आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सियासत में एक बड़ा ऐलान करते हुए पार्टी की नेता आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन इस ऐलान के साथ एक गंभीर सवाल भी खड़ा हुआ है। सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी को इस फैसले से फायदा होगा या नुकसान? सबसे पहले बात करते हैं कि आतिशी को दिल्ली की कमान सौंपने से आम आदमी पार्टी को क्या नुकसान हो सकते हैं।
बीजेपी के नेता लगातार कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल ने यूं ही मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा है। अदालत ने उन्हें बहुत सख्त शर्तों के साथ जमानत दी है जिसमें कहा गया है कि वह मुख्यमंत्री के दफ्तर नहीं जा सकते, फाइलों पर दस्तखत नहीं कर सकते। ऐसे में उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने का कोई बहुत ज्यादा मतलब नहीं था।
बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल कथित आबकारी घोटाले में दोषी हैं और इस दबाव में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा है। इसलिए उन्होंने ऐसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया है जिसके लिए आम आदमी पार्टी खुद ही कह रही है कि वह अस्थायी चेहरा हैं और सिर्फ विधानसभा चुनाव तक ही मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगी।
इससे यह संदेश गया है कि अरविंद केजरीवाल का ही पार्टी में सबसे बड़ा कद है और आतिशी सिर्फ केजरीवाल के आशीर्वाद से ही मुख्यमंत्री बनी हैं। निश्चित रूप से बीजेपी इन बातों को मुद्दा बना सकती है और इससे आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है।
अफजल गुरु वाले ‘आरोप’ को मुद्दा बना रही बीजेपी
आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के ऐलान के बाद दिल्ली बीजेपी के नेताओं ने कहा है कि संसद पर हमले के आरोपी आतंकी अफजल गुरु को बचाने के लिए जो याचिका अदालत में लगाई थी, उस पर आतिशी के पिता ने दस्तखत किए थे।
ऐसे आरोप न सिर्फ बीजेपी के नेताओं की ओर से बल्कि पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की ओर से भी लगाए गए हैं। इस आरोप को अगर बीजेपी आने वाले दिनों में दिल्ली की राजनीति में बड़ा मुद्दा बनाने में कामयाब रही तो यह आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
काम करने के लिए मिलेगा कम वक्त
दिल्ली में अगले कुछ ही महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। हालांकि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी लगातार मांग कर रहे हैं कि दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव करा दिए जाएं। अगर दिल्ली में विधानसभा के चुनाव तय वक्त में भी होते हैं तो भी यह जनवरी-फरवरी में होंगे। आचार संहिता लगने की वजह से यह वक्त काफी कम होगा। इतने कम वक्त में एक नए मुख्यमंत्री के लिए बहुत ज्यादा काम कर पाना आसान नहीं होगा। ऐसे में पार्टी को इस फैसले से नुकसान हो सकता है।
अब बात करते हैं फायदे की।
सरकार चलाने में नहीं होगी परेशानी
आतिशी 2012 में आम आदमी पार्टी के गठन के वक्त से ही पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं। उन्हें पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जानते हैं। कहने का मतलब यह है कि वह कोई नया चेहरा नहीं हैं। पिछले कुछ सालों से वह दिल्ली सरकार में पीडब्ल्यूडी, शिक्षा जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उनके पास सरकार चलाने के लिए थोड़ा-बहुत अनुभव जरूर है।
ऐसे में आतिशी को नए मुख्यमंत्री के सामने आने वाली दिक्कतों से नहीं जूझना होगा और यह आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के लिए एक प्लस पॉइंट है।
महिला होने का मिलेगा फायदा
पिछले कुछ सालों में देश में राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी और भागीदारी की चर्चा जोर-शोर से सामने आई है। मोदी सरकार ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने के लिए कानून भी पारित किया है। ऐसे में तमाम राजनीतिक दलों की कोशिश है कि महिला चेहरों को आगे किया जाए।
इस सूरत में आतिशी को मुख्यमंत्री बनाना आम आदमी पार्टी के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है क्योंकि ऐसा करके केजरीवाल ने देश की आधी आबादी को संदेश दिया है।
चेहरे का कोई संकट नहीं
आम आदमी पार्टी को एक फायदा यह हो सकता है कि उसने यह दिखाया है कि उसके पास चेहरों की कमी नहीं है। क्योंकि यह कहा जाता था कि दिल्ली की राजनीति में आप के पास केजरीवाल और सिसोदिया ही बड़े नेता हैं और इनके जेल में होने की वजह से पार्टी के लिए अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन आप ने आतिशी को सीएम बनाकर यह दिखाया है कि उसके पास चेहरों की कमी नहीं है।
इन बातों के अलावा आतिशी को सीएम बनाने का दांव कितना फायदेमंद या नुकसानदेह साबित हुआ है, इसका सही पता दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही मिलेगा।