फिल्ममेकर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हालांकि साल 1993 में जब वे पहली बार मुंबई पहुंचे थें, तब फुटपाथ पर सोना पड़ता था। Mashable India के द बॉम्बे जर्नी सीरीज में अनुराग कश्यप ने अपने स्ट्रगल के दिनों के तमाम किस्से साझा किए। उन्होंने बताया कि स्ट्रगल के दौर में किस तरह इम्तियाज अली ने उन्हें सहारा दिया था। उन दिनों अपना शूटकेस पृथ्वी थिएटर में रखा करते थे और सुबह ही वॉशरूम भी वहीं यूज करते थे।

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6 रुपये देकर फुटपाथ पर सोते थे

अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने बताया कि उन दिनों मुंबई के जुहू सर्कल पर एक गार्डन हुआ करता था। हम लोगों वहीं सो जाते थे, लेकिन कई बार हमें भगा दिया जाता था। फिर वरसोवा लिंक रोड के फुटपाथ पर चले जाते थे। वहां कतार से लोग सोते थे। लेकिन वहां सोने के लिए उन दिनों 6 रुपये देने पड़ते थे। अनुराग कश्यप ने इसी इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें शराब की लत लगी और दिन-रात शराब के नशे में डूब गए थे।

फिल्म फंसी तो शराब को बनाया सहारा

अनुराग कश्यप ने बताया कि उनके सामने एक के बाद एक मुश्किलें आ रही थीं। उनकी दूसरी फिल्म ‘ब्लैक फ्राईडे’ रिलीज से एक दिन पहले विवादों में फंस गई। इसके बाद वह बुरी तरह निराश हो गए। अनुराग कहते हैं कि मैंने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया और उसी दौर में शराब की लत लगी। मैं पूरी तरह शराब के नशे में डूब गया था। डेढ़ साल बुरी तरह ड्रिंक करता रहा। ऐसी नौबत आई कि पत्नी आरती बजाज (अब दोनों अलग हो गए हैं) ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया था। उस वक्त मेरी बेटी सिर्फ 4 साल की थी।

डिप्रेशन में चले गए थे अनुराग कश्यप

बकौल अनुराग कश्यप, वह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दौर था। मैं डिप्रेशन में चला गया था। तीन फिल्में लगातार फंस गई थीं। पांच, ब्लैक फ्राईडे, और एल्विन कालीचरण। मुझे ‘तेरे नाम’ और ‘कांटे’ से भी निकाल दिया गया था। मैं शराब पीता और सारी लड़ाई अकेला लड़ रहा था। अनुराग कश्यप कहते हैं कि उस दौर में कई ऐसे प्रोजेक्ट थे, जो मेरे खुद के थे और मैंने ही लिखा था…लेकिन मुझे ही बाहर निकाल दिया गया था। वह मेरी जिंदगी का बहुत बुरा दौर था। मुझे इंडस्ट्री और सिस्टम पर बहुत गुस्सा आया।