केंद्र सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया – आठवले (RPI-A) राजस्थान में चुनाव लड़ना चाहती है। आरपीआई के मुखिया रामदास आठवले ने बताया कि उन्होंने भाजपा नेतृत्व के सामने सीट की मांग रखी है, लेकिन इस पर जवाब नहीं आया है।
बता दें कि राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं। आठवले चाहते हैं कि बीजेपी उनकी पार्टी को दो सीटें दे। 18 अक्तूबर को जनसत्ता.कॉम के संपादक विजय कुमार झा के साथ ‘बेबाक’ कार्यक्रम में आठवले ने बताया कि एक दिन पहले ही भाजपा नेतृत्व से उनकी बात हुई है, जिसमें उन्होंने यह मांग रखी है।
मध्य प्रदेश में क्या चाहती है RPI?
आठवले 19 अक्तूबर को भोपाल (मध्य प्रदेश की राजधानी) जा रहे हैं। वहां भी वह भाजपा नेतृत्व से मिलेंगे और अपनी पार्टी की मांग रखेंगे। मध्य प्रदेश में आरपीआई चुनाव लड़ना नहीं चाहती। वहां के लिए आठवले की नीति यह है कि भाजपा को सभी सीटों पर समर्थन देने की पेशकश करें और बदले में अगर सरकार बनी तो सत्ता में भागीदारी की गारंटी मिले।
आठवले का कहना है कि छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी का कोई आधार नहीं है, लेकिन चुनाव वाले बाकी चार राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम, तेलंगाना) में उसके कार्यकर्ता व समर्थक अच्छी संख्या में हैं। आठवले ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र की सरकार में भागीदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने भाजपा नेतृत्व के सामने कम से कम एक मंत्री पद दिए जाने की मांग रखी है। इस पर बीजेपी के फैसले का इंतजार है।
महाराष्ट्र में भी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने का इंतजार
बता दें कि आठवले खुद महाराष्ट्र के हैं और उनकी पार्टी सबसे ज्यादा मजबूत महाराष्ट्र में ही है। बीजेपी के साथ उनका रिश्ता भी वहीं (बीएमसी चुनाव) से शुरू हुआ था। आठवले ने कहा कि जब देंवेंद्र फड़णवीस उप मुख्यमंत्री बने थे तो कुछ दिन बाद उन्होंने उनसे बात की थी। तब उन्होंने भरोसा दिलाया था कि मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर आरपीआई को सरकार में जगह देने पर विचार किया जाएगा। लेकिन, उसके बाद विस्तार में अजित पवार और उनके लोग आ गए, और आरपीआई इंतजार ही कर रही है।
आठवले ने यह भी बताया कि जब एकनाथ शिंंदे ने शिवसेना से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाई तो देवेंद्र फड़णवीस का मुख्यमंत्री बनना तय नहीं था। उन्हें शपथ से आधा घंटा पहले जेपी नड्डा का फोन आया और शपथ लेने के लिए कहा गया।
यूपी में बीएसपी का विकल्प बनना चाहती है आरपीआई
आठवले बोले कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने दावा किया कि आरपीआई राज्य में बसपा का विकल्प बनने की ताकत रखती है। कई मुस्लिम नेता ऐसे हैं जो भाजपा में नहीं जा सकते, लेकिन आरपीआई के संपर्क में हैं। ऐसे में भाजपा को उत्तर प्रदेश में आरपीआई को आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए।
आठवले यूपी में लगातार रैलियां करने का प्लान भी बना रहे हैं। दिसंबर में भी वह एक रैली करने जा रहे हैं। हालांकि, पिछले महीने मेरठ में पार्टी की रैली सफल नहीं रही थी। इस रैली में उत्तर प्रेदश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी आने वाले थे। लेकिन न आठवले पहुंचे और न ही मौर्य।
आठवले ने ‘बेबाक’ में इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘मैं तो उस दिन पैर में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती था और केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि साथी दलों के कार्यक्रम में जाने के लिए भाजपा अध्यक्ष से अनुमति लेना सही रहेगा। अब पता नहीं उन्होंने अनुमति ली नहीं या मिली नहीं।’
आठवले मेरठ रैली के बारे में जो भी कहें, लेकिन तथ्य यह भी है कि रैली में लोग भी न के बराबर पहुंचे थे। दिसंबर की प्रस्तावित रैली में उन्हें अच्छी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है।
केंद्र में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि बीजेपी को समझना चाहिए कि अगर यूपी में आरपीआई आगे बढ़ती है तो इसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अनुप्रिया पटेल (अपना दल की नेता) कार्यक्रम में तो बीजेपी के तमाम नेता गए थे। आठवले की चाहत है कि 2024 लोकसभा चुनाव में उन्हें यूपी में 3-4 सीटें भाजपा की तरफ से लड़ने के लिए मिल जाए।