भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) कई वर्षों से ‘राम सेतु’ (Ram Setu) को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दी है। फिलहाल सेतु का मामला संविधान पीठ के समक्ष है।
दूसरी तरह सुप्रीम कोर्ट स्वामी की मांग पर सुनवाई के लिए तैयार हो गयी है। हालांकि मेंशनिंग के दौरान उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह संविधान पीठ के बाद इस मामले की सुनवाई करेंगे।
लेकिन भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तत्काल सुनवाई की गुहार लगाते हुए कहा कि आप तो आप तो मास्टर ऑफ रोस्टर हैं, आप तो कुछ भी कर सकते हैं। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, देखिए अधिक पावर के साथ, अधिक जिम्मेदारी भी बढ़ती है।
क्या है पूरा मामला?
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी पिछले कई सालों से राम सेतु को ऐतिहासिक स्मारक की मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है। पिछले कई माह से वह सुनवाई की गुहार भी लगा रहे हैं। लेकिन कोर्ट इस मामले पर केंद्र सरकार का राय जानना चाहती है। कोर्ट ने मोदी सरकार से हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट को कहा था। लेकिन केंद्र ने अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया है।
सेतु पर सरकार की राय
‘राम सेतु’ को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में दिसंबर 2022 में पृथ्वी विज्ञान मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा था कि
“भारतीय सैटेलाइटों ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु वाले इलाके की हाई रिज़ोल्यूशन तस्वीरें ली हैं। इस खोज की कई सीमाएं हैं क्योंकि इसका इतिहास 18 हज़ार सालों से अधिक पुराना है। और इतिहास को देखें तो ये पुल 56 किलोमीटर लंबा था। स्पेस तकनीक के जरिए हम चूना पत्थर के बने नन्हे द्वीप और कुछ टुकड़े खोज पाए हैं। हालांकि हम पुख्ता तौर पर ये नहीं कह सकते कि ये टुकड़े सेतु का हिस्सा रहे होंगे लेकिन इनमें कुछ तरह की निरंतरता दिखती है।”
कोर्ट में सेतु पर केंद्र की राय
कांग्रेस सरकार की तरह ही भाजपा सरकार भी सेतु समुद्रम परियोजना पर काम कर रही है। हालांकि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब भाजपा इस परियोजाना का विरोध करती थी। यह परियोजना समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने को लेकर है।
इस परियोजना के तहत पहले सेतु को तोड़ने पर विचार किया जा रहा था लेकिन केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट कर दिया है कि राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी।
