बिहार के दो नये उपमुख्यमंत्रियों में से एक सम्राट चौधरी ने बताया है कि कैसे उन्हें लालू यादव की सरकार में ‘अत्याचार’ का सामना करना पड़ा था। हालांकि तथ्य ये भी है कि सम्राट चौधरी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से की थी। वह राजद सरकार में मंत्री भी रहे हैं।  

भाजपा नेता सम्राट चौधरी से द इंडियन एक्सप्रेस के चर्चित कार्यक्रम आइडिया एक्सचेंज में डिप्टी एडिटर लिज मैथ्यू ने पूछा कि बिहार बीजेपी के कुछ नेता एक बार नीतीश कुमार के साथ जाने का विरोध कर रहे थे, लेकिन बाद में मामले को सुलझा लिया गया, क्या उन्हें ताजा समीकरण (भाजपा-जदयू गठबंधन) को लेकर कोई पछतावा है, या सब कुछ ठीक है?

जवाब में चौधरी ने न सिर्फ नीतीश कुमार और जदयू को भाजपा का स्वाभाविक साथी बताया बल्कि अपने परिवार के इतिहास पर भी रोशनी डाली। सम्राट चौधरी ने कहा, “यह गठबंधन बिहार की प्रगति के लिए है। राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव भ्रष्टाचार, रेत माफिया, अपराधियों का पर्याय हैं और गुंडा राज को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे। बिहार में अराजकता थी। हम बिहार में जंगलराज नहीं, विकास चाहते थे। नीतीश कुमार बिहार के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने राज्य के विकास के लिए काम किया है। हां, उनके राजनीतिक फैसले बदलते रहे। हमारे उनके साथ खट्टे-मीठे अनुभव रहे हैं लेकिन उन्होंने सुशासन को प्राथमिकता दी।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं 1995 से पहले राजनीति में नहीं था। जब नीतीश कुमार, जॉर्ज फर्नांडीस और मेरे पिता (शकुनी चौधरी) ने समता पार्टी बनाई, तो मुझे लालू यादव द्वारा किए गए अत्याचारों का सामना करना पड़ा। मुझे सिर्फ इसलिए लाठियों से मारा गया और जेल भेज दिया गया क्योंकि मैं एक हाई-प्रोफाइल राजनीतिक नेता का बेटा था। मैं एक आंदोलन के लिए जेल गया था जिसमें नीतीश कुमार एक बड़े नेता थे। इस तरह मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, ज़मीन से शुरू की।”

राजनीतिक परिवार से आने वाले सम्राट चौधरी ने वंशवादी राजनीति पर क्या कहा?

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल से अलग होने से पहले नीतीश कुमार ने वंशवादी राजनीति पर जमकर हमला बोला था। बिहार में भाजपा की राज्य इकाई भी लालू प्रसाद यादव पर वंशवादी राजनीति करने का आरोप लगाती है। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नई सरकार में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

लिज मैथ्यू का अगला सवाल इसे ही लेकर था। उन्होंने पूछा- राष्ट्रीय राजनीति में वंशवाद पर बहुत चर्चा हुई है। यह देखते हुए कि आपके पिता सांसद और विधायक थे और आपकी माँ भी विधायक रही थीं, आप अपनी राजनीतिक विरासत पर क्या कहना चाहेंगे?

सम्राट चौधरी ने कहा, “भाई-भतीजावाद तब होता है जब आपके पिता आपकी उंगली पकड़ आपको आगे बढ़ाते हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। लालू प्रसाद यादव के नाम पर वोट पड़ने के बाद तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बन गये। मेरे पिता लोकसभा सांसद थे। उन्होंने वर्षों तक अपने लोगों के बीच जमीनी स्तर पर काम किया। हालांकि, पिछले 14 वर्षों से मेरे पिता ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी है। मैंने 1995 में एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी। इस बीच कई चुनौतियों का सामना किया। लेकिन कभी अपने पिता के नाम का उपयोग नहीं किया है। न ही कभी करूंगा। लोगों ने मोदीजी और नीतीशजी को वोट दिया। भाजपा में जो लोग पार्टी कार्यकर्ता के रूप में कड़ी मेहनत करेंगे उन्हें लाभ और पुरस्कार मिलेगा। एक बात स्पष्ट होनी चाहिए: मेरे परिवार से कोई भी (मुझे छोड़कर) भाजपा में नहीं है।”

