लोकसभा चुनाव 2024 में आज बात करते हैं उत्तर प्रदेश की एक ऐसी सीट की, जहां पर आजादी के बाद से अब तक कुल 20 बार चुनाव हुए हैं और इसमें से 14 बार यादव समुदाय के नेता ही जीते हैं। बात हो रही है आजमगढ़ सीट की। इस बार भी यहां दो यादव उम्मीदवारों के बीच कांटे का मुकाबला है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव सपा के टिकट पर जबकि भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर आमने-सामने हैं। इस सीट पर मुस्लिम मतों की अच्छी-खासी संख्या को देखते हुए बसपा ने मशहूद अहमद को टिकट दिया है।

आजमगढ़ में एक-एक वोट के लिए जबरदस्त चुनावी लड़ाई है और यहां मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच ही दिखाई देता है। लेकिन इस सीट पर पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बड़े फैक्टर हैं। गुड्डू जमाली ने आजमगढ़ के उपचुनाव में अच्छे वोट हासिल किए थे लेकिन इस बार वह सपा के साथ हैं।

धर्मेंद्र यादव को जीत दिलाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव जमकर मेहनत कर रहे हैं तो निरहुआ के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी जनसभाएं कर चुके हैं। 

Azamgarh Lok Sabha: मुलायम, अखिलेश भी पहुंचे यहां से संसद

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और भारत सरकार में मंत्री रहीं मोहसिना किदवई, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव भी यहां से चुनकर लोकसभा में पहुंचे।

इस सीट को लेकर एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि यहां से रमाकांत यादव समाजवादी पार्टी, बीजेपी और बसपा, तीनों के टिकट पर सांसद बने हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव भी 1977 में आजमगढ़ से चुनाव जीते थे।

साल कौन बना सांसद
1952अलगू राय शास्त्री
1957कालिका सिंह
1962राम हरख यादव
1967चंद्रजीत यादव
1971चंद्रजीत यादव
1977राम नरेश यादव
1978मोहसिना किदवई
1980चंद्रजीत यादव
1984संतोष सिंह
1989रामकृष्ण यादव
1991चंद्रजीत यादव
1996रमाकांत यादव
1998अकबर अहमद
1999रमाकांत यादव
2004रमाकांत यादव
2008अकबर अहमद
2009रमाकांत यादव
2014मुलायम सिंह यादव
2019अखिलेश यादव
2022दिनेश लाल यादव निरहुआ

Azamgarh By Poll 2022: 8 हजार वोटों से हारे थे धर्मेंद्र यादव

2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने इस सीट से जीत हासिल की थी लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। इसलिए 2022 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ था और उपचुनाव में भी बीजेपी और सपा के बीच जबरदस्त मुकाबला रहा था और निरहुआ की जीत का अंतर सिर्फ 8000 वोटों का ही था।

BSP| up election| BJP| SP|
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पीलीभीत में एक जनसभा को संबोधित करते हुए (PC- PTI)

Guddu Jamali: गुड्डू जमाली आए सपा के साथ

2022 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव की हार और दिनेश लाल यादव निरहुआ की जीत में सबसे बड़ा फैक्टर तब बसपा के टिकट पर लड़े पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली साबित हुए थे। निरहुआ को 3,12,768 और धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 वोट मिले थे जबकि गुड्डू जमाली ने 2,66,210 वोट हासिल किए थे।

अखिलेश यादव इस बात को जानते थे कि अगर आजमगढ़ की सीट को फिर से सपा के पाले में लाना है तो गुड्डू जमाली को बसपा से सपा में लाना होगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी में गुड्डू जमाली ने बसपा छोड़कर सपा का हाथ पकड़ लिया। अखिलेश यादव ने गुड्डू जमाली की राजनीतिक हैसियत को देखते हुए उन्हें एमएलसी बनाया है। आजमगढ़ में जीत का दारोमदार काफी हद तक गुड्डू जमाली पर ही निर्भर करता है। गुड्डू जमाली के साथ आने से विपक्ष को मिलने वाले वोटों का बंटवारा रुक सकता है।

बसपा ने बार-बार बदला उम्मीदवार

बसपा भी इस सीट पर कई बार जीत हासिल कर चुकी है। इसलिए बसपा प्रमुख मायावती ने यहां से उम्मीदवार तय करने में काफी वक्त लिया। पहले उन्होंने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को प्रत्याशी बनाया, उसके बाद सबीहा अंसारी को टिकट दे दिया लेकिन फिर राजनीतिक समीकरण को देखते हुए उनके पति मशहूद अहमद को बसपा का उम्मीदवार बनाया गया।

ayodhya| up election| loksabha chunav
अयोध्या में दुकान चलाने वाली शशि पांडे (Source- Express)

बसपा के उम्मीदवार की वजह से अगर मुस्लिम मतों का बंटवारा नहीं हुआ तो यहां पर धर्मेंद्र यादव का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।

Azamgarh SP: सभी पांचों सीटें सपा के पास

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनके नाम गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर हैं। 2022 की विधानसभा चुनाव में यहां सभी सीटों पर सपा को ही जीत मिली थी इसलिए धर्मेंद्र यादव को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है। आजमगढ़ जिले में आजमगढ़ के अलावा लालगंज लोकसभा क्षेत्र भी है और यहां 10 विधानसभा सीटें हैं। ये सभी सीटें सपा के ही पास हैं। इन 10 विधायकों में से चार यादव और दो मुसलमान हैं।

Azamgarh Caste Equation: 35% हैं मुस्लिम मतदाता

राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक आजमगढ़ संसदीय सीट पर कुल 17.3 लाख वोटर हैं। यहां मुस्लिम मतदाता 35% हैं, जबकि दलित मतदाताओं की आबादी 17% है। इस सीट पर सवर्ण मतदाताओं की संख्या 19% के आसपास है।

अखिलेश और योगी ने लगाया जोर

आजमगढ़ सीट पर जीत के लिए सपा और बीजेपी के बड़े नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है। धर्मेंद्र यादव के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं तो निरहुआ का भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर है। निरहुआ पूर्वांचली मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो महीने में दो बार आजमगढ़ आ चुके हैं।

400 Paar BJP | Lok Sabha Election 2024 | Narendra Modi | BJP Opinion Poll
संजय बारू का तर्क है क‍ि मोदी को 370 सीटें आ गईं तो आगे चल कर बीजेपी का वही हश्र होगा जो इंद‍िरा गांधी या राजीव गांधी को प्रचंड बहुमत म‍िलने के बाद कांग्रेस का हुआ था। (फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

अखिलेश यादव कहते हैं कि आजमगढ़ में सपा ही चुनाव जीतेगी जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यहां का नाम बदलकर आर्यमगढ़ कर दिया जाएगा। योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को मुफ्त राशन मिलने, आयुष्मान कार्ड, किसान सम्मान निधि उज्जवला गैस जैसी योजनाओं का भी जिक्र करते हैं। बीजेपी के लिए यहां पर कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान भी पूरा जोर लगा रहे हैं।