सिडनी के बॉन्डी बीच पर दो बंदूकधारियों ने 14 दिसंबर को ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इसमें 15 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। फायरिंग की यह घटना यहूदी त्योहार हनुक्का के दौरान हुई। ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि इस आतंकी हमले को इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रेरित बाप-बेटे ने अंजाम दिया था।

बाप का नाम साजिद अकरम और बेटे का नाम नवीद अकरम है। न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने कहा है कि हमलावरों से आईएस के झंडे मिले हैं।

इस आतंकी हमले के बाद एक सवाल फिर से जिंदा हो गया है कि इस्लामिक स्टेट की विचारधारा आस्ट्रेलिया में कैसे मजबूत हुई?

निकाह करने के लिए हैदराबाद आया था साजिद

9/11 के हमले के बाद लंबे वक्त तक ऑस्ट्रेलिया में जिहादी हिंसा की कोई वारदात नहीं हुई। आतंकवाद से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ ब्रूस हॉफमैन कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में घरेलू स्तर पर जिहादी हिंसा की कोई घटनाएं नहीं हुई थीं। ऑस्ट्रेलिया मुख्य रूप से बाली (2002), अफगानिस्तान और इराक में हुई बाहरी घटनाओं से जुड़ा था।

इस्लामिक स्टेट के आने के बाद बदले हालात

इस्लामिक स्टेट के उभरने के साथ ही हालात पूरी तरह बदल गए। 2014 से 2020 के बीच ऑस्ट्रेलिया में आईएस की विचारधारा से प्रेरित नौ घटनाएं हुईं। इनमें गोलीबारी, चाकूबाजी और बंधक बनाए जाने की घटनाएं शामिल शामिल थीं। जबकि 2014 से पहले ऑस्ट्रेलिया में एक भी जिहादी हमला नहीं हुआ था। नौ में से अधिकांश हमले अकेले हमलावरों या छोटे समूहों द्वारा किए गए थे।

‘यहूदी समुदाय पर जानबूझकर किया गया हमला…’

सीरिया और इराक पहुंचे युवक

आईएस के बढ़ते असर का यह साफ संकेत था कि बड़ी संख्या में ऑस्ट्रेलिया के युवक लड़ने के लिए सीरिया और इराक पहुंच गए थे। ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस ऑर्गनाइजेशन (एएसआईओ) और शोध संस्थानों जैसे- Lowy Institute और CTC Sentinel के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के लगभग 230 नागरिक आईएस या उससे जुड़े आतंकी समूहों में शामिल हुए, जबकि 250 लोगों को ऐसा करने से रोका गया। यह संख्या 500 के आसपास बैठती है।

इसकी तुलना अगर भारत से करें तो यहां 20 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम आबादी होने के बावजूद आईएस या उससे जुड़े संगठनों में इतने लोग शामिल नहीं हुए।

बॉन्डी बीच पर गोलीबारी करने वाले नवीद अकरम की मां बोली- वह बहुत अच्छा लड़का

ऑस्ट्रेलिया से ऐसे कई लोग सामने आए जिन्होंने वहां आईएस की जिहादी विचारधारा के प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई। इनमें सबसे कुख्यात खालिद शरौफ था, जिसकी 2014 में एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें वह रक्का में अपने सात साल के बेटे के साथ एक कटा हुआ सिर पकड़े हुए दिखाई दिया था। दूसरा जेक बिलार्डी था। जेक बिलार्डी मेलबर्न का 18 साल का युवक था उसे “जिहादी जेक” कहा जाता था।

तीसरा शख्स नील प्रकाश था, जो भारतीय-फिजीयन और कंबोडियन मूल का ऑस्ट्रेलियाई नागरिक था। नील प्रकाश को अबू खालिद अल-कंबोदी के नाम से भी जाना जाता है।

एएसआईओ का कहना है कि भले ही आईएस कमजोर हो गया है लेकिन उसकी विचारधारा अभी भी खतरनाक है। इसके साथ ही अकेले हमला करने वाले अब भी सबसे बड़ी चिंता बने हुए हैं। बॉन्डी बीच पर हुए आतंकी हमले ने इस चिंता में इजाफा कर दिया है।

हमास के हमले के बाद सिडनी की गोलीबारी में भी बचे शख्स ने क्या कहा?