सम्राट चौधरी बोले- 1995 में शुरू की राजनीत‍ि, पर बायोडाटा में 1990 से शुरुआत

आइड‍िया एक्‍सचेंज कार्यक्रम में सम्राट चौधरी ने 1995 में राजनीत‍ि की शुरुआत की बात कही, लेक‍िन ब‍िहार व‍िधान पर‍िषद की वेबसाइट पर मौजूद उनके बायोडाटा में ल‍िखा है क‍ि सम्राट चौधरी ने राजनीति में 1990 में प्रवेश क‍िया।

बता दें क‍ि चौधरी ने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ अपना राजनीत‍िक सफर शुरू क‍िया था। राजद में विभिन्न पदों पर काम करने के बाद 19 मई 1999 को उन्हें बिहार की राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया था।

उन्होंने 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। 2010 में उन्हें विधानसभा में विपक्षी दल के मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद 2014 में उन्होंने राज्य के शहरी विकास एवं आवास विभाग के मंत्री पद का कार्यभार संभाला।

2018 में वह लालू प्रसाद से अलग होकर बीजेपी में शामिल हो गये और पार्टी ने उन्हें बिहार का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया। फिलहाल वह विधान परिषद के सदस्य हैं। मार्च 2023 में संजय जायसवाल की जगह सम्राट चौधरी को बिहार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था।

नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन को छोड़कर भाजपा के साथ हाथ मिलाने और 28 जनवरी, 2024 को भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने के बाद सम्राट चौधरी ने विजय सिन्हा के साथ डिप्टी सीएम का पद संभाला।

सम्राट चौधरी ने बताया कब खोलेंगे पगड़ी

राजनीति में तीन दशक पूरे कर चुके सम्राट चौधरी ने बीजेपी के संगठन और सरकार दोनों में अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने विधायक, मंत्री के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी पार्टी की सेवा की है। सम्राट चौधरी कोइरी जाति से आते हैं और बिहार बीजेपी में प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं।

विपक्ष में रहते हुए सम्राट चौधरी ने कहा था कि वह अपनी पगड़ी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद ही खोलेंगे। लेकिन अब वह खुद नीतीश कुमार की सरकार में डिप्टी सीएम बन चुके हैं और पगड़ी भी बंधी हुई है। ल‍िज मैथ्यू ने जब इस पर सवाल क‍िया तो चौधरी ने बताया कि वह अपनी पगड़ी कब खोलेंगे।

चौधरी ने कहा, “जब पिछले साल मेरी मां का निधन हुआ, तो मैंने उनके सम्मान में पगड़ी पहनना शुरू कर दिया। असल में इसे हमारे यहां मुरैठा कहा जाता है। यह श्रम का प्रतीक है। हां, मैंने कहा था कि इसे तभी हटाऊंगा जब मैं नीतीश कुमार को पद से हटा दूंगा। लेकिन नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर, अब बीजेपी से हाथ मिला लिया है। भाजपा अब मेरी दूसरी मां की तरह है और मुझे गर्व है कि इसने मुझे राज्य पार्टी अध्यक्ष, विधायक दल का नेता और उपमुख्यमंत्री बनाया। पार्टी ने मुझे लगातार सम्मानित किया है और मुझे समझाया है कि पहले देश है, फिर पार्टी और अंत में व्यक्ति है। इसलिए मैं अयोध्या जाकर भगवान राम के चरणों में अपना मुरैठा खोलूंगा और मुंडन कराऊंगा।”