हरियाणा में एक बार फिर से सरकार बनाने का जोर-शोर से दावा कर रही बीजेपी को किसी सहारे की जरूरत क्यों है? बीजेपी पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) से गठबंधन का एलान कर चुकी है लेकिन हलोपा उससे 6 विधानसभा सीटें मांग रही है जबकि बीजेपी एक या दो से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं दिखती।
बीजेपी ने राज्य में साढ़े चार साल तक सरकार चलाने के बाद इस साल मार्च में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से अपना गठबंधन तोड़ दिया था जबकि जेजेपी को पिछले चुनाव में 10 सीटें मिली थी और हलोपा को सिर्फ एक। लेकिन फिर भी उसने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर हलोपा के साथ गठबंधन किया है।
इस महीने की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हलोपा के सुप्रीमो और सिरसा के विधायक गोपाल कांडा के आवास पर पहुंचे थे और यहां मुख्यमंत्री ने हलोपा के साथ गठबंधन का ऐलान किया था।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य में 12 सितंबर से नामांकन शुरू होने हैं। 1 अक्टूबर को वोटिंग होनी है और 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भी बीजेपी ने दम भरा है कि वह राज्य में फिर से सरकार बनाने में कामयाब होगी।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
रणजीत बोले- रानियां से हर हाल में लड़ूंगा चुनाव
बीजेपी के लिए हलोपा से गठबंधन करने के चलते एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। मुश्किल यह है कि बीजेपी नेता रणजीत चौटाला ने खुलकर ऐलान कर दिया है कि चाहे बीजेपी टिकट दे या ना दे, वह किसी भी सूरत में विधानसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगे। रणजीत चौटाला देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के भाई हैं।
रणजीत चौटाला ने पिछला विधानसभा चुनाव रानियां सीट से निर्दलीय लड़ते हुए जीता था और तत्कालीन खट्टर सरकार को समर्थन दिया था। बीजेपी की सरकार ने उन्हें पूरी सियासी तवज्जो देते हुए राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया था। इस साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में रणजीत चौटाला बीजेपी में शामिल हुए थे और उन्हें हिसार लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था।
हिसार में रणजीत चौटाला को लगभग 63000 वोटों से हार मिली थी।

हलोपा ने बनाया बीजेपी पर दबाव
अब जब रणजीत चौटाला यह ऐलान कर चुके हैं कि वह रानियां सीट से हर हाल में चुनाव लड़ेंगे तो बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि कुछ दिन पहले ही हलोपा गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानियां सीट से चुनाव लड़ाने का ऐलान कर चुकी है।
यह माना गया था कि हलोपा ने यह ऐलान करके बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है क्योंकि उसे यह पता था कि रणजीत चौटाला बीजेपी के टिकट पर रानियां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं इसके बाद भी उसने यहां से अपना प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी।
2019 के विधानसभा चुनाव में रणजीत चौटाला ने गोबिंद कांडा को 19431 वोटों से हराया था।
सिरसा जिले में एक भी सीट नहीं जीती थी बीजेपी
हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा ने शनिवार रात को नई दिल्ली में भाजपा हरियाणा के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की। बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर टिकट दिए जाने की मांग रखी है। हरियाणा की राजनीति में गोपाल कांडा और उनके परिवार का राजनीतिक असर सिरसा जिले तक ही सीमित है।
सिरसा जिले में फतेहाबाद, ऐलनाबाद, सिरसा, रानियां, डबवाली और कालांवाली विधानसभा सीट आती हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इनमें से किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। ऐसे में गोपाल कांडा की कोशिश यहां पर भाजपा के साथ राजनीतिक सौदेबाजी के तहत कुछ सीटें झटकने की है। विशेषकर हलोपा सिरसा और रानियां सीट से टिकट चाहती है।
कुछ दिन पहले ही हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष मोहनलाल बडोली ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हलोपा को दो से ज्यादा सीटें नहीं दी जा सकती।

क्या करेगी बीजेपी?
निश्चित रूप से ऐसे में बीजेपी के सामने मुश्किलें ज्यादा है, अगर वह हलोपा के साथ गठबंधन करती है तो रानियां सीट उसे हलोपा को देनी ही होगी क्योंकि हलोपा इस सीट पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहती लेकिन ऐसी स्थिति में रणजीत चौटाला पार्टी से दूर चले जाएंगे और बीजेपी सिरसा जिले में इस बड़े नेता का साथ नहीं खोना चाहती।
अहीरवाल में भी हो सकती है मुश्किल
टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी को केवल सिरसा जिले में ही नहीं बल्कि अहीरवाल के इलाके में भी मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि अहीरवाल के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव को अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने का ऐलान कर चुके हैं।
इसके अलावा भी वह अहीरवाल की कई सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलवाना चाहते हैं।

राव नरबीर बोले- बादशाहपुर से लड़ूंगा
पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह भी खुलेआम कह चुके हैं कि बीजेपी टिकट दे या ना दे, वह किसी भी सूरत में बादशाहपुर से विधानसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगे। राव नरबीर सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर बीजेपी ने ढंग से टिकटों का बंटवारा नहीं किया तो अहीरवाल से उसका सूपड़ा साफ हो जाएगा।
निश्चित रूप से यह साफ दिख रहा है कि बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर आने वाले दिनों में काफी बड़े पैमाने पर उथल-पुथल हो सकती है।