Bhupinder Singh Hooda Haryana: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कमजोर नहीं पड़े हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बुधवार रात को चंडीगढ़ में अपने आवास पर कांग्रेस के जीते हुए विधायकों की बैठक बुलाकर अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन किया। बताना होगा कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में जीत की तमाम उम्मीदों के बाद भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है और बीजेपी ने ने बेहद विपरीत माहौल में भी जीत का स्वाद चखा है।
कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा में नेता विपक्ष का चयन करना है। हरियाणा से आ रही खबरों के मुताबिक, हार के बाद राहुल गांधी बेहद नाराज हैं। ऐसे में कांग्रेस विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर अपनी पसंद के किसी नेता को नियुक्त करना चाहती है लेकिन हुड्डा ने 37 में से 32 विधायक जुटाकर यह दिखा दिया है कि उन्हें नजरअंदाज कर पाना कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के लिए आसान नहीं है।
बैठक के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूरी गर्मजोशी के साथ अपने समर्थक विधायकों से मिले।
बदलाव चाहता है कांग्रेस हाईकमान
हरियाणा में किसान आंदोलन का अच्छा-खासा असर रहा था। इसके बाद महिला पहलवानों का आंदोलन और अग्निवीर योजना को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरी उम्मीद थी कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बना लेगी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन अब जब सारे अनुमान, एग्जिट पोल, राजनीतिक विश्लेष्कों की भविष्यवाणी गलत साबित हो गई है तो कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा संगठन में बदलाव करना चाहता है। लेकिन क्या वह हुड्डा को चुनौती देने का जोखिम उठा पाएगा? हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा का दबदबा साफ दिखाई देता है।
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कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने के लिए अधिकृत किया गया है। इसमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अजय माकन और पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा का नाम शामिल है।
2019 में कांग्रेस को मिली हार के बाद भी हुड्डा ही नेता विपक्ष बने थे। इतना ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी कांग्रेस ने उनकी पसंद और उनके समर्थक माने जाने वाले चौधरी उदयभान को जिम्मेदारी दी थी।
हरियाणा कांग्रेस में है हुड्डा का दबदबा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान एक तरह से कांग्रेस में हुड्डा को फ्री हैंड था। पार्टी ने 90 में से 70 से 72 सीटों पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को टिकट दिए थे। हालांकि कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है लेकिन हुड्डा केंद्रीय नेतृत्व को बताना चाहते हैं कि हरियाणा में उनके कद का नेता पार्टी के पास नहीं है।
चुनाव प्रचार के दौरान टिकट बंटवारे में हुड्डा कैंप को तरजीह दिए जाने की वजह से कुमारी सैलजा कई दिनों तक चुनाव प्रचार से दूर रही थीं। चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस की हार के पीछे जो दो बड़ी वजह निकलकर सामने आई हैं, उनमें से एक पार्टी में गुटबाजी और दूसरी गैर जाट मतों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण होना है।
आइए थोड़ा सा हुड्डा परिवार और इसके राजनीतिक रसूख के बारे में भी जानते हैं।
जाट लैंड में बड़े नेता हैं भूपेंद्र हुड्डा
हरियाणा की राजनीति में जाट लैंड में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सबसे बड़ा नेता माना जाता है। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, जींद में हुड्डा और उनके समर्थकों का काफी असर है। 1991 से लेकर 2024 तक रोहतक संसदीय सीट पर हुए दस चुनावों में से आठ चुनाव हुड्डा परिवार ने जीते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल को 1991, 1996, 1998 में लगातार तीन बार हरा चुके हैं। दीपेंद्र सिंह हुड्डा के दादा रणबीर सिंह हुड्डा भी दो बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से चार बार लोकसभा का चुनाव जीते थे।
कौन बनेगा प्रदेश अध्यक्ष?
कांग्रेस को नए प्रदेश अध्यक्ष का भी चुनाव करना है। चौधरी उदयभान 2019 और 2024 में अपनी परंपरागत सीट होडल से चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के पद पर किसी ऐसे नेता को बैठाना चाहता है जो गुटबाजी से दूर हो।
हरियाणा में 2005 से 2014 तक चली कांग्रेस की सरकार के मुखिया भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही रहे थे लेकिन 2014, 2019 और 2024 में हार मिलने के बाद भी कांग्रेस हाईकमान हुड्डा का विकल्प नहीं खोज सका है।
पांच विधायक नहीं पहुंचे बैठक में
हुड्डा के द्वारा बुलाई गई इस महत्वपूर्ण बैठक में पहुंचे विधायकों में से एक विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विधायकों को फोन किया गया और उनसे कहा गया कि वे हुड्डा के आवास पर पहुंचें। विधायकों के बहुमत को देखते हुए ऐसी संभावना है कि पार्टी हाईकमान विधायकों की इच्छा को मानेगा और हुड्डा को फिर से कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनाव जाएगा। हालांकि हुड्डा ने कहा है कि मेल-मुलाकत के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।
बैठक में शामिल नहीं होने वाले पांच विधायकों में शैली चौधरी (नारायणगढ़), चंद्र मोहन ( पंचकूला), आदित्य सुरजेवाला (कैथल), रेनू बाला (साढौरा) और अकरम खान (जगाधरी) हैं। ये सभी हुड्डा के सियासी विरोधी कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के समर्थक हैं।
सैलजा कर रहीं चंद्र मोहन का समर्थन
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि सैलजा कांग्रेस विधायक दल के नेता के पद के लिए पंचकूला के विधायक चंद्र मोहन का समर्थन कर रही हैं। चंद्र मोहन चार बार विधायक रहने के साथ ही हरियाणा के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं।
अगर कांग्रेस हाईकमान अपनी पसंद के नेता को इस अहम पद पर बैठाने पर अड़ गया तो हुड्डा अपने वफादार नेताओं- गीता भुक्कल या अशोक अरोड़ा का नाम आगे कर सकते हैं।
सियासी हमले झेल रहे हुड्डा
विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा सैलजा गुट के निशाने पर हैं। चुनाव नतीजों के बाद कुमारी सैलजा के अलावा शमशेर सिंह गोगी, परविंदर सिंह परी और राज्य पार्टी की ओबीसी विंग के अध्यक्ष कैप्टन अजय सिंह यादव समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की हार के लिए हुड्डा और उनके बेटे और सांसद दीपेंद्र हुड्डा को खुले तौर पर जिम्मेदार ठहराया।