भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश की सरकार की ओर से राज्य भर के कॉलेजों को एक सूची भेजी गई है जिसमें 88 किताबों के नाम हैं। सरकार की ओर से आदेश दिया गया है कि कॉलेज इन किताबों को खरीदे। सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया है कि इससे भारतीय पारंपरिक ज्ञान को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा।
इन किताबों में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डी. अतुल कोठारी, देवेन्द्र राव देशमुख जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं द्वारा लिखी गई किताबें शामिल हैं। ये सभी नेता आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े हैं।
88 में से 14 किताबें आरएसएस से जुड़े दीनानाथ बत्रा की लिखीं
इन 88 किताबों में से 14 किताबों को विद्या भारती के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव दीनानाथ बत्रा ने लिखा है। दीनानाथ बत्रा ने आरएसएस के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 2017 में एनसीईआरटी से सिफारिश की थी कि पंजाबी कवि अवतार पाश की सबसे ‘खतरनाक कविता’ को क्लास 11 की हिंदी की किताबों से हटा दिया जाना चाहिए।
इससे पहले इस साल जून में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भगवान राम और कृष्ण के द्वारा दी गई शिक्षाओं को राज्य के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की थी।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने इस बात की भी सिफारिश की है कि प्रत्येक कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ बनाया जाए जिससे अंडरग्रेजुएट कोर्स में इन किताबों को पढ़ाया जा सके।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के सीनियर अफसर डॉक्टर धीरेंद्र शुक्ला की ओर से सभी सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के प्रिंसिपल को इस संबंध में एक पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि इन सभी 88 किताबों को बिना किसी देरी के खरीद लिया जाना चाहिए।
शुक्ला ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “हम लगातार नई किताबें शामिल करने का आदेश जारी कर रहे हैं। हमने अब तक लगभग 400 किताबों की सिफारिश की है और ऐसा कहना गलत होगा कि यह किताबें सिर्फ आरएसएस के नेताओं की हैं।”
शुक्ला ने कहा कि ऐसे कई प्रकाशक हैं जो अपनी किताबों की सूची हमें देते हैं। इसमें से हमने कुछ सर्वश्रेष्ठ किताबें चुनी हैं और यह भारत की विचारधारा और परंपराओं को फैलाने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि इन किताबों को नई शिक्षा नीति के बाद शामिल किया गया है।
बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने
इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस भी आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस का कहना है कि कॉलेज में सिर्फ जरूरी सब्जेक्ट्स को ही पढ़ाया जाना चाहिए और राजनीतिक विचारधारा को लेकर टकराव को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। जबकि बीजेपी ने कहा है कि इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है और इन किताबों के जरिए राष्ट्र निर्माण और देशभक्ति की पढ़ाई के बारे में ही बताया जाएगा।
एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव
हाल के वर्षों में देश भर में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी की किताबों में भी काफी बदलाव हुए हैं, जिन्हें लेकर विवाद भी हुआ है। हाल ही में एनसीईआरटी की छठी से बारहवीं कक्षा की इतिहास, समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान की किताबों में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। पिछले साल एनसीईआरटी ने महात्मा गांधी की हत्या और भारत की आजादी के बाद उन्होंने जो किया, उसके संदर्भ को राजनीति विज्ञान की किताबों से हटा दिया था।
12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब से महात्मा गांधी के बारे में लिखी गई इन लाइनों को हटा दिया गया था। “हिंदू-मुस्लिम एकता के उनके दृढ़ प्रयास ने हिंदू कट्टरपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधी जी की हत्या के कई प्रयास किए। इसके बावजूद, उन्होंने सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया और अपनी प्रार्थना सभाओं के दौरान सभी से मिलना जारी रखा।”
महात्मा गांधी की हत्या, उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को पुणे का एक ब्राह्मण बताना और एक कट्टर हिंदू अखबार के संपादक जिन्होंने महात्मा गांधी की मुसलमानों का तुष्टिकरण करने वाले शख्स के रूप में निंदा की थी, के संदर्भ को भी 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से हटा दिया गया था।
एनसीईआरटी ने कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी और सामाजिक विज्ञान की किताबों से गोधरा दंगों के सभी संदर्भ हटा दिए गए थे। इसके अलावा 12वीं कक्षा की समाजशास्त्र की किताब ‘अंडरस्टैंडिंग सोसाइटी’ से भी गोधरा दंगों का संदर्भ हटा दिया गया था। हटाए गए ये पैराग्राफ वर्ग, धर्म और जातीयता के बारे में थे।
किताब में बाबरी मस्जिद का नाम नहीं
एनसीईआरटी की ओर से कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की किताबों में बाबरी मस्जिद का नाम नहीं है और इसे “तीन गुंबद वाली संरचना” कहा गया है।
पुरानी किताबों में बाबरी मस्जिद को मुगल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाकी द्वारा 16वीं शताब्दी में बनाई गई मस्जिद के रूप में बताया गया था। लेकिन अब इसे कहा गया है कि यह “एक तीन-गुंबद वाली संरचना है जो 1528 में श्री राम के जन्मस्थान पर बनाई गई थी लेकिन इस संरचना के अंदरुनी और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों के दृश्य दिखाई देते थे।”
इसके अलावा कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की किताबों में अयोध्या खंड से जुड़ी चीजों को चार से घटाकर दो पेजों का कर दिया गया है। इसमें गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की रथयात्रा, कारसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा, बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन आदि बातें शामिल थी।
एनसीईआरटी का कहना रहा है कि ये बदलाव रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा हैं। विपक्षी पार्टियां और गैर दक्षिणपंथी माने जाने वाले बुद्धिजीवियों का कहना रहा है कि सरकार इतिहास बदलने की साजिश के तहत ऐसे बदलाव कर रही है।