लोकसभा चुनाव 2024 में अब केवल एक चरण का मतदान बाकी है। एक जून को जिन सीटों पर वोटिंंग होगी, उनमें बिहार का बक्सर भी शामिल है। यहां बीते दो चुनावों से बीजेपी के अश्विनी चौबे सांसद हैं। इस बार उनका टिकट कट गया है तो नाराज बताए जा रहे हैं। और उनके टिकट कटने की वजह उनसे जनता की नाराजगी बताई जा रही है। ऐसे में चौबे की नाराजगी से भाजपा का खेल बिगड़ेगा? यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन, बक्सर की चुनावी लड़ाई में कुछ और चुनौतियां हैं, आगे जानते हैं।
बक्सर लोकसभा सीट पर वैसे तो चुनावी मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी और आरजेडी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह के बीच है लेकिन यहां दो निर्दलीय उम्मीदवार हैं जो इन दोनों दलों का खेल बिगाड़ सकते हैं। इन निर्दलीय उम्मीदवारों के नाम ददन पहलवान और आनंद मिश्रा हैं। यही नहीं, चुनौतियां और भी हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा सीट में आने वाली 6 विधानसभा सीटों में से किसी पर भी बीजेपी को जीत नहीं मिली थी।
पिछले दो चुनाव में यहां से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले अश्विनी कुमार चौबे को इस बार पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया है। वह चुनाव प्रचार में लगातार गैर हाजिर रहे और दबे मन से अपनी नाराजगी भी जताते रहे।
बीजेपी 1996 से लगातार (2009 को छोड़कर) इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर रही है। 2009 में यहां से आरजेडी के उम्मीदवार जगदानंद सिंह जीते थे, जिनके बेटे सुधाकर सिंंह इस बार यहां चुनाव लड़ रहे हैं।

Buxar Lok Sabha Vote Share: आरजेडी का वोट 15% बढ़ा
बक्सर लोकसभा सीट के पिछले तीन चुनावी नतीजों को देखा जाए तो यह पता चलता है कि बीजेपी का वोट प्रतिशत यहां 27% तक बढ़ा है जबकि आरजेडी के वोट में 15% की बढ़ोतरी हुई है।
साल 2009, 2014 और 2019 के चुनाव के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि अन्य को मिलने वाले वोट प्रतिशत में अच्छी-खासी कमी आई है।
राजनीतिक दल | 2009 (मिले वोट) | 2014 (मिले वोट) | 2019 (मिले वोट) |
बीजेपी | 20.91% | 35.92% | 47.94% |
आरजेडी | 21.27% | 21.02% | 36.02% |
अन्य | 57.82% | 43.07% | 16.05% |
बीजेपी को बक्सर में सवर्ण मतदाताओं पर भरोसा है तो आरजेडी मुस्लिम-यादव समीकरण के अलावा पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय में आने वाली अन्य जातियों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है।
Mithilesh Tiwari Buxar: संगठन में काम करने का है अनुभव
मिथिलेश तिवारी पिछले तीन दशक से ज्यादा वक्त से बीजेपी में हैं और उन्होंने यहां पर पार्टी के लिए काफी काम किया है। वह बक्सर लोकसभा क्षेत्र के सभी इलाकों को पहचानते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में मिथिलेश तिवारी बैकुंठपुर सीट से विधायक बने थे। वह बिहार बीजेपी में प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री भी रहे हैं। वर्तमान में वह बिहार बीजेपी के महामंत्री हैं।
Sudhakar Singh Buxar : जगदानंद सिंह के बेटे हैं सुधाकर
आरजेडी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह पूर्व मंत्री और बिहार आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। जगदानंद सिंह 2009 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वह हार गए थे। जगदानंद सिंह आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबियों में शामिल हैं। सुधाकर बिहार सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में रामगढ़ सीट से विधायक हैं।
सुधाकर सिंह को यहां पर अपनी किसानों का समर्थक होने की छवि का फायदा मिल सकता है। वह किसानों से जुड़े मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि कृषि विभाग में घोर भ्रष्टाचार हुआ है और उनके पास इसके पुख्ता प्रमाण हैं।

Dadan Pahalwan: विधायक, मंत्री रह चुके हैं ददन पहलवान
आरजेडी के लिए बागी उम्मीदवार ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान मुसीबत बने हुए हैं। ददन पहलवान ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर यहां से 1.84 लाख वोट हासिल किए थे। ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान डुमरांव विधानसभा सीट से चार बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। वह बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं। उन पर कई मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे में ददन पहलवान इस सीट पर आरजेडी के आधार वोट बैंक यादव में सीधे तौर पर सेंधमारी कर सकते हैं।
Anand Mishra Buxar: मिश्रा को है चुनाव जीतने का भरोसा
इसी तरह भाजपा के लिए यहां पर आईपीएस अफसर रहे आनंद मिश्रा मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। आनंद मिश्रा इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने बीते साल दिसंबर में अपने पद से इस्तीफा दिया था और दावा किया था कि भाजपा ने उन्हें टिकट देने का वादा किया था। मिश्रा कहते हैं कि वह चुनाव जरूर जीतेंगे। मिश्रा चूंकि ब्राह्मण समुदाय से आते हैं इसलिए वह इस वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं।
Ashwini Choubey: अश्विनी चौबे की नाराजगी पड़ेगी भारी?
बीजेपी के लिए यहां मुश्किल अपने वर्तमान सांसद अश्विनी चौबे की नाराजगी से भी है। अश्विनी चौबे अब तक मिथिलेश तिवारी के समर्थन में चुनाव प्रचार करते नहीं दिखाई दिए हैं। टिकट कटने के बाद उन्होंने खुलकर नाराजगी भी जताई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बक्सर में आयोजित चुनावी जनसभा में भी अश्विनी चौबे नहीं पहुंचे थे और यह माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी बरकरार है। चौबे पिछले दो चुनाव यहां से जीत चुके हैं। बताया जाता है कि उनके खिलाफ क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर थी और इसी वजह से उनका टिकट कटा। अब लोगों की चौबे से और चौबे की भाजपा से नाराजगी का असर जो भी हो, लेकिन यह मुद्दा है।

बसपा ने बक्सर से अनिल कुमार को टिकट दिया है। पार्टी प्रमुख मायावती उनके समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित कर चुकी हैं। अनिल कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं और अगर बसपा के परंपरागत दलित मतदाताओं का समर्थन उन्हें मिलता है तो वह भी चुनावी खेल बिगाड़ सकते हैं।
Buxar Lok Sabha Caste Equation: सबसे ज्यादा है ब्राह्मण आबादी
राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, बक्सर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं और उनकी संख्या यहां चार लाख है। यादव मतदाताओं की संख्या लगभग 3.5 लाख, राजपूत मतदाताओं की संख्या 3 लाख, भूमिहार मतदाता 2.5 लाख है। बक्सर में मुस्लिम मतदाता 1.5 लाख के आसपास हैं। इसके अलावा दलित समुदाय के मतदाता भी एक लाख से ज्यादा हैं और ओबीसी की अन्य जातियां अच्छी संख्या में हैं।

बक्सर लोकसभा सीट में 6 विधानसभा सीटें- बक्सर, ब्रह्मपुर, राजपुर, डुमरांव, रामगढ़ और दिनारा आती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर इंडिया गठबंधन या महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इन 6 सीटों में से 3 सीटें आरजेडी, दो सीटें कांग्रेस और एक सीट सीपीआई(एमएल) के पास है।