Shashi Kapoor Birth Anniversary: अपने ज़माने में भारतीय सिनेमा जगत के सबसे हैंडसम अभिनेता माने जाने वाले शिश कपूर का जन्म 18 मार्च, 1938 को हुआ था। वह पृथ्वीराज कपूर के सबसे छोटे बेटे थे। शशि कपूर ने अभिनय की दुनिया में 10 साल की उम्र में ही कदम रख दिया था। उन्होंने सबसे पहले अपने भाई राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आग’ (1948) में बतौर चाइल्ड एक्टर काम किया था।

‘हीरो’ के रूप में उनकी पहली फिल्म साल 1961 में आयी थी। उन्होंने यश चोपड़ा की पॉलिटिकल ड्रामा ‘धर्मपुत्र’ में काम किया था। कपूर ने अपना लोहा 1965 में आयी दो फिल्मों ‘वक्त’ और ‘जब-जब फूल खिले’ से मनवाया। दोनों ही फिल्में ब्लॉकबस्टर रहीं।

करीब चार दशक के करियर में शशि कपूर को नेशनल अवार्ड, फिल्मफेयर अवार्ड, पद्म भूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी मिला। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा भी वक्त आया था, जब वह 100 रू की साइनिंग अमाउंट लेकर एक नए डायरेक्टर की फिल्म में काम करने को तैयार हो गए थे।  

रूपा प्रकाशन से छपी असीम छाबड़ा की किताब ‘SHASHI KAPOOR: THE HOUSEHOLD, THE STAR’ में इस किस्से का जिक्र मिलता है।

जब शशि कपूर को मिला पत्रकार बनने का मौका

यह साल 1982 की बात है। रमेश शर्मा बतौर निर्देशक अपनी पहली फीचर फिल्म ‘न्यू डेल्ही टाइम्स’ के लिए शशि कपूर साइन करने की सोच रहे थे। वह कपूर को एक ईमानदार अखबार के संपादक, विकास पांडे का रोल देना चाहते थे, जो एक राजनेता की हत्या का इन्वेस्टिगेशन करता है।

हालांकि, युवा निर्देशक यह समझ नहीं पा रहे थे कि वह शशि कपूर नामक “स्टार” को क्या बताएं। चिंतित रमेश मुंबई स्थित ताज महल होटल के गोल्डन ड्रैगन रेस्तरां में डिनर पर शशि कपूर से मिले। रमेश अपनी कहानी अभी शशि कपूर को बता रहे थे कि बगल की मेज पर फिल्म अभिनेता जीतेंद्र अपने दोस्तों के साथ पहुंच गए।

उन्हें देख शशि अचानक उठे और रमेश का परिचय यह कहते हुए करवाया कि वह उनकी अगली फिल्म के निर्देशक हैं जबकि उन्होंने अभी तक फिल्म की पूरी कहानी सुनी भी नहीं थी। रमेश इस घटना से अचंभित और खुश दोनों हुए।

इसके बाद शशि कपूर ने पूरी कहानी सुनी। उन्हें कहानी पसंद आयी। लेकिन जल्द ही माहौल में सन्नाटा छाने वाला था क्योंकि अब बातचीत पैसों को लेकर होनी थी। शशि कपूर ने पूछा कि फिल्म का बजट क्या है? रमेश ने धीमे स्वर में लगभग बुदबुदाते हुए कहा- 25 लाख रुपये।

शशि कपूर ने हैरानी से रमेश तरफ देखते हुए पूछा- आर यू सीरियस? असीम छाबड़ा अपनी किताब में रमेश को उद्धृत करते हैं, “मैंने उससे कहा कि मेरे पास बस इतना ही है। हर कोई लगभग बिना पैसों के काम कर रहा है।”

शशि शांत हो गई। फिर उन्होंने युवा निर्देशक से पूछा कि जेब में कितने पैसे हैं? रमेश ने बताया कि उनके पास कुछ हजार रुपये हैं। शशि ने कहा, “मुझे एक सौ एक रुपये दे दो। यह मेरा साइनिंग अमाउंट है। आज जुम्मा है – एक शुभ दिन – आपने मुझे साइन कर लिया है।” ऐसा करते हुए शशि कपूर ने स्क्रिप्ट भी नहीं पढ़ी थी, सिर्फ कहानी सुनी थी।

कुल एक लाख और दो शर्त

साइनिंग अमाउंट के बाद शशि कपूर की पूरी फीस पर बात हुई। शशि ‘न्यू डेल्ही टाइम्स’ की कहानी से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने स्वेच्छा से केवल एक लाख रुपये में काम करना चुना। ध्यान रहे इतनी रकम उन्हें 1983 से लगभग दो दशक पहले बीआर चोपड़ा ने ‘वक्त’ फिल्म के लिए दिया था।

हालांकि इतनी कम फीस के बदले शशि कपूर ने रमेश के सामने दो शर्तें रखी थीं। पहली शर्त तो यह थी कि रमेश यह बात किसी निर्देशक या निर्माता को नहीं बताएंगे शशि कपूर इतने कम पैसों पर काम कर रहे हैं, क्योंकि इससे ऐसा लगेगा वे काम के लिए बेताब हैं। दूसरी शर्त यह थी कि वह दिल्ली के ताज मानसिंह होटल में रुकेंगे, हालांकि भोजन, पेय और टेलीफोन बिल आदि का भुगतान खुद करेंगे।

उन्होंने रमेश से कहा, “जब लोग मुझसे मिलें, तो उन्हें पता होना चाहिए कि शशि कपूर का स्तर पूरी तरह से गिरा नहीं है।” बाद में एक तीसरी शर्त भी जुड़ी जिसके मुताबिक, शशि को फिल्म का पांच प्रतिशत बैक-एंड शेयर देना तय हुआ।

फिल्म शूटिंग पहले शशि कपूर की पत्नी के निधन, उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या कारण दो साल तक टली। बाद में फिल्म का बजट भी 10 लाख तक बढ़ गया। रिलीज होने के बाद फिल्म को कई दूसरी तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। कमर्शियल यह फिल्म सफल नहीं रही। लेकिन समीक्षकों ने खूब सराहा।

1986 में न्यू डेल्ही टाइम्स ने सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार जीता मिला। शशि को उनकी परफॉरमेंस के लिए खूब तारीफ मिली, उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।