9/11 के ठीक बाद अमेरिका में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई थी। खासकर एयरपोर्ट्स पर बाहर से आने वाले यात्रियों की एक-एक चीज की जांच की जा रही थी। घटना के ठीक बाद दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर अपनी पत्नी किरण खेर के साथ अमेरिका गए थे और एयरपोर्ट पर बड़ी मुसीबत में फंसते फंसते बच गए थे। इसका जिक्र उन्होंने हाल ही में ‘हिंद पॉकेट बुक्स’ (पेंग्विन) से आई अपनी आत्मकथा ‘जीवन के अनजाने सबक’ (Anupam Kher Biography) में किया है।

धूपबत्ती बन गई मुसीबत

दरअसल, अनुपम खेर (Anupam Kher) ने भूलवश अपनी शेविंग किट में धूपबत्ती रख ली थी और यह उनके साथ अमेरिका तक पहुंच गया। एयरपोर्ट पर जब सुरक्षा जांच हुई तो उनकी सेविंग किट से धूपबत्ती निकली। चूंकि अमेरिकी पुलिस अफसरों को पता नहीं था कि धूपबत्ती किस काम में लाई जाती है, उन्होंने फौरन अनुपम खेर को पकड़ लिया और किनारे चलने को कहा। अनुपम खेर लिखते हैं कि ‘पुलिस अफसरों ने मुझसे कहा कि एक किनारे चलो और एकदम हिलो मत…’।

किरण खेर की वजह से बढ़ गई मुसीबत

अनुपम खेर लिखते हैं कि उनकी पत्नी किरण खेर (Kirron Kher) अपनी सुरक्षा जांच पूरी करवाने के बाद थोड़ा आगे निकल गई थीं। उन्होंने सामने से मुझे देखा और वहीं से जोर से चिल्लाकर बोलीं- ‘यह क्या है, चरस लेकर घूम रहे हो?’ उनके इस व्यवहार से सुरक्षाकर्मियों को और यकीन हो गया कि उन्होंने एक आतंकी को पकड़ लिया है। मेरा दिमाग एकदम सन्न रह गया और समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं।

किरण खेर को तलाक देने का मन बना लिया था

किरण खेर के इस व्यवहार पर अनुपम खेर बहुत नाराज हुए और मन ही मन तय कर लिया कि अगर किरण (Kirron Kher) ने अपना रवैया नहीं बदला तो तलाक दे देंगे। वह लिखते हैं कि मेरे दिमाग में एक के बाद एक चीजें चल रही थीं, लेकिन वह (किरण खेर) चुप होने को तैयार ही नहीं थीं। दूसरी तरफ से लगातार कहे जा रही थीं कि ‘पागल आदमी’ हो तुम। बकौल अनुपम खेर, मैं अपने दिमाग पर बार-बार जोर डाल रहा था कि धूपबत्ती को अंग्रेजी में क्या कहते हैं।

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हाल ही में हिंद पॉकेट बुक्स (पेंग्विन पब्लिकेशन) से अनुपम खेर की आत्मकथा प्रकाशित हुई है, जिसमें उनके जीवन से जुड़े तमाम अनसुने किस्से हैं।

अनुपम खेर (Anupam Kher) लिखते हैं कि मुझे थोड़ी देर बाद याद आया तो चिल्लाते हुए बोला यह स्टिक है…स्टिक है। बहुत देर बाद पुलिसकर्मियों को यह बताने में सफल हुआ कि धूप एक पूजा सामग्री है। तब किसी तरह मेरा पीछा छूटा।

हमेशा अपने साथ रखते हैं मंदिर

अनुपम खेर (Anupam Kher) ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह जहां कहीं भी जाते हैं, अपने साथ लकड़ी का एक मंदिर भी ले जाते हैं। जिसमें पूजा के सभी जरूरी समान होते हैं और नियमित पूजा करते हैं।