बिहार में भाजपा-जेडीयू का गठबंधन टूट चुका है। जेडीयू के कोटे से राज्यसभा उपसभापति बने हरिवंश नारायण सिंह फिलहाल पद पर बने हुए हैं। हालांकि उनके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हैं। क्या सिंह उपसभापति के पद से इस्तीफा देकर जेडीयू की तरफ से सक्रिय राजनीति में उतरेंगे या वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी की तरह सन्यास ले लेंगे?

सितंबर 2020 में एनडीए उम्मीदवार के रूप में हरिवंश नारायण सिंह को दोबारा राज्यसभा का उपसभापति चुना गया था। वह राज्यसभा के तीसरे गैर कांग्रेसी उपसभापति हैं। फिलहाल जिस परिस्थिति में सिंह नजर आ रहे हैं, कुछ वैसी ही परिस्थिति यूपीए-1 में वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी के सामने भी आ खड़ी हुई थी।

सोमनाथ चटर्जी ने क्या किया?

साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले यूपीए-1 ने अमेरिका के साथ परमाणु संधि किया था, जिसके बाद वामदलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया। उस वक्त सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे। सीपीआई (एम) ने उनसे इस्तीफा देने को कहा। लेकिन चटर्जी यह कहते हुए पद पर बने रहे कि लोकसभा अध्यक्ष किसी दल का नहीं होता। हालांकि इसके बाद सीपीआई (एम) ने उन्हें पार्टी से बेदखल कर दिया। कार्यकाल खत्म होने के बाद सोमनाथ चटर्जी ने राजनीति से सन्यास ले लिया।

हरिवंश नारायण सिंह क्या करेंगे?

हरिवंश नारायण सिंह फिलहाल पद पर बने हुए हैं। उनकी तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सिंह को राजनीति में लाने वाले नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू की तरफ से भी कोई बयान नहीं आया है। 40 वर्ष तक देश के कई मीडिया संस्थानों में विभिन्न पदों पर रह चुके हरिवंश नारायण सिंह को नीतीश कुमार ही राजनीति में लेकर आए थे। दरअसल बतौर पत्रकार सिंह ने बिहार से जुड़े गंभीर विषयों को प्रमुखता से उठाया था। इसी दौरान वह नीतीश कुमार के करीब आए। नीतीश उन्हें जेडीयू में लाए, पहले पार्टी का महासचिव बनाया और 2014 में राज्यसभा भेज दिया।

भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार आरजेडी, कांग्रेस सहित छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। वह 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और तेजस्वी यादव दूसरी बार डिप्टी सीएम की बनेंगे।

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