बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार के गठन के बाद सरकार ने रविवार को कहा कि वह एक संतुलित विदेश नीति बनाए रखेगी। सरकार ने यह भी कहा कि बांग्लादेश भारत और चीन सहित सभी के साथ सुचारू और सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहता है। शेख हसीना के देश छोड़ने से लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने तक बांग्लादेश में क्या बदला है, इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर शुभाजीत रॉय ने बताया आंखों देखा हाल।

सत्ता परिवर्तन के साथ ढाका की सड़कों पर भी बदलाव देखने को मिले। कल तक प्रदर्शन कर रहे लोग आज यातायात का प्रबंधन करते दिखे तो वहीं कई दीवारों पर हसीना विरोधी लेख दिखे। एक हफ्ते बाद भी ढाका में अराजकता के संकेत मिलते हैं। हां, इतना जरूर है कि अंतरिम सरकार के शपथ लेने के बाद ढाका की दीवार पर लिखावट बदल गई है। ढाका में अंतिम सात दिन वास्तव में युग परिवर्तन का प्रतीक हैं।

मेट्रो के खंभों पर ‘खूनी हसीना’, “हम जीत गए, ओय हसीना तुम कहां गायब हो गई जैसी लिखावटों से स्प्रे-पेंट किया गया है। उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान को भी नहीं बख्शा गया। ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के ठीक बाहर, उनकी मूर्ति टुकड़े-टुकड़े में बिखरी पड़ी है। हसीना के समर्थकों का कहना है कि देश भर में मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया है।

बांग्लादेश के लोगों में पुलिस के खिलाफ गुस्सा

ठीक एक हफ्ते पहले तक 19 साल का ओभिक उन छात्रों में शामिल था जो तत्कालीन शेख हसीना सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरे थे। आज वह सड़क पर छात्र स्वयंसेवक के रूप में ढाका विश्वविद्यालय परिसर के बगल में व्यस्त शाहबाग क्षेत्र में ट्रैफिक की निगरानी कर रहा है। दरअसल, सरकार का साथ देने और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के कारण लोगों में पुलिस के खिलाफ गुस्सा है, जिस कारण कई जगह प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर भी हमले की खबरें सामने आई।

‘सरकार से छुटकारा मिलने के बाद अब जिम्मेदारी उठाने की बारी’

ओभिक ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, ”सरकार से तो छुटकारा मिल गया, अब जिम्मेदारी उठानी होगी। मेरे पैर में चोट लगी है। लेकिन लोगों की सेवा करना हमारी जिम्मेदारी है।” आर्किटेक्चर के छात्र का कहना है जब वह धरना प्रदर्शन कर रहे थे तो लाठीचार्ज और आंसूगैस के कारण उनके दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था।

एयर पोर्ट पर काम करने वाले एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “वह अपने कामों को सही ठहराने के लिए हर मौके पर अपने पिता का नाम लेती थी इसलिए उनके खिलाफ दबा हुआ गुस्सा था जिसकी वजह से भीड़ ने शेख मुजीब की मूर्ति तोड़ने जैसी हरकतें कीं।”

शेख हसीना की हरकतों से लोग नाराज

वहीं, ढाका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर का कहना है कि छात्रों के आंदोलन का इस्तेमाल कुछ कट्टरपंथी ताकतों ने ऐसे कृत्यों को अंजाम देने के लिए किया था। अरसुदा नाम के एक छात्र कहते हैं, “हम बंगबंधु का भी सम्मान करते हैं लेकिन शेख हसीना की हरकतों से लोग नाराज़ हो गए। और यह उस गुस्से का ही रिएक्शन था।”

रविवार को विपक्षी नेताओं में से एक बीएनपी के सलाउद्दीन अहमद, नौ साल विदेश में रहने के बाद बांग्लादेश लौट आए। ढाका विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर तस्नीम सिद्दीकी कहती हैं, “इतने वर्षों तक लोगों की असहमति को कुचलने के बाद लोगों ने सोचा कि वह अजेय थी लेकिन छात्रों को घुटन महसूस होने पर लोगों ने शेख हसीना को भी गिरा दिया। अवामी लीग की युवा शाखा छात्र प्रदर्शनकारियों पर भड़क उठी थी, प्रदर्शन में शामिल छात्राओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था।”

शेख मुजीब की मूर्तियां तोड़ी गईं

वह आगे कहती हैं, “युवा महिला छात्रों पर हमला वह पॉइंट था जिसने छात्र प्रदर्शनकारियों को उकसाया, जिससे वे पुलिस और अवामी लीग समर्थक छात्र विंग के साथ टकराव की राह पर आ गए। लेकिन, जब मुजीब की मूर्तियां तोड़ी गईं तो हम रोए, यह सब किसी के नियंत्रण में नहीं था।”

प्रोफेसर मेस्बाह कमाल जो ढाका विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाते थे और अब एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति हैं वह इसे 1969 में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के समान बताते हैं जिसके कारण पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल अयूब खान का पतन हुआ। कमाल ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “अयूब खान ने पूर्वी पाकिस्तान में बहुत सारे विकास कार्य किए थे लेकिन लोग बोलने का अधिकार और अपने मानवाधिकारों की सुरक्षा चाहते थे। हसीना ने भी कई विकास कार्य किए लेकिन वह छात्रों के प्रति काफी कठोर हो गईं। छात्रों के खिलाफ इस तरह की हिंसा अयूब खान के समय में भी नहीं हुई थी।”

भारत-चीन के साथ अच्छे संबंध चाहती है बांग्लादेश की नई सरकार

वहीं, दूसरी ओर अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने विदेश मंत्रालय में अपनी पहली प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “हमारी नीति अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की है।” हुसैन ने कहा कि यह मानना ​​निरर्थक है कि यह अंतरिम सरकार केवल किसी विशेष दिशा पर ही केंद्रित है।

हुसैन ने कहा, “हम भारत और चीन सहित सभी के साथ सुचारू और सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहते हैं।” जब अंतरिम सरकार के भारत के प्रति दृष्टिकोण के बारे में पूछा गया तो हुसैन ने कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत और गहरे संबंध है। हुसैन ने आगे कहा, ” यह महत्वपूर्ण है कि लोग समझे कि भारत बांग्लादेश का अच्छा दोस्त है…हम चाहते हैं कि हम ढाका-दिल्ली संबंध को उस दिशा में आगे बढ़ाएं।” उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार चाहेगी कि भारत इस संदर्भ में हमारे साथ सहयोग करे।