देश में इन दिनों ज्ञानवापी परिसर विवाद चर्चा में है। श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर इस विवाद की शुरुआत हुई थी। पांच महिलाएं श्रृंगार गौरी के दैनिक पूजा के अधिकार की मांग लेकर वाराणसी की जिला अदालत पहुंची, जिसके बाद कोर्ट ने मस्जिद परिसर के सर्वे का आदेश दिया। आइए जानते हैं कि श्रृंगार गौरी क्या और कहां है?
श्रृंगार गौरी की पीढ़ियों से पूजा करने का अधिकार बनारस के ही रहने वाले व्यास परिवार के पास है। मंदिर के बारे में बताते हुए व्यास परिवार के सदस्य जितेंद्र व्यास कहते है कि विध्वंस से पहले मंदिर में मां श्रृंगार गौरी का विशाल मंडप था, जिसके अवशेषों की अब पूजा की जाती है।
श्रृंगार गौरी की पूजा के बारे में व्यास ने कहा कि हम लोग मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर आकृतियों की पीढ़ियों से पूजा करते हुए आ रहे हैं। उसे हमारे पूर्वजों की ओर से श्रृंगार गौरी मंडप का अवशेष बताया जाता रहा है। आज यह विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के गेट नंबर 4 से मंदिर की तरफ जाने पर ज्ञानवापी मस्जिद की बैरीकेडिंग दिखाई देती है इसी के पीछे मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर श्रृंगार गौरी मंडप मौजूद है।
पहले कोई नहीं था विवाद: श्रृंगार गौरी की पूजा की करने को लेकर उन्होंने कहा कि पहले पूजा को लेकर कोई विवाद नहीं था। श्रृंगार गौरी मंडप की पूजा मंदिर विध्वंस के बाद से सदियों से हमारा परिवार करता आया था, लेकिन 1991 में मुलायम सरकार ने मंदिर में रोज पूजा करने पर रोक लगा दी थी और साल में एक बार ही पूजा करने की इजाजत दी गई थी।
कैसे और कब होती है पूजा?: व्यास ने बताया कि मौजूदा समय में हिंदी कैलेंडर के मुताबिक चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन साल में एक बार श्रृंगार गौरी की पूजा की जाती है। पूजा के लिए पूरे मंडप को साफ किया जाता है और सिंदूर लगाया जाता है। इसके बाद पश्चिमी दीवार पर मौजूद आकृतियों पर मुखौटा चढ़ाकर पूजा की जाती है।