इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में गौ हत्या के आरोपी जुगाड़ी उर्फ निजामुद्दीन नाम के एक शख्स को जमानत (Anticipatory Bail) दे दी। जुगाड़ी को उत्तर प्रदेश गौ हत्या रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए मामले के जांच अधिकारी (IO) पर सवाल उठाए और कहा कि जांच ही ढंग से नहीं की।

जांच अधिकारी को सिर्फ गोबर मिला था

जस्टिस मोहम्मद फैज आलम खान ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ना तो आरोपी के पास से और न ही मौका-ए-वारदात से जानवर या उसका मांस बरामद किया गया था। पुलिस को सिर्फ गोबर और एक रस्सी मिली थी।

कोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों का बयान है कि उन्होंने आरोपी को एक बछड़े के साथ जमील के गन्ने के खेत की तरफ जाते देखा था। गांव में गाय और बछड़ा रखना बहुत आम बात है। चाहे किसी जाति, धर्म और समुदाय के लोग हों, सभी गाय पालते ही हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वह मामले की पारदर्शी तरीके से जांच करे, जो इस मामले में नहीं हुई है।

DGP को दिया IO के खिलाफ एक्शन का आदेश

हाईकोर्ट ने यह कहते हुए आरोपी को जमानत दे दी। साथ ही उत्तर प्रदेश के डीजीपी को जांच अधिकारियों को आपराधिक और गौ हत्या से जुड़े मामलों की जांच में उनके कर्तव्य याद दिलाने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश भी दिया है।

क्या है उत्तर प्रदेश गौ हत्या रोकथाम अधिनियम?

उत्तर प्रदेश गौ हत्या रोकथाम अधिनियम, 1955 के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। जून 2002 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कानून में संसोधन किया था। संशोधित कानून के तहत यूपी में गाय या गोवंश की हत्या पर 10 साल तक की सजा और 3 से 5 लाख रुपये का जुर्माना का प्रावधान है। अगर एक ही व्यक्ति गो हत्या के मामले में दूसरी बार दोषी पाया जाता तो कारावास और जुर्माना के साथ-साथ संपत्ति जब्त करने का भी प्रवाधान है। इसके अलावा इस अपराध के लिए गैंगस्टर ऐक्ट और एनएसए के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।