
