चार राज्यों के चुनावी परिणाम घोषित होने के बाद से ‘महिला फैक्टर’ की खूब चर्चा हो रही है। राजनीतिक दल से लेकर विश्लेषक तक महिला मतदाताओं की महत्ता को रेखांकित कर रहे हैं। पूरे चुनाव के दौरान महिलाएं योजनाओं और राजनीति के केंद्र में रहीं।

चुनाव प्रचार के दौरान भी सभी दलों ने अलग-अलग योजनाओं माध्यम से महिलाओं को लुभाने का प्रयास किया। उन्हीं योजनाओं के दम पर अब भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुमत हासिल कर चुकी है। कांग्रेस ने तेलंगाना में बाजी मारी है।

रविवार की शाम पीएम मोदी ने अपने धन्यवाद भाषण में कहा था, “मैं महिलाओं को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनसे किए गए सभी वादे शत-प्रतिशत पूरे होंगे; ये मोदी की गारंटी है।”

महिलाओं को आम तौर कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की तरह देखा जाता है। उन्हें इससे परे देखने का बहुत कम प्रयास हुआ है। जिस वर्ष महिला आरक्षण विधेयक पर भारी जोर दिया गया, क्या उस वर्ष में महिलाओं की चुनावी भागीदारी में कोई वृद्धि देखी गई? इस बार कितनी उम्मीदवारों की जीत मिली है?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्टों से विश्लेषण के अनुसार, किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने चुनावी राज्यों में 33% महिलाओं को टिकट नहीं दिया। चार राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों (भाजपा और कांग्रेस) ने 148 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था।

राजस्थान का हाल

राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं। 199 पर चुनाव हुए। भाजपा के 155 उम्मीदवारों को जीत मिली है। राजस्थान में भाजपा के टिकट पर मात्र नौ महिलाएं विधायक बनी हैं। इनमें से दो नाम महत्वपूर्ण हैं। पहला नाम है पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का, जो झालरापाटन से जीती हैं। दूसरा नाम है दीया कुमारी का, जो विद्याधर नगर से विजयी हुईं। वह भाजपा से सांसद भी हैं, 14 दिन में उन्हें तय करना है कि वह MP रहेंगी या विधायक।

राजे और कुमारी, दोनों ने एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि राज्य का सबसे प्रमुख चेहरा होने के बावजूद चुनाव के दौरान राजे किनारे कर दी गई थीं, लेकिन इसका असर उनकी सीट पर नहीं पड़ा। वहीं सांसद दीया कुमारी पैराशूट उम्मीदवार थीं। उन्हें पार्टी ने उस विद्याधर नगर से उतार दिया था, जो भाजपा नेता नरपत सिंह राजवी का क्षेत्र माना जाता है। लेकिन कुमारी ने मजबूती से चुनाव लड़ा और जीता।

राजस्थान में कांग्रेस हार गई है, लेकिन 69 विजयी उम्मीदवारों में से नौ महिला नेता हैं। कांग्रेस के लिए ज्यादा बदलाव नहीं हुआ, क्योंकि 2018 में महिला दावेदार 13.1% थी, जो 2023 में 14.1% हो गई हैं।

दो महिला निर्दलीय उम्मीदवार- डॉ. रितु बानावत और डॉ. रितु चौधरी ने भी अपनी सीटें जीत ली हैं। इस बार के सदन में केवल 10% महिलाएं नजर आएंगी, पिछले सदन में यह संख्या 12% थी। इस बार राजस्थान में कुल 20 महिलाओं को विधायक बनाया है। 2018 में 24 महिलाओं को विधायक बनाया था। उन 24 में से 12 कांग्रेस और 10 भाजपा से थीं। इसके अलावा एक आरएलपी से और एक निर्दलीय भी जीती थीं।

अब और तब

वर्षमध्य प्रदेश (कुल विधायकों में महिलाओं का प्रतिशत)राजस्थान (कुल विधायकों में महिलाओं का प्रतिशत)छत्तीसगढ़ (कुल विधायकों में महिलाओं का प्रतिशत)
202327 (11.7%)20 (10.1%)19 (21.1%)
201821 (9.1%)24 (12%)13 (14.4)
महिला विधायकों की संख्या

मध्य प्रदेश में कितनी ‘लाडली’

मध्य प्रदेश के 230 विधायकों में से 27 महिला हैं। महिला मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मध्य प्रदेश भाजपा ‘लाडली बहना योजना’ लेकर आयी थी। राज्य में भाजपा ने महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर तो जोर दिया लेकिन चुनावी मैदान में इस तरह की पहल नजर नहीं आयी। भाजपा के नवनिर्वाचित 163 विधायकों में से 21 महिलाएं हैं। इसमें हट्टा से उमादेवी लालचंद खटीक और मंडला से संपतिया उइके शामिल हैं। दोनों ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की है।

कांग्रेस के विजयी 65 उम्मीदवारों में से केवल पांच महिला हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कुल 2534 उम्मीदवार मैदान में थे, उनमें से केवल 253 महिलाएं थीं। 2018 की तुलना में इस बार महिला उम्मीदवारों की संख्या थोड़ी ज्यादा थी। पिछले विधानसभा चुनाव में 235 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं। इस बार भाजपा ने 28 और कांग्रेस ने 30 महिलाओं को मैदान में उतारा था। 2018 में ये संख्या क्रमशः 24 और 27 थी।

सबसे अधिक महिला विधायकों वाले छत्तीसगढ़ का हाल

छत्तीसगढ़ के 90 विधायकों में से 19 महिला हैं। छत्तीसगढ़ में इस बार बीजेपी के 54 विजयी उम्मीदवारों में से नौ महिलाएं हैं। कांग्रेस की कुल 11 महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है और यह उसके 35 विजयी उम्मीदवारों में से लगभग एक तिहाई हैं। निवर्तमान सदन में 18% विधायक महिलाएं थीं। इस बार कुल विधायकों में 21.1 प्रतिशत महिलाएं हैं।

छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां पहले चुनाव के बाद से ही महिला उम्मीदवारों और महिला विधायकों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। 2003 में केवल पांच महिलाओं के निर्वाचित होने से लेकर 2018 में 16 महिलाओं के निर्वाचित होने तक, राज्य में महिला विधायकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।