ज्ञानवापी मस्जिद केस लगातार सुर्खिया बटोर रहा है। शिवलिंग मिलने के दावे के बाद से हिन्दू पक्ष के लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह शिवलिंग नहीं फव्वारा है। यह विवाद आम लोग के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोगों का कहना है कि जो अयोध्या में हुआ वही काशी में भी होगा। अभी वक्त हमारा है।
बनारस में चाय की दुकान चलाने वाले रूद्र कहते हैं कि वो पहले से ही जानते थे कि ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट ने तो इसकी सिर्फ पुष्टि की है। जब उनकी बात का मुस्लिम पक्ष की तरफ से विरोध किया जाता है तो वो कहते हैं- “कहने दीजिए उनको”।
अस्सी घाट पर डोसा का स्टॉल लगाने वाले 31 वर्षीय कन्हैया कुमार इस विवाद पर मुगलों के अत्याचार की कहानी याद दिलाते हुए कहते हैं कि अपना इतिहास जानना जरूरी है। उन्होंने कहा- “जब मुगलों ने शासन किया, तो उन्होंने हमें लूटा और हमारे मंदिरों को नष्ट कर दिया। अब यह हमारा वक्त है और मोदी जी सत्ता में हैं, इसलिए हमने जो खोया है उसे वापस पाने की उम्मीद कर सकते हैं। जो अयोध्या में हुआ वही काशी में होगा”।
इसी अस्सी घाट पर 86 वर्षीय वेद प्रकाश पांडे जो अपना योगा का सत्र समाप्त करके इस चर्चा में शामिल होते हैं, उन्हें महंगाई बढ़ने का कोई अफसोस नहीं है। मस्जिद के सर्वे को लेकर उनके चेहरे पर खुशी जरूर नजर आई। उन्होंने कहा- “सर्वेक्षण और जो सच्चाई सामने आई है, उसकी बहुत जरूरत थी”।
इसके बाद पांडे महंगाई को लेकर बोलने लगते हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई वैश्विक समस्या है, यह सिर्फ भारत में ही नहीं है। पेट्रोल महंगा है, लेकिन फिर भी पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लगी रहती है। अगर नींबू महंगे हैं तो गरीब किसान के लिए अच्छा है।
हालांकि इस चर्चा में जब मुस्लिम पक्ष के लोग शामिल होते हैं तो वो सहमे दिखते हैं। हाजी मोहम्मद नसीर, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से थोड़ी दूरी पर एक दुकान चलाते हैं, वो कहते हैं- “हमने इस मुद्दे पर बात करते समय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बारे में कुछ भी नहीं कहने का फैसला किया है। नहीं तो बुलडोजर चलने लगेंगे। हमें हमारी मस्जिदों के इमामों ने शुक्रवार की नमाज के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा है।”
नसीर के बगल में ही बैठे मुमताज अहमद ने कहा कि वो कई बार ज्ञानवापी मस्जिद गए हैं, लेकिन कभी भी शिवलिंग को नहीं देखा। उन्होंने कहा- “मैंने पहले भी कई बार ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा की है। वजू खाना में कोई शिवलिंग नहीं है। यह सब राजनीतिक कारणों से 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत को विभाजित करने के लिए किया जा रहा है। केवल बाहरी लोग ही विवाद से लाभान्वित होते हैं, वाराणसी के लोग नहीं”