जब से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने असम में प्रवेश किया है, तब से कांग्रेस नेताओं और भाजपा के झंडे लहरा रही भीड़ या पुलिस के बीच लगातार झड़प हो रही हैं। इसी दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और राहुल गांधी के बीच जुबानी जंग भी जारी है। 2015 में भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ने के बाद से सरमा अपनी पूर्व पार्टी, विशेष रूप से राहुल गांधी की तीखी आलोचना करते रहे हैं।

कड़वा इतिहास

लंबे समय तक कांग्रेस नेता रहे और असम में पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक, सरमा को पार्टी से तब अलग होना पड़ा जब उन्होंने देखा कि सीएम के लिए उनकी जगह तरुण गोगोई के बेटे गौरव को चुना जा रहा है। सरमा ने आलाकमान से अपील भी की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। गौरव को राहुल के इंटरनल ग्रुप का हिस्सा माना गया।

पिछले साल प्रकाशित हुई आत्मकथा में एक अन्य पूर्व कांग्रेस नेता, गुलाम नबी आज़ाद ने लिखा है कि यह राहुल ही थे जिन्होंने सरमा को सीएम को नहीं बनने दिया।

आज़ाद ने अपनी किताब बताया है कि जब सरमा ने गोगोई के तीसरे कार्यकाल के दौरान विद्रोह किया था, तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें पर्यवेक्षक के रूप में असम जाने के लिए कहा था।

उन्होंने लिखा है, “मैंने हिमंत और उनके समूह को दिल्ली बुलाया; वह 45 से अधिक विधायकों के साथ मेरे आवास पर आए… कुछ दिनों बाद, मैंने गोगोई से दिल्ली आने या अपने विधायकों को भेजने के लिए कहा। उन्होंने सात विधायकों को भेजा जो उनका समर्थन कर रहे थे… मैंने सोनिया जी को स्थिति बताई। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि हिमंत के पास स्पष्ट बहुमत है और उन्हें नया सीएम होना चाहिए। उन्होंने मुझे अगले दिन प्रभारी महासचिव के साथ असम जाने और नए नेता के रूप में हिमंत के औपचारिक चुनाव की देखरेख करने के लिए कहा। हमारे असम जाने से एक शाम पहले, राहुल ने मुझे फोन करके असम का दौरा रद्द करने का अनुरोध किया। उन्होंने मुझसे अगली सुबह असम के प्रभारी महासचिव के साथ उनके घर आने को कहा।”

आज़ाद आगे लिखते हैं, “जब हम अगली सुबह राहुल के आवास पर पहुंचे, तो हमने देखा कि तरुण गोगोई और उनके बेटे गौरव गोगोई उनके साथ बैठे हुए थे। राहुल ने हमसे दो टूक कहा कि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा। हमने उन्हें बताया कि हिमंत के पास विधायकों का बहुमत है, वह बगावत करेंगे और पार्टी छोड़ देंगे। राहुल ने कहा- ‘उसे जाने दो’ और बैठक ख़त्म हो गई।” बकौल आज़ाद इसके बाद उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की और उन्हें बताया कि मीटिंग में क्या हुआ।

आजाद के मुताबिक, “समस्या की गंभीरता को समझने के बावजूद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में ठोस निर्णय नहीं लिया। उल्टा मुझसे कहा कि मैं हिमंत से इस बात के लिए अनुरोध करूं को वह बगावत न करें।”

सरमा के पार्टी छोड़ने की कहानी

कांग्रेस छोड़ने के बाद से एक किस्सा जो सरमा अक्सर याद करते हैं, वह राहुल के साथ एक बैठक की है, जहां वरिष्ठ कांग्रेस नेता अपने पालतू कुत्ते ‘पिडी’ को बिस्किट खिलाने में मशगूल थे, जबकि हिमंत और अन्य लोग असम के मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे। सरमा इस कहानी का इस्तेमाल यह रेखांकित करने के लिए करते हैं कि कांग्रेस आलाकमान अपने ही वरिष्ठ नेताओं से किस कदर कटा हुआ है।

पार्टी से निकलने के बाद

2017 में राहुल ने पिडी के एक वीडियो के ट्वीट के साथ सरमा पर जवाबी हमला किया। सरमा उस समय सर्बानंद सोनोवाल सरकार में मंत्री थे, उन्होंने जवाब दिया: “सर, मुझसे बेहतर कौन जानता है? अभी भी याद है कि आप पिडी को बिस्किट खिलाने में व्यस्त थे जबकि हम असम के जरूरी मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे।”

2021 में इंडियन एक्सप्रेस अड्डा पर भी सरमा ने राहुल के साथ हुई अपनी मुलाकातों के बारे में विस्तार से बताया था। उन्होंने कहा कि 2014 में तरुण गोगोई सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सोनिया ने ही उन्हें राहुल से मिलने की सलाह दी थी।

वह कहते हैं, “मैं उनसे एक बार मिला था। वह मुलाकात भी बहुत खराब थी। लेकिन मैंने उसे सार्वजनिक नहीं किया। क्योंकि अगर मैं मामला उठाता, तो राहुल गांधी कहते- ‘तो क्या?’… मैं वहां उनके साथ 20 मिनट तक था… और इस दौरान उन्होंने कम से कम 50 बार ‘तो क्या हुआ’ शब्द का इस्तेमाल किया था।”

ये बात बताने के बाद सरमा ने अपनी उस प्रसिद्ध मुलाकात के बारे में बताया, जिसमें पिडी का जिक्र आता है, “हम वहां एक सौहार्दपूर्ण उपाय के साथ पहुंचे थे… श्री सीपी जोशी किसी तरह का शांति फार्मूला लेकर आए थे। तो मैं, श्री तरुण गोगोई, श्री सीपी जोशी, श्री अंजन दत्ता… हम सभी श्री राहुल गांधी से मिलने गए। हमने कहना शुरू किया कि चुनाव नजदीक आ रहे हैं, असम में काफी संभावनाएं हैं, हम बीजेपी को हरा सकते हैं… लेकिन मैंने देखा कि राहुल को शुरू से ही बैठक में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह उस कुत्ते के साथ खेल रहे थे।”

सरमा ने कहा: “मीटिंग के दौरान हमें चाय और बिस्कुट परोसा गया था। तभी कुत्ता मेज के पास आया और प्लेट से एक बिस्किट उठा लिया। राहुल ने मेरी तरफ देखा और वो मुस्कुराने लगे। मैं सोच रहा था कि वह क्यों मुस्कुरा रहे हैं? मैंने अपना कप लेकर इंतजार किया, यह सोचकर कि राहुल कॉलिंग बेल दबाएंगे और किसी को प्लेट बदलने के लिए कहेंगे। मैंने पांच मिनट तक इंतजार किया… कुछ देर बाद मैंने मिस्टर जोशी को देखा, गोगोई को देखा, सभी एक ही प्लेट से बिस्किट लेकर खाने लगे।”

सरमा के मुताबिक, “मैं वहां अक्सर नहीं जाता था, लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि यह हर किसी के लिए सामान्य बात होगी। ऐसा सभी बैठकों में होता है। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि बहुत हो गया। अब आप उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकते। हालांकि लेकिन इतना कहने के बाद भी मैं कहूंगा कि मैं श्री राहुल गांधी का आभारी हूं – मैं सीएम नहीं बन पाता अगर वह नहीं होते। उनकी वजह से मैं कांग्रेस पार्टी से बाहर हुआ। अगर मैं आज इस पद पर हूं तो यह उस मशहूर मुलाकात की वजह से है।”